हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार से मंगलवार को तीन निर्दलीय विधायकों ने अपना समर्थन वापस ले लिया है, जिसके बाद राज्य सरकार अल्पमत में आ गई है. इन तीनों विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन दिया है. निर्दलीयों के पालाबदल से राजनीतिक समीकरण भी बदल गए हैं. हालांकि, सरकार गिरने का खतरा नहीं है. बीजेपी ने 47 विधायकों का समर्थन होने का भी दावा किया है. अब विधानसभा चुनाव तक हरियाणा में अल्पमत की सरकार चलेगी. यानी 4 महीने तक सैनी सरकार पर खतरा नहीं है. हरियाणा में इसी साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं.
हरियाणा में निर्दलीय के हाथ खींचने के बाद सियासत भी गरमा गई है. मंगलवार सुबह से अटकलें थीं कि पूंडरी से निर्दलीय विधायक रणधीर गोलन, चरखी दादरी से निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान और नीलोखेड़ी से निर्दलीय विधायक धर्मपाल गोंदल हरियाणा की बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेने जा रहे हैं. इस बीच, शाम को तीनों निर्दलीय विधायक रोहतक पहुंचे और पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा से मुलाकात की. उसके बाद लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान कर दिया. इतना ही नहीं, तीनों निर्दलीय विधायकों ने कांग्रेस के लिए प्रचार करने का भी आश्वासन दिया. निर्दलीय विधायकों ने राज्यपाल को भी चिट्ठी लिखकर बीजेपी से समर्थन वापसी के बारे में जानकारी दे दी है. कांग्रेस ने सीएम नायब सैनी के इस्तीफे और हरियाणा में राष्ट्रपति शासन तक की मांग कर दी है.
हरियाणा में बहुमत के लिए जादुई आंकड़ा क्या है?
हरियाणा की मौजूदा विधानसभा में कुल 88 सदस्य हैं. बहुमत का आंकड़ा 45 है. सरकार के पास 43 विधायकों का समर्थन है. इनमें एक HLP और दो निर्दलीय विधायक शामिल हैं. यानी बीजेपी की सरकार को बहुमत के लिए दो विधायकों की कमी है. हालांकि, बीजेपी का दावा है कि सरकार पर कोई संकट नहीं है. उसके साथ अपने 40 विधायक हैं और दो निर्दलियों और गोपाल कांडा के साथ ही JJP के 4 विधायकों का समर्थन है. यानी 47 विधायक हैं और इसलिए सरकार को कई खतरा नहीं है.
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सरकार पर कोई संकट नहीं है
दरअसल, हाल के दिनों में JJP के कुछ विधायकों ने बीजेपी को समर्थन देने का संकेत दिया था. हालांकि, JJP ने मार्च में गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. सदन में बीजेपी के 40, कांग्रेस के 30 और जेजेपी के 10 विधायक हैं. सीएम नायब सिंह सैनी ने कहा कि सरकार पर कोई संकट नहीं है.
6 महीने तक सरकार पर कोई संकट नहीं
सवाल उठ रहा है कि क्या हरियाणा सरकार पर तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापसी से बड़ा संकट आ गया है या क्या सरकार अल्पमत में आ गई है? तो इसका जवाब है- हां, क्योंकि अभी बीजेपी के पास 43 विधायकों का समर्थन है, जिसमें 40 विधायक अपने और तीन अन्य विधायक हैं. बीजेपी ने जेजेपी के भी चार विधायकों का समर्थन होने का दावा किया है. दूसरा सवाल है कि क्या तीन निर्दलीयों के समर्थन वापसी से कांग्रेस के पास सरकार बनाने का कोई मौका है? इसका फिलहाल जवाब है- नहीं- क्योंकि कांग्रेस के पास 30 विधायक हैं. तीन और जुड़े तो ये संख्या 33 हो जाती है. जेजेपी के 10 विधायक कांग्रेस के साथ तो फिलहाल जाने वाले नहीं हैं. और जाते भी हैं तो ये संख्या 43 ही होती है. अब तीसरा सवाल- क्या कांग्रेस अभी बीजेपी को बहुमत साबित करने के लिए सदन में कह सकती है. जवाब है- नहीं. क्योंकि 13 मार्च को ही नायब सिंह सैनी की सरकार ने बहुमत साबित किया है और नियम है कि इसके छह महीने तक कोई विश्वास मत परीक्षण नहीं हो सकता है. यानी 13 सितंबर तक विश्वास मत परीक्षण का प्रस्ताव कोई नहीं ला सकता है.
आखिरी सवाल यही बचता है कि आखिर कांग्रेस ने फिर तीन विधायकों का समर्थन लेकर अभी क्यों ताकत दिखानी चाही? इसकी वजह है लोकसभा का चुनाव. हरियाणा में 25 मई को मतदान एक साथ सभी 10 सीटों पर होना है.
महंगाई और किसानों के मुद्दे पर समर्थन वापस लिया
कांग्रेस को समर्थन देने पर निर्दलीय विधायक धर्मपाल गोंदर ने कहा, बीजेपी ने मुझे किसी भी कार्यक्रम में नहीं बुलाया. जबकि कांग्रेस पार्टी गरीब, किसानों के बारे में सोचती है. गोंदर ने कहा, हम सरकार से समर्थन वापस ले रहे हैं और कांग्रेस को समर्थन देने का फैसला किया है. हमने किसानों, महंगाई और बेरोजगारी समेत विभिन्न मुद्दों के कारण यह फैसला लिया है.
