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Vadodara Boat Accident... हाईकोर्ट ने नगर निगम को फटकारा, कहा- ठेका देकर सो गए थे!

वडोदरा के हरनी तालाब में हुई दुर्घटना में 12 बच्चों की मौत हुई थी. इसके बाद हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था. सोमवार को मामले में सुनवाई हुई. इसमें गुजरात सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ने एफिडेविट पेश किया. साथ ही मामले में अंतिम रिपोर्ट पेश की. 

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वडोदरा में नाव डूबने से छात्रों और टीचरों की मौत.(फाइल फोटो- PTI)
वडोदरा में नाव डूबने से छात्रों और टीचरों की मौत.(फाइल फोटो- PTI)

18 जनवरी को गुजरात के वडोदरा में बोट दुर्घटना हुई थी. इस हादसे ने 12 बच्चों की जिंदगी छीन ली थी. गुजरात हाईकोर्ट ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया था. मामले की सुनवाई में हाईकोर्ट ने नगर निगम को जमकर फटकार लगाई. जज ने कहा कि नगर निगम के सत्ताधीश ठेका देकर सो गए थे! कोर्ट ने नगर निगम के कमिश्नर से जवाब मांगा है.
 
दरअसल, वडोदरा के हरनी तालाब में हुई दुर्घटना में 12 बच्चों की मौत हुई थी. इसके बाद हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था. सोमवार को मामले में सुनवाई हुई. इसमें गुजरात सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ने एफिडेविट पेश किया. साथ ही मामले में अंतिम रिपोर्ट पेश की. 


सरकार की ओर से कहा गया कि इस दुर्घटना में ठेकेदार ने 14 लोगों की क्षमता वाली बोट में 30 लोग बैठाए थे. उनके पास लाइफ जैकेट नहीं थी. दुर्घटना के बाद राज्य के सभी तालाबों में जहां पर वॉटर एक्टिविटीज होती हैं, वहां पर रोक लगाई गई है. आगे की सूचना के बाद ही नियमों के पालन के साथ वाटर एक्टिविटी शुरू की जाएंगी. 

कोर्ट का सवाल- नगर निगम के कमिश्नर ने क्या किया?

उन्होंने आगे बताया कि इस मामले में 18 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और गिरफ्तारी भी हुई. इस पर कोर्ट ने सवाल पूछा कि नगर निगम के कमिश्नर ने क्या किया? यह सब तो दुर्घटना होने के बाद लिए गए एक्शन हैं. जब ठेका दिया गया तब उसकी निगरानी कौन कर रहा था. क्या यह नगर निगम के कमिश्नर की जिम्मेदारी नहीं है कि इसका सुपरविजन किया जाए? 

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'मैं खुद वहां गई, बिना लाइफ जैकेट मुझे वहां पर घुमाया'

कोर्ट ने कहा कि लग तो ऐसे रहा है कि नगर निगम ठेका देकर सो गया था और दुर्घटना के बाद अचानक जागा है. कोर्ट ने म्युनिसिपल कमिश्नर से जवाब मांगा है और सरकार को भविष्य के लिए पॉलिसी बनाने का आदेश दिया है, ताकि ऐसी दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदारी तय की जा सके और भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं से बचा जा सके. 

हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि नल सरोवर में जो बोटिंग होती है, वहां पर किसी भी प्रकार की सेफ्टी का पालन नहीं होता है. मैं खुद दो बार वहां पर गई हूं. उन्होंने बिना लाइफ जैकेट मुझे वहां पर घुमाया. हम सब ऐसे वक्त नियमों का पालन करना भूल जाते हैं.

ऐसी दुर्घटना के बाद ही हम इन सब चीजों के बारे में सोचते हैं. कोर्ट ने सरकार को इसके लिए 3 सप्ताह का वक्त दिया है. उसके बाद फिर सुनवाई होगी. इसमें ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कदमों पर बात होगी. दुर्घटना पर सरकार जांच रिपोर्ट भी पेश करेगी.

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