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गुजरात: मेहसाणा में बिना कद्दावर नेता के चुनाव कैसे जीतेंगे अरविंद केजरीवाल? जानिए क्या है 'आप' का प्लान

गुजरात के जिस जिले से बीजेपी का उदय हुआ था, उस मेहसाणा पर अरविंद केजरीवाल की नजर है. मेहसाणा में पाटीदारों-पटेलों का दबदबा है. यह वह क्षेत्र हैं, जहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गृहमंत्री अमित शाह और गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री व यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन आती हैं. इसे गुजरात की राजनीति का केंद्र माना जाता है.

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चौथे दौरे के लिए गुजरात पहुंचे अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
चौथे दौरे के लिए गुजरात पहुंचे अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सीएम अरविंद केजरीवाल का गुजरात में चौथा दौरा
  • गुजरात में 2022 के अंत में होने हैं विधानसभा चुनाव

आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल सोमवार को मेहसाणा में तिरंगा यात्रा में शामिल हुए. गुजरात विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आम आदमी पार्टी की 15 मई से शुरू हुई यह यात्रा मेहसाणा में खत्म हो गई. इस तरह आम आदमी पार्टी खुद को गुजरात में सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्षी कांग्रेस के विकल्प के रूप में पेश करने की कोशिश कर रही है. 

मेहसाणा जिले में पाटीदारों का अच्छा वोट बैंक है. इस बार कांग्रेस से पाटीदारों को खास उम्मीद नहीं है. अरविंद केजरीवाल उत्तर गुजरात की राजनीति में दाखिल होना चाहते हैं और मेहसाणा प्रवेश द्वार है. अगर मेहसाणा में आप को एंट्री मिल जाती है तो आसपास के जिलों में भी आम आदमी पार्टी को अच्छी सफलता मिल सकती है.

हालांकि मेहसाना की राजनीति में जो ट्रेंड चल रहा है, उसके मुताबिक ठाकुर कांग्रेस और पाटीदार बीजेपी के साथ रहे हैं ऐसे में आम आदमी पार्टी के लिए इन वोटों में सेंध लगा पाना असंभव सा लग रहा है.. 

आप की पाटीदार, ठाकुर, चौधरी वोट पर नजर

अरविंद केजरीवाल इस कोशिश में हैं कि बीजेपी से नाराज पाटीदार आम आदमी पार्टी में शामिल में हो जाएं लेकिन मेहसाणा की राजनीति में ठाकुर और चौधरी समाज के मतदाताओं को भी काफी प्रभाव है.

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यहां ठाकुर समाज के मतदाताओं का झुकाव ज्यादातर कांग्रेस की तरफ रहा है लेकिन पिछले कुछ समय से ठाकुर मतदाताओं को अपनी ओर खींचने में बीजेपी को काफी सफलता हासिल हुई है.

फिर भी गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष जगदीश ठाकुर खुद इसी समुदाय से आते हैं. इस समीकरण के चलते कांग्रेस इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और आम आदमी पार्टी के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर सकती हैं. 

आम आदमी पार्टी के लिए मुश्किल है राह

आम आदमी पार्टी के पास अभी पाटीदार, ठाकुर और चौधरी समाज का कोई बड़ा नेता नहीं है. बिना इन समाज के नेताओं के किसी पार्टी को जीत मिलना असंभव जैसा है.

गुजरात की राजनीति को देख रहे सीनियर पत्रकार मानते हैं कि आम आदमी पार्टी पैर जमाने के लिए भरपूर प्रयास कर रही है. वह अरविंद केजरीवाल की इमेज को सामने रखकर चुनाव में मजबूती से अपना पक्ष रख सकती है लेकिन सिर्फ इमेज के आधार पर चुनाव नहीं जीता जा सकता है. 

बीजेपी गुजरात भर में अपनी कम्युनिटी पर पकड़ रखने वाले नेताओं को काफी महत्व देती है. आम आदमी पार्टी के पास यह सबसे बड़ी कमी है कि उनके पास उत्तर गुजरात में दिखाने के लिए एक भी चेहरा नहीं है. सौराष्ट्र के पटेलों के लिए गोपाल इटालिया को चेहरा बनाने का प्रयास कर रहे हैं. 

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गुजरात के पूर्व गृहमंत्री पर आप की नजर

गुजरात के पूर्व गृह मंत्री विपुल चौधरी पर भी केजरीवाल की नजर है. विपुल चौधरी काफी कद्दावर नेता हैं. केशुभाई की सरकार में काफी छोटी उम्र में इन्हें मंत्री पद मिल गया था लेकिन जब शंकर सिंह वाघेला ने बगावत कर राजपा बनाई तो वह राजपा में चले गए. राजपा की सरकार में वह छोटी उम्र में गृह मंत्री बना दिए गए. बाद में शंकरसिंह के साथ कांग्रेस का दामन थाम लिया लेकिन यहां उनका राजनीतिक करियर लंबे नहीं चल पाया.

इसके बाद विपुल चौधरी सहकारी सेक्टर की तरफ अपना फोकस कर लिया. सालों तक दूधसागर डेयरी पर अपना वर्चस्व जमाया. हाल में भ्रष्टाचार के आरोप में उन्हें चेयरमैन का पद गंवाना पड़ा. अभी वह बीजेपी में जरूर है लेकिन कभी भी बगावत कर सकते हैं, इसलिए आम आदमी पार्टी की नजर विपुल चौधरी पर भी बनी हुई है. हालांकि भ्रष्टाचार के मामले का समाना कर रहे वाघेला का केजरीवाल के साथ जाना इतना भी आसान नहीं होगा.  

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