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दिल्ली: प्राइवेट स्कूलों में फीस बढ़ोतरी पर सरकार सख्त, तैयार किया एक्शन प्लान

दिल्ली सरकार ने निजी स्कूलों द्वारा भारी फीस बढ़ोतरी की शिकायतों पर सख्त कदम उठाए हैं. शिक्षा विभाग का कहना है कि वह इस समस्या को सुलझाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और इसके समाधान के लिए सख्त कदम उठा रहा है. विभाग ने कानूनी तौर पर मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों की अवैध शुल्क वृद्धि की शिकायतों की गहन जांच शुरू कर दी है.

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प्राइवेट स्कूलों में फीस बढ़ोतरी पर सरकार सख्त. (फाइल फोटो)
प्राइवेट स्कूलों में फीस बढ़ोतरी पर सरकार सख्त. (फाइल फोटो)

दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों द्वारा की जा रही अनियमित एवं अत्यधिक फीस वृद्धि पर अंकुश लगाने के लिए निगरानी बढ़ा दी है तथा सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है. सरकार ने ये कदम माता-पिता या अभिभावकों की लंबे वक्त से चली आ रही शिकायतों के जवाब में उठाया गया है.

दिल्ली में मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों द्वारा लगाए गए शुल्क दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम और नियम, 1973 द्वारा नियंत्रित होते हैं. दिल्ली के न्यायालयों ने अलग-अलग फैसलों के जरिए से शिक्षा निदेशालय के अधिकार को मान्यता दी है, जिससे ये सुनिश्चित हो कि मान्यता प्राप्त निजी स्कूल मनमाने और गैरकानूनी तरीके से शुल्क न बढ़ाएं.

लोगों के लिए चुनौती बनी फीस बढ़ोतरी

सरकार ने बयान जारी करके बताया है कि कई निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूल पिछले कई वर्षों से भारी और अनियमित शुल्क बढ़ोतरी कर रहे हैं. जो मिडिल और निम्न आय वाले परिवारों के लिए बड़ी आर्थिक चुनौती बन रही है.

शिक्षा विभाग ने इस लंबित समस्या पर संज्ञान लिया है. दिल्ली की रेखा सरकार ने साफ किया है कि कोविड के बाद की अवधि में यह समस्या और भी गंभीर हो गई, जब स्कूलों ने हर साल 25% से 30% की दर से अपनी फीस बढ़ाई. तब दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार थी. पिछले 5-8 वर्षों में कई शिकायतें प्राप्त हुईं, जहां माता-पिता ने कहा कि शुल्क न चुकाने पर विद्यार्थियों को प्रवेश पत्र नहीं दिया जा रहा है.

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'सरकार है प्रतिबद्ध'

शिक्षा विभाग का कहना है कि वो इस समस्या को सुलझाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और मनमाने ढंग से फीस वृद्धि करने वाले किसी भी निजी स्कूल के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

वहीं, विभाग ने कानूनी तौर पर मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों की अवैध शुल्क वृद्धि की शिकायतों की गहन जांच शुरू कर दी है. जिला मजिस्ट्रेटों के नेतृत्व में उच्च स्तरीय टीमें स्कूलों में आकस्मिक निरीक्षण कर रही हैं. शुक्रवार को ऐसी शिकायत मिलने के बाद टीम ने  डीपीएस द्वारका की जांच की गई थी.

'विशेष ऑडिट टीमों ऐसे स्कूलों की जांच'

इसके अलावा गैर-अनुपालन करने वाले संस्थानों के खिलाफ कड़े कदम उठाए जा रहे हैं, जिसमें स्कूल की मान्यता रद्द करना और प्रबंधन को सरकारी नियंत्रण में लेना शामिल है. विशेष ऑडिट टीमों द्वारा ऐसे स्कूलों के खातों की जांच भी की जाएगी.

निदेशालय ने यह भी सुनिश्चित किया है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों और वंचित समूहों के लिए प्रवेश प्रक्रिया और आसान हो. इसके लिए एक डेडीकेटेड नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है जो इस श्रेणी के छात्रों के लिए किताबें और यूनिफॉर्म उपलब्ध कराने में आ रही समस्याओं का तुरंत समाधान करेगा.

स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि वे माता-पिता को विशेष विक्रेताओं से किताबें और यूनिफॉर्म खरीदने के लिए मजबूर न करें. इसके अलावा शुल्क वृद्धि से संबंधित मामलों को तेज़ी से सुलझाया जा रहा है.

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शिक्षा विभाग ने कहा कि उसने सभी छात्रों के लिए समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के अपने संकल्प की पुष्टि की है, जिसके तहत वित्त वर्ष 2025-26 में बजट आवंटन में लगभग 2,000 करोड़ रुपये की वृद्धि की गई है.

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