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झारखंड राज्यसभा चुनाव: आजसू कहीं बीजेपी का बिगाड़ न दे सियासी समीकरण, सोरेन सक्रिय

झारखंड में राज्यसभा चुनाव को लेकर सियासत तेज है. विधायको के आंकड़े के लिहाज से झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के शिबू सोरेन की जीत तय है, लेकिन दूसरी सीट के लिए कांग्रेस और बीजेपी के पास अपने दम पर जीतने के लिए पर्याप्त आंकड़े नहीं हैं. ऐसे में दोनों पार्टियों के बीच विधायकों के जोड़-तोड़ की कवायद तेज हो गई है.

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आजसू प्रमुख सुदेश महतो और सीएम हेमंत सोरेन
आजसू प्रमुख सुदेश महतो और सीएम हेमंत सोरेन

  • हेमंत सोरेने ने आजसू प्रमुख से मुलाकात कर मांगा समर्थन
  • बीजेपी और कांग्रेस की एक दूसरे के विधायकों पर नजर

झारखंड में राज्यसभा की दो सीटों पर तीन कैंडिडेट के मैदान में उतरने से से मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है. विधायको के आंकड़े के लिहाज से झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के शिबू सोरेन की जीत तय है, लेकिन दूसरी सीट के लिए कांग्रेस और बीजेपी के पास अपने दम पर जीतने के लिए पर्याप्त आंकड़े नहीं हैं. ऐसे में दोनों पार्टियों के बीच विधायकों के जोड़-तोड़ की कवायद तेज हो गई है. कांग्रेस और बीजेपी एक-एक विधायकों को साधने में जुटी है.

राज्यसभा के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा से शिबू सोरेन हैं तो बीजेपी ने अपने प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस की तरफ से शहजादा अनवर प्रत्याशी हैं. ऐसे में धनबाद जेल में बंद बीजेपी विधायक ढुलू महतो को कोर्ट से जमानत नहीं मिलने से पार्टी का समीकरण गड़बड़ा गया है. वहीं, कांग्रेस के विधायक राजेंद्र सिंह के निधन से पार्टी की एक संख्या कम हो गई है. ऐसे में दोनों पार्टियां निर्दलीय और अन्य विधायकों को अपने पाले में लाने की कवायद में जुटी है.

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दरअसल झारखंड की कुल 81 सदस्यों वाली विधानसभा में दो सीटें फिलहाल रिक्त हो गई हैं. इसके अलावा बीजेपी के ढुलू महतो को जमानत नहीं मिली है. इस तरह से राज्यसभा में वोट करने वाले विधायकों का आंकड़ा 78 पर पहुंचता है और एक राज्यसभा के लिए प्रथम वरियता के आधार पर 26 वोटों के करीब समर्थन की जरूरत होगी.

मौजूदा विधायकों के आंकड़ों के लिहाज से जेएमएम के पास 29 विधायक हैं. ऐसे में जेएमएम एक सीट के जीतने के बाद तीन वोट अतरिक्त बचते हैं. कांग्रेस के पास अपने 15 विधायक हैं. ऐसे में कांग्रेस के 15 में जेएमएम के तीन को जोड़ते हैं तो यह आंकड़ा 18 पर पहंच जाता है. इसके अलावा जेवीएम छोड़कर कांग्रेस में आए प्रदीप यादव व बंधु तिर्की को मिलाकर 20 हो जाता है. इसके अलावा आरजेडी, एनसीपी और माले के एक-एक विधायकों का भी कांग्रेस को खुले तौर पर समर्थन है.

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कांग्रेस ने 23 विधायकों का समर्थन जुटा लिया है और तीन विधायकों की समर्थन के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कमान संभाल ली है. हेमंत सोरेन ने राज्यसभा चुनाव के लिए आजसू प्रमुख से मंगलवार को मुलाकात कर गठबंधन प्रत्याशी के लिए समर्थन मांगा है. आजसू के दो विधायक हैं, जिन पर बीजेपी की भी नजर है. ऐसे में अगर आजसू सरकार के साथ आती है तो बीजेपी के लिए अपने प्रत्याशी को जिताना मुश्किल हो जाएगा. वहीं, कांग्रेस ने आसजू के साथ-साथ निर्दलीय विधायक अमित यादव से भी समर्थन मांगा है और बुधवार को डिनर पार्टी में बुलाया है.

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वहीं, बीजेपी के पास कुल 25 विधायक हैं और बाबूलाल मरांडी के शामिल होने के बाद यह संख्या बढ़कर 26 हो गया है, लेकिन बीजेपी ढुलू महतो को जमानत नहीं मिलने से यह आंकड़ा 25 ही रह गया है. इसके अलावा निर्दलीय विधायक सरयू राय का साथ मिलने के बाद बीजेपी 26 विधायकों का ही समर्थन जुटा पा रही हैं. ऐसे में बीजेपी की कोशिश है कि वो किसी तरह से 27 विधायकों का समर्थन हासिल कर ले जाए ताकि सेंकड वरियता का कोई झमेला न फंसे.

इसीलिए बीजेपी निर्दलीय अमित यादव से लेकर आजसू तक को साधने की कोशिश में जुटी है. आजसू के प्रमुख सुदेश महतो तो बीजेपी प्रत्याशी दीपक प्रकाश के प्रस्तावक बने हैं. इसके बावजूद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा उम्मीदवार दीपक प्रकाश ने सत्ता पक्ष पर जोड़-तोड़ का आरोप लगाया है. सत्ता पर रहने वाली पार्टी ही झारखंड में राज्यसभा का चुनावी जंग फतह करती है.

झारखंड में नोट फॉर वोट का रहा है इतिहास

राज्यसभा चुनाव के दौरान झारखंड मे हार्स ट्रेडिंग का इतिहास रहा है. 2012 के राज्यसभा चुनाव में दो सीटों के लिए पांच कैंडिडेट मैदान में उतरे थे. इनमें आरके अग्रवाल, पवन धूत, प्रदीप बालमुचू, अजय मारू और संजीव कुमार प्रत्याशी थे. इस चुनाव में नोट फॉर वोट का जबरदस्त खेल हुआ था, जिसके चलते वोटिंग के दिन चुनाव को निरस्त करना पड़ा था. इसके बाद दोबारा हुई चुनाव में जेएमएम के संजीव कुमार और प्रदीप बालमुचू जीतने में कामयाब रहे थे.

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