Electricity Crisis in Delhi: कोयले की कमी के चलते दिल्ली में बिजली संकट खड़ा हो गया है. दिल्ली सरकार ने चेतावनी दी है कि राजधानी में बिजली की आपूर्ति करने वाले पावर प्लांट्स में कोयले की कमी है. दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि पूरा देश कोयला संकट से जूझ रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण रेलवे रैक की उपलब्धता का न होना है. इसके साथ ही उन्होंने इमरजेंसी मीटिंग भी बुलाई है. साथ ही केंद्र सरकार को पत्र लिखकर पर्याप्त कोयला सप्लाई की मांग की है. इसी बीच एक बड़ा सवाल ये है कि आखिर दिल्ली में बत्ती गुल होने का खतरा क्यों बढ़ गया है. इसके साथ ही राजधानी में बिजली की कितनी और कहां से सप्लाई होती है.
कहां से कितनी बिजली मिलती है दिल्ली को
राजधानी दिल्ली को सबसे अधिक बिजली NTP दादरी (756 मेगावॉट) और एनटीपीसी दादरी-2 (728 मेगावॉट) से मिलती है, इसके बाद दूसरा नंबर झज्जर थर्मल पावर प्लांट का आता है. दिल्ली को यहां से 693 मेगवॉट बिजली की मिलती है. इसके अलावा सासन से 446 मेगावॉट, एनटीपीसी रिहंद से 358 मेगावॉट, एनटीपीसी सिंगरौली से 300 मेगावॉट, कहलगांव से 157 मेगावॉट, एसजेवीएनएल नाथपा झाकरी से 142 मेगावॉट, एनटीपीसी ऊंचाहार से 100 मेगावॉट के साथ ही कुछ अन्य पावर प्लांट से भी से बिजली मिलती है.
दिल्ली के रिठाला में 94.2 मेगावॉट, राजघाट में 135 मेगावॉट, गैस टर्बाइन में 270 मेगावॉट, प्रगति स्टेज-1 मे 330 मेगावॉट और बवाना में 1372 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होता है. इसके अलावा तिमारपुर ओखला वेस्ट मैनेजमेंट लिमिटेड, दिल्ली म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट लिमिटेड और ईस्ट दिल्ली वेस्ट प्रोसेसिंग कंपनी लिमिटेड मिलकर 40 मेगावॉट बिजली का उत्पादन करती हैं.
...तो इस वजह से है बत्ती गुल होने का खतरा
दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया कि सामान्य परिस्थितियों में कोयले का स्टॉक लगभग 21 दिनों का होना चाहिए. लेकिन एनटीपीसी दादरी और ऊंचाहार सहित कई बिजली संयंत्र ऐसे हैं, जिनके पास अब सिर्फ एक दिन का कोयला स्टॉक बचा है. उन्होंने कहा कि बिजली का बैकअप नहीं है. बिजली का भंडारण नहीं किया जा सकता है. इसका उत्पादन प्रतिदिन होता है. लेकिन कोयले का भंडारण किया जाता है.
कैपेसिटी कितनी और प्रोडक्शन कितना
दिल्ली का अपना कोयले से चलने वाला प्लांट नहीं है. यहां 3 गैस बेस्ड पावर प्लांट हैं. इन तीनों की कैपेसिटी रोजाना 1900 मेगावाट की है, लेकिन अभी 1300 मेगावाट प्रोडक्शन ही हो रहा है. ऊर्जा मंत्री ने कहा कि दिल्ली में रोजाना 6000 मेगावाट की जरूरत है.
कोयला कम होने की एक वजह ये भी
दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया कि रेलवे रैक की कमी की वजह से कोयला संकट पैदा हो गया है. हमारे पास सामान्य तौर पर 21 दिनों का कोयला भंडार होना चाहिए. लेकिन दिल्ली को बिजली की आपूर्ति करने वाले बिजली संयंत्रों के पास महज 1 दिन का कोयला स्टॉक बचा है. हमने केंद्र सरकार से कोयला स्टॉक की उपलब्धता सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है. ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन कहते हैं कि पहले 450 रेल रैक उपलब्ध थे, अब इसे 405 कर दिया गया है. बिजली संकट टालने के लिए केंद्र से बेहतर समन्वय जरूरी है.
केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री ने बिजली संकट पर ये कहा
केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने कई राज्यों के बिजली संकट को लेकर आजतक से कहा कि ऊर्जा मंत्रालय पावर क्राइसिस पर लगातार निगरानी कर रहा है. इस बार ऊर्जा की जो डिमांड है, हमने उससे ज्यादा 204 गीगावॉट जनरेट की है. फिर भी जो परेशानी आ रही है, उस पर हमारी नजर बनी हुई है. बहुत जल्द इस समस्या को समाधान कर लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि हरियाणा में कुछ प्राइवेट सेक्टर भी बिजली बना रहे हैं. इस वजह से कुछ फाइनेंशियल क्राइसिस आ रही है, इस बारे में बात की जा रही है. जल्द ही समाधान हो जाएगा.
'कोयले की कमी पर न फैलाएं भ्रम'
उन्होंने कहा कि जहां तक कोल क्राइसिस की बात है तो उसका स्टॉक हमारे पास भरपूर है, जितनी जरूरत है उसे लाया जा रहा है. कुछ राज्य इस समस्या को लेकर इसका अलग तरीके से प्रचार कर रहे हैं जो ठीक नहीं है. ऊर्जा राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने कहा कि हमारे पास कोयले की कमी नहीं है. कोयले का स्टॉक हमारे पास है, जितना स्टॉक चाहिए, वह हमें मिल रहा है राज्य भ्रम ना फैलाएं.