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गुजरात में CM-स्पीकर, मंत्री सब बदल गए...कितना सफल होगा बीजेपी का 'नो रिपीट फॉर्मूला'?

गुजरात में बीजेपी ने विजय रुपाणी को हटाकर पहली बार विधायक बने भूपेंद्र पटेल की सत्ता की कमान सौंपी गई तो 'नो रिपीट' फॉर्मूला अपनाते हुए बीजेपी ने पुराने मंत्रियों की जगह सभी नए चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह दी है. यह फॉर्मूला बीजेपी ने गुजरात के निकाय चुनाव में आजमाया था और सफल रही थी.

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भूपेंद्र पटेल और विजय रुपाणी
भूपेंद्र पटेल और विजय रुपाणी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • गुजरात मंत्रिमंडल के पुराने चेहरे बदल दिए गए हैं
  • भूपेंद्र पटेल सरकार में सभी नए मंत्री बनाए गए हैं
  • बीजेपी ने निकाय चुनाव में नो रिपीट थ्योरी अपनाई थी

गुजरात में बीजेपी ने मुख्यमंत्री बदलने के बाद अब पूरी सरकार का चेहरा भी बदल दिया है. विजय रुपाणी को हटाकर पहली बार विधायक बने भूपेंद्र पटेल की सत्ता की कमान सौंपी गई तो 'नो रिपीट' फॉर्मूला अपनाते हुए बीजेपी ने पुराने मंत्रियों की जगह सभी नए चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह दी है. इतना ही नहीं विधानसभा अध्यक्ष भी बदल दिया है. भारतीय राजनीति में पहली बार बीजेपी ने गुजरात में यह प्रयोग किया है. ऐसे में देखना है कि गुजरात में अगले साल अक्टूबर-नवबंर में होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को नए चेहरों को आगे बढ़ाने का सियासी लाभ क्या मिलता है. 

भूपेंद्र पटेल सरकार के मंत्रिमंडल में कुल 24 नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली है, जिनमें 10 कैबिनेट और 14 राज्यमंत्री बनाए गए हैं. कैबिनेट मंत्री के तौर पर राजेंद्र त्रिवेदी, जीतू वाघानी, राघव पटेल, पूर्णेश मोदी, नरेश भाई पटेल, प्रदीप सिंह परमार, अर्जुन सिंह चव्हाण, ऋषिकेश पटेल, कनुभाई देसाई और किरीट सिंह राणा ने शपथ ली.

वहीं, राज्य मंत्री के तौर पर हर्ष सांघवी, बृजेश मेरजा, मनीषा वकील, जगदीश भाई पांचाल, जीतू भाई चौधरी, निमिषा सुतार, मुकेश पटेल, अरविंद रैयाणी, कुबेर डिंडोर, कीर्ति सिंह वाघेला, गजेंद्र सिंह परमार, देवा भाई मालम, राघवजी मकवाना, विनोद भाई मोराडिया ने शपथ लिया. 

विधानसभा अध्यक्ष भी बदल गए

गुजरात में मुख्यमंत्री और मंत्री ही नहीं बल्कि विधानसभा अध्यक्ष भी बदल दिया गया है. 2017 में विधानसभा स्पीकर का पद संभालने वाले राजेंद्र त्रिवेदी ने गुरुवार को इस्तीफा देकर भूपेंद्र पटेल सरकार में कैबिनेट मंत्री बन गए हैं. राजेंद्र त्रिवेदी की जगह बीजेपी ने निमा आचार्य  को स्पीकर बनाया है. आचार्य ने भी विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर शपथ ली है. 

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बीजेपी की सियासी प्रयोगशाला है गुजरात
 
गुजरात को बीजेपी की सियासी प्रयोगशाला के लिए जाना जाता है. राज्य में पार्टी ने समय समय पर परंपरागत राजनीति से हटकर कई सफल प्रयोग करती रही है और उसका उसे राजनीतिक लाभ मिलता रहा है. बीजेपी ने 'नो रिपीट' को गुजरात के नगर निकाय चुनाव में अपनाया था और पुराने चेहरे को हटाकर नए चेहरों को मैदान में उतारा था, जिसका पार्टी को फायदा हुआ था. 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कांटे की टक्कर देने वाली कांग्रेस का सफाया हो गया था.

गुजरात-दिल्ली निकाय चुनाव में सफल रहा फॉर्मूला

बीजेपी ने दिल्ली नगर निगम के 2017 चुनाव में सभी पार्षदों को टिकट काटकर उनकी जगह नए चेहरों को उतारा था. बीजेपी इस फॉर्मूले के जरिए सत्ता विरोधी लहर को खत्म करने के साथ-साथ आम आदमी पार्टी पार्टी के असर को एमसीडी चुनाव में बेअसर कर दिया था. बीजेपी ने इस फॉर्मूले को 2022 के चुनाव में आजमाने का दांव चला है और रुपाणी सरकार में शामिल सभी चेहरे को बदल दिया है. 

बीजेपी आलाकमान ने अब गुजरात में सीएम विजय रुपाणी के साथ-साथ पूरी सरकार को ही बदलकर सत्ता विरोधी लहर को खत्म करने का दांव चला है. पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी की 22 मंत्रियों वाली पूरी टीम बाहर हो गई है और उनकी जगह 24 मंत्रियों की कैबिनेट गठन किया गया है. भूपेंद्र पटेल सरकार में पूर्व उप-मुख्यमंत्री नितिन पटेल को भी शामिल नहीं किया गया है.  

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गुजरात में 15 महीने बाद गुजरात में विधानसभा चुनाव हैं. ऐसे में बीजेपी किसी भी हाल में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती. इसीलिए पुराने मंत्रियों को हटाकर नए चेहरो को कैबिनेट में शामिल कर सरकार की नई छवि पेश करना रणनीति का हिस्सा है. कैबिनेट में युवा चेहरों को जगह देकर पार्टी में नई ऊर्जा भरने का दांव चला है. 

जातीय और क्षेत्रीय समीकरण भी साधे

बीजेपी ने कैबिनेट के जरिए जातीय और क्षेत्रीय समीकरण साधने का दांव चला है. इसके अलावा कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए तीन नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है, जिनमें राघव पटेल, कृति सिंह झाला और बृजेश मेरजा शामिल हैं. पाटीदार समुदाय को संदेश देने के लिए बीजेपी ने सीएम के साथ-साथ पटेल समुदाय से सबसे ज्यादा कैबिनेट में जगह दी है. पटेल समुदाय से छह, ओबीसी चार, दो ब्राह्मण, 3 क्षत्रीय, चार आदिवासी, तीन दलित और एक जैन समुदाय से मंत्री को शामिल किया गया.  

राजनीतिक विश्लेषक सुधीर रावल ने कहा कि बीजेपी ने 2022 चुनाव के मद्देनजर पूरी सरकार का ही चेहरा बदल दिया है. मंत्रिमंडल के जरिए बीजेपी जातीय और क्षेत्रीय बैलेंस बनाने की कवायद की है. पाटीदार को खास तवज्जो दी है तो आदिवासी समुदाय को भी खास अहमियत दी है. रुपाणी सरकार में दो अदिवासी मंत्री थे जबकि भूपेंद्र पटेल सरकार में चार आदिवासी हैं. इस तरह से बीजेपी ने गुजरात के एक बेहतर संतुलन बनाने की कोशिश की है, लेकिन पुराने चेहरे को हटाया गया है. बीजेपी के लिए उन्हें साधकर रखना बड़ी चुनौती है, क्योंकि वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी के चलते शपथ ग्रहण कार्यक्रम एक दिन टाल दिया गया था. 

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