दिल्ली के जहांगीरपुरी में बुधवार को उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने अवैध निर्माण व अवैध दुकानों पर बुलडोजर चलाया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अवैध अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई पर रोक लगा दी है लेकिन जब तक अधिकारियों को कोर्ट का आदेश मिलता तक तक कई दुकानों पर बुलडोजर चल चुका था. जिनकी दुकानें टूटीं वे खुद को बेगुनाह बता रहे हैं. उनका कहना है कि हिंसा कोई और फैला गया और प्रशासन जख्म हमें दे गया. बुलडोजर ने उनकी दशकों पुरानी मेहनत पलभर में तबाह कर दी. जानते हैं कि उनका दर्द जिनकी दुकानों पर कार्रवाई हुई.
'40 साल से लगा रहे थे दुकान, अब क्या करेंगे'
रेशमा अपने परिवार के साथ फुटपाथ पर गुमसुम बैठी हुई हैं. वह और उसका परिवार जहां बैठा है, उसी जगह पर वो चाय की दुकान चलाते थे. दुकान जहांगीरपुरी के हिंसा वाली जगह मस्जिद के सामने रोड की दूसरी तरफ है. एमसीडी के बुलडोजर ने उनकी चाय की दुकान तोड़ दी है. रेशमा बताती हैं कि वह 40 साल से इसी जगह पर दुकान लगाती आई हैं. 14 लोगों के परिवार का गुजारा इसी दुकान से होता है.
रेशमा कहती हैं कि उनके पूर्वज पश्चिम बंगाल से दिल्ली आए थे. रेशमा भी दिल्ली में ही जन्मी थीं. रेशमा कहती हैं कि इतने सालों में कभी यहां हिंदू-मुस्लिम के बीच कोई हिंसा नहीं हुई. इस बार ऐसी हिंसा हुई कि उन्हें अपने ही देश में बांग्लादेशी कहा जा रहा है. हम यहीं में पैदा हुए, यहीं बड़े हुए... किसी के कहने से बांग्लादेशी नहीं हो जाएंगे. दंगा किसी ने भी किया हो लेकिन उनके परिवार पर अब रोटी का संकट खड़ा हो गया है. अब हम लोग क्या करेंगे.
'पहले मना किया फिर सामान तोड़ने लगे'
रेहड़ी पटरी पर छोटी सी दुकान लगाने वाले अकबर और रहीमा अपनी टूटी दुकान देखकर दुखी हैं. मीडिया से बात के दौरान रहीमा गुस्से में चिल्लाती हैं, 'जिन्होंने दंगा किया उनको छोड़ दिया, हमारी दुकान तोड़ दी. क्या हम दंगाई थे, हम तो रेहड़ी पटरी वाले थे. रोजी रोटी कमाने का काम करते थे. 2006 से दुकान थी.'
अकबर बताते हैं कि आज (20 अप्रैल) सुबह जब एमसीडी वाले आए तो उनसे पूछा था कि क्या रेहड़ी वालों पर भी कार्रवाई होगी तो उन्होंने मना कर दिया था लेकिन फिर अचानक आए और सामान तोड़ने लगे. मेरा 70- 80 हजार रुपये का नुकसान हो गया. अकबर बताते हैं कि उसके पिता कोलकाता के रहने वाले हैं लेकिन वह दिल्ली में ही पैदा हुआ था.
'बाहरी लोगों ने ही बिगाड़ दिया माहौल'
मोहम्मद तहसीम यहां ठेकेदारी का काम करते हैं. वह कहते हैं कि हिंदू मुस्लिम सिख इसाई यहां सब वर्षों से साथ रहते आ रहे हैं. इससे पहले यहां कभी दंगा नहीं हुआ. अचानक से मुसिलमों के खिलाफ माहौल बनने लगा. अब लोग कहते हैं कि मस्जिद से स्पीकर हटाओ... क्यों हटाएं... स्पीकर क्या आज से लगे हैं ? कभी किसी लोकल ने तो कोई आपत्ति नहीं की. यहां बाहर के लोगों ने आकर माहौल खराब कर दिया.
बता दें कि दिल्ली के जहांगीरपुरी में 16 अप्रैल को हनुमान जयंती पर शोभायात्रा के दौरान हिंसा हो गई थी. जिसके बाद 20 अप्रैल को MCD ने इस इलाके में अवैध अतिक्रमण पर बुलडोजर चलाया है. हालांकि, अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में है जहां 21 अप्रैल को सुनवाई होनी है.