नौसेना से हटाए गए ऐतिहासिक युद्धपोत आईएनएस विराट को तोड़ने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है. याचिकाकर्ता ने कहा इसे तोड़ने से अच्छा है कि इसे म्यूजियम में तब्दील कर दिया जाए. विमान वाहक पोत विराट को 1987 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था. सुप्रीम कोर्ट उस कीमत की जांच करने के लिए सहमत है जिस पर कोई फर्म इसे श्री राम शिप ब्रेकर्स से खरीद सकती है.
साल 2017 में आईएनएस विराट को नौसेना से रिटायर कर दिया गया था. इसके बाद श्रीराम ग्रुप की शिप ब्रेकर कम्पनी ने इसी साल नीलामी में 38.54 करोड़ रुपये में विराट को खरीद लिया था. भारतीय समुद्री विरासत के प्रतीक इस युद्धपोत को पिछले हफ्ते गुजरात के अलंग यार्ड में पहुंचाया गया, जहां इसे तोड़कर कबाड़ में उपयोग किया जाना था.
इससे पहले शिवसेना ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर सेवा से मुक्त हो चुके विमानवाहक पोत आईएनएस विराट को संरक्षित करने का प्रस्ताव भेजा था. शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा था कि आईएनएस विराट ने लगभग 30 सालों तक देश को सेवा दी है. ऐसे में नौसेना की विरासत को कबाड़ में बदलने से हमारी धरोहर नष्ट हो जाएगी.
लहरों के सिकंदर के नाम से मशहूर आईएनएस विराट भारत का दूसरा विमान वाहक पोत है, जिसने भारतीय नौसेना में 30 वर्ष तक सेवा दी है. इससे पहले उसने ब्रिटेन के रॉयल नेवी में 25 वर्षों तक सेवा दी. इसका ध्येय वाक्य 'जलमेव यस्य, बलमेव तस्य' था. जिसका मतलब होता है, 'जिसका समंदर पर कब्जा है वही सबसे बलवान है.'
आईएनएस विराट एक प्रकार से चलता-फिरता शहर था. इस पर लाइब्रेरी, जिम, एटीएम, टीवी और वीडियो स्टूडियो, अस्पताल, दांतों के इलाज का सेंटर और मीठे पानी का डिस्टिलेशन प्लांट जैसी सुविधाएं थीं. 226 मीटर लंबा और 49 मीटर चौड़े आईएनएस विराट ने भारतीय नौसेना में शामिल होने के बाद जुलाई 1989 में ऑपरेशन जूपिटर में पहली बार श्रीलंका में शांति स्थापना के लिए ऑपरेशन में हिस्सा लिया था.
2001 में भारतीय संसद पर हमले के बाद ऑपरेशन पराक्रम में भी विराट की भूमिका थी. विराट ने छह दशक से ज्यादा समय समुद्र में बिताए. इस दौरान इसने दुनिया के 27 चक्कर लगाने में 1,094,215 किलोमीटर का सफर किया. आईएनएस विराट का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल है. ये दुनिया का एकलौता ऐसा जहाज है जो इतना बूढ़ा होने के बाद भी इस्तेमाल किया जा रहा था और बेहतर हालत में था.