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वडोदरा की रहने वाली हैं कर्नल सोफिया कुरैशी... ऑपरेशन सिंदूर के बारे में दुनिया को बताकर नारी शक्ति की पेश की मिसाल

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता की जानकारी जब देश-दुनिया को दी गई, तो उस मंच पर एक महिला सैन्य अधिकारी की मौजूदगी ने सबका ध्यान खींचा. वह थीं कर्नल सोफिया कुरैशी. वडोदरा की इस बेटी ने न सिर्फ भारतीय सेना में अहम जिम्मेदारी निभाई, बल्कि मीडिया के सामने आत्मविश्वास और गर्व के साथ भारत की सैन्य रणनीतियों को भी साझा किया. कर्नल सोफिया साहस, समर्पण के साथ तमाम बेटियों के लिए प्रेरणा बन गई हैं.

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कर्नल सोफिया कुरैशी. (File)
कर्नल सोफिया कुरैशी. (File)

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के पीछे जहां भारतीय सेना की रणनीति और साहस है, वहीं उसे दुनिया के सामने मजबूती से रखने वाली एक खास आवाज भी है- कर्नल सोफिया कुरैशी. मूल रूप से वडोदरा की रहने वाली कर्नल सोफिया ने जब प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूरे आत्मविश्वास से ऑपरेशन की कामयाबी का ब्योरा दिया, तो पूरा देश उन्हें सलाम करने लगा. गुजरात की यह बेटी अब देशभर में बहादुरी, नेतृत्व और नारी शक्ति की मिसाल बन गई है.

MSU से बायोकेमिस्ट्री की पढ़ाई करने वाली सोफिया कुरैशी सेना में भर्ती होकर देश की सेवा कर रही हैं. गुजरात की बेटी कर्नल सोफिया कुरैशी ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बारे में मीडिया को संबोधित किया और पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा.

वडोदरा की रहने वाली हैं कर्नल सोफिया कुरैशी... ऑपरेशन सिंदूर के बारे में बताकर नारी शक्ति की बनीं मिसाल

कर्नल सोफिया कुरैशी मूल रूप से वडोदरा की रहने वाली हैं और एमएस की छात्रा हैं. उन्होंने साल 1997 में विश्वविद्यालय से बायोकेमिस्ट्री में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की. अपने वैज्ञानिक अध्ययन के बाद उन्होंने भारतीय सेना को चुना और सिग्नल कोर में शामिल होकर कई सफलताएं हासिल कीं. उनके दादा भी भारतीय सेना से जुड़े थे, जिन्होंने धार्मिक शिक्षक के रूप में सेवा में योगदान दिया था. सैन्य परंपरा में पली-बढ़ीं सोफिया और उनके पति आज भारतीय सेना की मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री में अधिकारी हैं. दोनों देश की रक्षा के लिए समर्पित हैं.

साल 2016 में कर्नल सोफिया ने भारतीय सेना के इतिहास में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की. वह भारतीय सेना का नेतृत्व करने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं और आसियान प्लस देशों के बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास 'फोर्स 18' में भाग लेने वाले 18 देशों में एकमात्र महिला कमांडर बनीं. उनके नेतृत्व में भारतीय टीम ने वैश्विक स्तर पर अपने कौशल और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन किया.

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उन्होंने न केवल क्षेत्र में योद्धाओं की भूमिका निभाई है, बल्कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय शांति मिशनों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है. संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों के तहत उन्हें 2006 में छह वर्ष के कार्यकाल के लिए कांगो में तैनात किया गया था. उन्होंने शांति स्थापना और मानवीय सहायता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया है. उनका स्पष्ट संदेश है कि संघर्ष क्षेत्रों में शांति लाने के प्रयास मेरे लिए गौरव का क्षण रहे हैं.

कर्नल सोफिया ने विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ मिलकर देश की सुरक्षा पर संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया. उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की जीत और सेना द्वारा अपनाई गई रणनीतियों का विवरण मीडिया के समक्ष प्रस्तुत किया. जब देश के सुरक्षा कवच में खड़े सैन्य प्रमुखों में महिला अधिकारियों का नाम शामिल होता है तो यह पूरे देश के लिए गर्व की बात होती है.

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