नॉर्थ दिल्ली के सदर बाजार में शाही ईदगाह मस्जिद के बगल में बने डीडीए पार्क पर रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति को लगाने का मामला कुछ इस तरह है कि रानी लक्ष्मीबाई चौक, जहां रानी लक्ष्मी बाई की मूर्ति है, उस मूर्ति को वहां से हटाकर शाही ईदगाह के नजदीक बने डीडीए के पार्क में लगाने का फैसला किया गया है. यह फैसला संबंधित अथॉरिटी के द्वारा इसलिए लिया गया है ताकि ट्रैफिक से होने वाले जाम को कम किया जा सके.
लग जाता है लंबा जाम
चूंकि, रानी झांसी रोड पर जहां ये मूर्ति है, वो सड़क के बीच में है. इस कारण रोड पर लंबा ट्रैफिक लग जाता है. इस वजह से दिल्ली ट्रैफिक पुलिस को मशक्कत करनी पड़ती है. हाई कोर्ट के मुताबिक, जहां रानी लक्ष्मी बाई की मूर्ति लगनी है, वो डीडीए की जमीन है और उसे जमीन का शाही ईदगाह से कोई लेना देना नहीं है.
हाईकोर्ट ने लगाया था स्टे
दरअसल, डीडीए के पार्क में वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति को लगाया जाना है, लेकिन डीडीए के पार्क में वक्फ बोर्ड ने अपना मालिकाना हक जताते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जिसकी वजह से 19 सितंबर तक हाईकोर्ट ने स्टे लगा दिया था और मालिकाना हक जताने पर दोनों पक्षों को कागजात दिखाने का समय दिया था. इसके बाद बुधवार को इस मामले में हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए डीडीए के पक्ष में फैसला दिया.
कोर्ट ने बताया नेशनल हीरो
दिल्ली के शाही ईदगाह पार्क में झांसी की रानी की मूर्ति लगाने की इजाजत देने वाले दिल्ली HC के सिंगल जज के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को HC की डबल बेंच ने खारिज किया था.
दिल्ली HC ने टिप्पणी की थी कि हम महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं और आप एक महिला सेनानी की मूर्ति लगाने पर आपत्ति जता रहे हैं. HC ने कहा वह नेशनल हीरो हैं, इसे धार्मिक रूप नहीं देना चहिए, सभी धार्मिक सीमाओं के परे वह एक नेशनल हीरो हैं.
दरअसल, शाही ईदगाह की जमीन से लगते हुए 30000 वर्ग मीटर की डीडीए की जमीन है और उस जमीन के छोटे से हिस्से में इस मूर्ति को लगाने का काम एमसीडी द्वारा किया जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक एमसीडी शनिवार से एक बार फिर से मूर्ति को लगाने का काम शुरू कर सकती है.