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गुजरात का सहकारी मॉडल बना महिला सशक्तिकरण की मिसाल, सालाना इनकम 9000 करोड़ के पार

पिछले पांच वर्षों में गुजरात में महिलाओं द्वारा संचालित दुग्ध समितियों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. वर्ष 2020 में इन समितियों की अनुमानित दैनिक आय 17 करोड़ रुपये थी, जिससे सालाना आय लगभग 6,310 करोड़ रुपये रही.

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गुजरात में गांव की महिलाएं बनीं आर्थिक बदलाव की अग्रदूत
गुजरात में गांव की महिलाएं बनीं आर्थिक बदलाव की अग्रदूत

5 जुलाई का दिन पूरे देश में अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के तौर पर मनाया जा रहा है. ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं के नेतृत्व को सशक्त बनाने के लिए भारत सरकार ने सहकारी मॉडल को प्राथमिकता दी है.

अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस के अवसर पर गुजरात सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले 5 वर्षों (2020 से 2025 तक) में महिलाओं के नेतृत्व वाली दूध सहकारी समितियों की संख्या 3,764 से बढ़कर 4,562 हो गई है यानी 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. जो बताता है, राज्य की सहकारी समितियों में महिलाओं की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है.

गुजरात के सहकारिता विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, दुग्ध संघों में भी महिला नेतृत्व में वृद्धि हुई है. वर्ष 2025 में दुग्ध संघों के बोर्ड में 82 निदेशकों के रूप में 25% महिला सदस्य है. गुजरात की दुग्ध सहकारी समितियों में महिला सदस्यों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है. 

महिलाओं का वर्चस्व

गुजरात में लगभग 36 लाख दुग्ध उत्पादक सदस्यों में से लगभग 12 लाख यानी 32% दुग्ध उत्पादक सदस्य महिलाएं हैं. ग्रामीण स्तर की सहकारी समितियों की प्रबंधन समितियों में महिलाओं की भागीदारी में भी 14% की वृद्धि हुई है. इन प्रबंधन समितियों में महिलाओं की संख्या 70,200 से बढ़कर 80,000 हो गई है.

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अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस के अवसर पर गुजरात कोआपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (जीसीएमएमएफ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, गुजरात में  2020 में महिलाओं द्वारा संचालित दुग्ध सहकारी समितियों द्वारा दूध की खरीद 41 लाख लीटर प्रति दिन (एलपीडी) थी जो 2025 में 39% बढ़कर 57 लाख लीटर प्रति दिन हो गई है. यह वर्तमान में राज्य की कुल दूध खरीद का लगभग 26% है.

प्रतिदिन 25 करोड़ की आय

गुजरात में महिलाओं द्वारा संचालित दुग्ध समितियों की अनुमानित दैनिक आय 2020 में 17 करोड़ थी और इसी के अनुरूप वार्षिक आय 6,310 करोड़ थी. यह आंकड़ा पिछले पांच वर्षों में बढ़कर 2025 में 25 करोड़ प्रतिदिन हो गया है, जिससे अनुमानित वार्षिक आय 9,000 करोड़ को पार कर गई है. यानी इस अवधि में महिलाओं द्वारा संचालित समितियों की आय में 2,700 करोड़ की वृद्धि हुई है, जो 43% की उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है.

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