दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सोशल मीडिया के जरिए आम आदमी पार्टी की सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि यमुना नदी की सफाई के लिए किए जा रहे प्रयासों को दिल्ली सरकार ने बाधित किया है. सक्सेना ने अपने बयान में कहा कि जब उन्होंने जून 2022 में नजफगढ़ नाले की सफाई को मिशन मोड में शुरू किया था, तो इसके परिणाम उत्साहजनक थे. इसके चलते राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने जनवरी 2023 में उनकी अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया, जिसे यमुना की सफाई और पुनरुद्धार की जिम्मेदारी सौंपी गई.
उपराज्यपाल ने बताया कि इस समिति की अध्यक्षता में उन्होंने पांच बैठकें आयोजित कीं, जिनमें यमुना सफाई के कार्यों को युद्धस्तर पर लागू किया गया. इसके परिणामस्वरूप, यमुना का 11 किलोमीटर का बाढ़ क्षेत्र धीरे-धीरे साफ और अतिक्रमण मुक्त होने लगा, और पानी की गुणवत्ता में भी सुधार देखने को मिला.
उन्होंने आरोप लगाया कि इन सकारात्मक परिणामों से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चिंतित हो गए कि कहीं यमुना सफाई का श्रेय उपराज्यपाल को न मिल जाए. इसलिए, केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर एनजीटी के आदेश पर जुलाई 2023 में स्थगन आदेश दिलवा दिया. इसके परिणामस्वरूप, पिछले पांच महीनों में सफाई के सारे काम रुक गए.
सक्सेना ने यह भी कहा कि इसके बाद के 16 महीनों में केजरीवाल सरकार ने यमुना सफाई के लिए कोई कदम नहीं उठाया. इसका नतीजा यह हुआ कि आज यमुना की स्थिति और भी बिगड़ गई है. समाचार माध्यमों में यमुना की बदतर हालत की रिपोर्टें लगातार प्रकाशित हो रही हैं, और हाल ही में महापर्व छठ पर श्रद्धालुओं को यमुना में अर्घ्य देने पर भी पाबंदी लगी.