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शामली, उखरुल के बाद अमरेली... 12 घंटों में तीन राज्यों में हिली धरती, अफगानिस्तान में भी भूकंप के झटके

गुजरात के अमरेली में भूकंप के झटके महसूस किए गए है. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.2 दर्ज की गई है. इसमें किसी के हताहत होने या संपत्ति के नुकसान की कोई खबर नहीं है. इंस्टीट्यूट ऑफ सीस्मोलॉजिकल रिसर्च (आईएसआर) ने अपने अपडेट में कहा कि भूकंप का केंद्र अमरेली शहर के 43 किमी दक्षिण-दक्षिण पूर्व (एसएसई) में रिकॉर्ड किया गया है.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

शनिवार के दिन की शुरुआत होते ही देश के दो राज्यों में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. वहीं बीते 12 घंटों में देश मेंं कुल तीन जगह धरती हिली है.अब गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के अमरेली जिले में शनिवार सुबह 3.2 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए. इसमें किसी के हताहत होने या संपत्ति के नुकसान की कोई खबर नहीं है. इंस्टीट्यूट ऑफ सीस्मोलॉजिकल रिसर्च (आईएसआर) ने अपने अपडेट में कहा कि भूकंप का केंद्र अमरेली शहर के 43 किमी दक्षिण-दक्षिण पूर्व (एसएसई) में रिकॉर्ड किया गया है. बता दें कि इससे पहले 30 जनवरी को गुजरात के कच्छ जिले में 4.2 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था.

गौरतलब है कि इससे पहले मणिपुर के उखरुल में भी शनिवार सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए. यह भूकंप सुबह 6 बजकर 14 मिनट पर आया. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने जानकारी दी कि उखरुल में 4.0 की तीव्रता से भूकंप के झटके महसूस किए गए. 

इससे पहले शुक्रवार रात उत्तर प्रदेश के शामली में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए. जानकारी के मुताबिक रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.2 मापी गई. शुरुआती जानकारी के मुताबिक भूंकप की वजह से किसी तरह के जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है. 

वहीं बाहर देश की बात करें तो आज सुबह ही अफगानिस्तान में भी 4.3 तीव्रता का भूकंप आया है.

क्यों आता है भूकंप?

आपको बता दें कि धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है. इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर कहा जाता है. ये 50 किलोमीटर की मोटी परत कई वर्गों में बंटी हुई है जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है. यानी धरती की ऊपरी सतह 7 टेक्टोनिक प्लेटों से मिलकर बनी है. ये प्लेटें कभी भी स्थिर नहीं होती, ये लगातार हिलती रहती हैं, जब ये प्लेटें एक दूसरे की तरफ बढ़ती है तो इनमें आपस में टकराव होता है. कई बार ये प्लेटें टूट भी जाती हैं.

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इनके टकराने से बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है जिससे इलाके में हलचल होती है. कई बार ये झटके काफी कम तीव्रता के होते हैं, इसलिए ये महसूस भी नहीं होते. जबकि कई बार इतनी ज्यादा तीव्रता के होते हैं, कि धरती फट तक जाती है.

 

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