कोरोना की महामारी के कारण देश में लॉकडाउन लागू है. लॉकडाउन के कारण बड़ी तादाद में प्रवासियों को रोजगार गंवाना पड़ा है. अपने गांव से हजारों किलोमीटर दूर शहरों में जाकर रोजी-रोटी कमाने वाले प्रवासियों का रोजगार छिना, तो उनके घर लौटने का सिलसिला भी शुरू हो गया. बड़ी तादाद में मजदूर पैदल ही घर लौट रहे हैं.
कोरोना के प्रकोप से वे अजन्मे शिशु भी नहीं बच पा रहे, जो अभी इस दुनिया में आए भी नहीं. सतना की निवासी 28 साल की सीमा सिंह अपने गर्भ में पल रहे आठ माह के अजन्मे शिशु को लेकर महाराष्ट्र के औरंगाबाद से पैदल ही अपने घर के लिए निकल पड़ी.
सीमा के पति 32 साल के प्रागेंद्र कौशल सिंह पिछले तीन साल से चटाई बनाने की फैक्ट्री में काम करते थे. लॉकडाउन के कारण फैक्ट्री बंद हुई तो रोजगार छिन गया. आमदनी बंद हो गई. जो जमा-पूंजी थी, वह भी इतने दिन तक खाने-पीने और गर्भवती पत्नी के उपचार में खर्च हो गई.
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पैरों के नीचे की जमीन तब खिसक गई, जब जेब खाली होते ही घर खाली करने का दबाव बढ़ने लगा. सिर से छत हटी और एक निजी अस्पताल ने प्रसव कराने के लिए 50000 रुपये का बजट बता दिया. ऐसे में प्रागेंद्र को अपनी गर्भवती पत्नी के साथ पैदल ही घर के लिए निकलना पड़ा. भूखे-प्यासे रोजाना 70 से 80 किलोमीटर पैदल चलते हुए वे चार दिन में खंडवा पहुंचे, तो पैरों में छाले पड़ गए थे और शरीर बेदम हो गया था. सीमा जानती हैं कि इस अवस्था में इस तरह चलना उनके साथ ही गर्भ में पल रहे शिशु के लिए भी कितना खतरनाक है. वह बताती हैं कि नहीं निकलते तो भूख से ही मर जाते.कोरोना कमांडोज़ का हौसला बढ़ाएं और उन्हें शुक्रिया कहें
वहीं, दतिया जिले के निवासी अयोध्या प्रसाद मोढ़ कर्नाटक के बीजापुर से महाराष्ट्र होते हुए पैदल ही खंडवा पहुंचे. बीजापुर की एक फैक्ट्री में कार्य करने वाले मोढ़ ने रास्ते में सामने आई मुश्किलों के संबंध में बताया कि कई जगह गांव में लोग पीने के लिए पानी भी नहीं भरने दे रहे थे. कई बार तो पीने के लिए वह पानी भी नसीब नहीं हुआ, जो पशु पीते हैं. महाराष्ट्र पहुंचे तो कम से कम पीने का पानी मिलने लगा. अयोध्या प्रसाद बताते हैं कि रास्ते में पुलिसकर्मी रोकते थे. वे कहते थे निकल जाओ नहीं तो हालत और खराब हो जाएगी.देश-दुनिया के किस हिस्से में कितना है कोरोना का कहर? यहां क्लिक कर देखें
प्रशासन ने घर भेजने के लिए किया बस का इंतजाम
विधायक की फटकार के बाद एक्टिव मोड में आए प्रशासन ने खंडवा पहुंच रहे प्रवासी मजदूरों के लिए रहने-खाने और स्क्रीनिंग का इंतजाम किया. इन्हें इनके घर पहुंचाने के लिए प्रशासन ने बसों का इंतजाम भी कर दिया. शुक्रवार को तीन बसों से 102 लोगों को उनके गृह जनपद रवाना किया गया. एक बस 40 लोगों को लेकर रीवा, दूसरी 40 लोगों के साथ सतना रवाना हुई. बैतूल रवाना हुई तीसरी बस में भी 22 लोग सवार थे.
(इनपुट- जय नागड़ा )