रणधीर गोलन ने कहा, हमने ईमानदारी के साथ बीजेपी सरकार को अपना समर्थन दिया था. लेकिन आज बेरोजगारी चरम पर है, महंगाई और किसान मुद्दे हैं. समाज का हर वर्ग तंग आ चुका है. लोगों को बहुत परेशानी हो रही है. जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने पहले इन मुद्दों पर क्यों नहीं बोला? गोलन ने कहा, किसान आंदोलन के दौरान भी उन्होंने अपनी आवाज उठाई थी.
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वहीं, सांगवान ने कहा, किसान आंदोलन के दौरान हमने उनकी (बीजेपी सरकार) गलत नीतियों का विरोध किया. मैंने स्कूलों में पर्याप्त स्टाफ ना होने जैसे मुद्दे भी उठाए. उन्होंने कहा, हम राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटें जीतने में मदद करने के लिए कांग्रेस का समर्थन करेंगे.
सैनी ने 13 को सीएम पद की शपथ ली
हरियाणा में सैनी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने 13 मार्च को मनोहर लाल खट्टर की जगह नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी और अगले दिन सदन में ध्वनि मत से विश्वास मत जीता था. हाल ही में जेजेपी के कई विधायक सत्तारूढ़ बीजेपी के समर्थन में उतर आए हैं. करनाल से लोकसभा चुनाव लड़ रहे पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने करनाल से विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था. वहां से विधानसभा उपचुनाव में सीएम सैनी उम्मीदवार हैं. हरियाणा के पूर्व मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने भी मार्च में विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था. वे रानिया क्षेत्र से निर्दलीय विधायक थे. 24 मार्च को बीजेपी में शामिल होने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. वे बीजेपी के टिकट पर हिसार लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.
क्या है हरियाणा विधानसभा का नंबर गेम?
विधानसभा में कुल सीटें- 90
दो इस्तीफे के बाद सीटें- 88
अब बहुमत के लिए आंकड़ा- 45
किस पार्टी के कितने विधायक?
बीजेपी- 40
कांग्रेस- 30
जेजेपी- 10
हरियाणा लोकहित पार्टी- 1
इंडियन नेशनल लोकदल- 1
निर्दलीय विधायक- 6
बीजेपी का दावा- हमारे पास 47 विधायक?
पार्टी विधायक- 40
निर्दलीय- 2
एचएलपी- 1
जेजेपी- 4
खट्टर बोले- कोई असर नहीं पड़ता है...
पूर्व सीएम और बीजेपी नेता मनोहर लाल खट्टर ने कहा, चुनावी माहौल है. कौन किधर जाता है, किधर नहीं जाता- उससे असर नहीं पड़ता है. कई विधायक हमारे संपर्क में हैं, इसलिए किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है. कब, कौन क्या करेगा, चुनाव अभी लंबा चलेगा. वहीं, दिव्यांशु को भगौड़ा कहे जाने पर मनोहर लाल ने जवाब दिया है कि उन्हें कोर्ट ने पीओ कहा है और पीओ क्या होता है. खट्टर ने कहा, बात साफ है चुनावी माहौल है और ये बयानबाजी आगे भी जारी रहेगी.
कांग्रेस-जेजेपी और AAP ने क्या कहा...
हुड्डा ने कहा, सरकार को अब हट जाना चाहिए. राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए और चुनाव कराया जाना चाहिए. यह जनविरोधी सरकार है. हुड्डा ने समर्थन के लिए तीनों विधायकों का आभार जताया और कहा, उन्होंने जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया है. कांग्रेस नेता उदय भान ने कहा, तीनों निर्दलीय विधायकों ने कांग्रेस को अपना समर्थन दिया है. बीजेपी सरकार को पहले जेजेपी के 10 विधायकों और निर्दलीय विधायकों का समर्थन था, लेकिन जेजेपी ने भी समर्थन वापस ले लिया और अब निर्दलीय भी जा रहे हैं. नायब सिंह सैनी सरकार अब अल्पमत में है. सैनी को अपना इस्तीफा दे देना चाहिए. उन्हें एक मिनट भी रहने का अधिकार नहीं है.
इस बीच, जेजेपी नेता दिग्विजय सिंह चौटाला ने कहा, 'हुड्डा कहते हैं कि सरकार अल्पमत में है. वो विपक्ष के नेता हैं और उन्हें तुरंत राज्यपाल से मिलना चाहिए और उन्हें घटनाक्रम से अवगत कराना चाहिए. यह पूछे जाने पर कि क्या जेजेपी कांग्रेस को समर्थन देगी? चौटाला ने कहा, मैं यह नहीं कह रहा हूं कि जेजेपी कांग्रेस को समर्थन देने और उसके साथ सरकार बनाने को तैयार है. कम से कम जो सरकार लोगों का विश्वास खो चुकी है, उसे हटाने के लिए हुड्डा को प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि राज्यपाल से मिलने के अलावा हुड्डा को जेजेपी के साथ बातचीत का एक चैनल भी खोलना चाहिए. जेजेपी के 10 विधायक हैं.
कांग्रेस के समर्थन से कुरूक्षेत्र सीट से उम्मीदवार और हरियाणा में AAP के प्रदेश अध्यक्ष सुशील गुप्ता ने कहा, बीजेपी सरकार अल्पमत में है. उन्होंने कहा, मैं राज्यपाल से अनुरोध करता हूं कि इस सरकार को तुरंत बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सैनी को पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है और उन्हें अपना पद तुरंत छोड़ देना चाहिए.