बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और दीपू चंद्र दास की मॉब लिंचिंग को लेकर राजधानी दिल्ली में माहौल गरमा गया है. विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी), बजरंग दल और अन्य हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को बांग्लादेश हाई कमीशन के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने बैनर-पोस्टर हाथ में लेकर नारेबाजी की और बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की.
VHP ने चाणक्यपुरी में विरोध प्रदर्शन खत्म करने की अपील की है. प्रदर्शनकारियों से पीछे हटने को कहा गया है. हिरासत में लिए गए VHP प्रदर्शनकारियों वाली एक बस आगे बढ़ी. इससे पहले प्रदर्शन में शामिल एक कार्यकर्ता ने कहा, "बांग्लादेश में हिंदुओं को मारा जा रहा है, यह अत्याचार अब बर्दाश्त नहीं किया जा सकता." प्रदर्शन की घोषणा के पहले से ही दिल्ली पुलिस अलर्ट मोड में थी. हाई कमीशन के बाहर तीन स्तर की बैरिकेडिंग की गई है और पुलिस के साथ-साथ अर्धसैनिक बलों की भी तैनाती की गई है. सड़क के दोनों ओर बैरिकेड्स लगाए गए हैं और पूरे इलाके में सीसीटीवी से निगरानी की जा रही है.
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पुलिस सूत्रों के मुताबिक, शनिवार को भी 15 से 20 प्रदर्शनकारी हाई कमीशन के पास पहुंचे थे, जिन्हें पांच मिनट के भीतर हटा दिया गया था. कुछ लोगों को हिरासत में लेकर दिल्ली पुलिस और खुफिया एजेंसियों ने पूछताछ की, जिसके बाद उन्हें छोड़ दिया गया. मंगलवार को भी प्रदर्शनकारियों को दुर्गाबाई देशमुख साउथ कैंपस मेट्रो स्टेशन के पास ही रोकने की रणनीति अपनाई गई.
राजनयिक मिशनों की सुरक्षा पर बांग्लादेश की चिंता
इस बीच, बांग्लादेश सरकार ने भारत में अपने राजनयिक मिशनों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता जताई है. बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भारतीय उच्चायुक्त के सामने नई दिल्ली और सिलीगुड़ी में हुए घटनाक्रम पर आपत्ति दर्ज कराई. बयान में कहा गया कि "राजनयिक प्रतिष्ठानों के खिलाफ किसी भी तरह की हिंसा या धमकी अस्वीकार्य है और इससे शांति, सहिष्णुता और आपसी सम्मान के सिद्धांत कमजोर होते हैं."
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बांग्लादेश में भारतीय दूतावास की सुरक्षा कड़ी
उधर, हिंसा और उग्र प्रदर्शनों के बाद ढाका स्थित भारतीय दूतावास की सुरक्षा भी कड़ी कर दी गई है. दूतावास के चारों ओर हथियारबंद पुलिस बल तैनात है, जबकि प्रमुख गेटों पर बांग्लादेशी सेना बख्तरबंद गाड़ियों के साथ मौजूद है. राजशाही और चित्तगांव जैसे इलाकों में भी भारी प्रदर्शन की खबरें हैं. दीपू चंद्र दास की हत्या के बाद से यह मामला सिर्फ कानून-व्यवस्था का नहीं, बल्कि अब एक संवेदनशील कूटनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है, जिस पर दोनों देशों की नजरें टिकी हुई हैं.