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'मम्मी, मैं आखिरी बार आपका दिल तोड़ रहा…' छात्र के अंतिम संस्कार में बिलख पड़े परिजन, दिल्ली में किया था सुसाइड

वो 16 साल का था. दिल्ली के बड़े स्कूल में दसवीं क्लास में पढ़ता था. 18 नवंबर को राजेंद्रनगर मेट्रो स्टेशन के प्लेटफॉर्म से कूदकर उसने जान दे दी. नोट में उसने जो बातें लिखीं, वो दहला देने वाली हैं. उसने लिखा- मुझे अफसोस है कि मैंने यह किया, लेकिन स्कूल वालों ने ऐसा कहा कि मुझे यह करना पड़ा. अब इस केस में दिल्ली सरकार ने एक समिति गठित की है. वहीं छात्र का जब सांगली में अंतिम संस्कार हुआ तो परिजन बिलख पड़े.

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दसवीं के छात्र ने दिल्ली में कर लिया था सुसाइड. (Photo: Screengrab)
दसवीं के छात्र ने दिल्ली में कर लिया था सुसाइड. (Photo: Screengrab)

दिल्ली के प्रतिष्ठित स्कूल में पढ़ने वाले कक्षा 10 के छात्र शौर्य पाटिल की आत्महत्या के बाद परिवार सदमे में है. मंगलवार, 18 नवंबर को राजेंद्र नगर मेट्रो स्टेशन से कूदकर अपनी जान देने वाले इस छात्र ने डेढ़ पेज का सुसाइड नोट छोड़ा था, जिसमें उसने लिखा था- 'सॉरी मम्मी, मैं आखिरी बार आपका दिल तोड़ रहा हूं.' इस मामले ने न सिर्फ स्कूल सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए, बल्कि छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य व्यवस्था, स्कूल प्रशासन की संवेदनशीलता और जवाबदेही पर भी बहस छेड़ दी. मामला सामने आने के बाद दिल्ली सरकार हरकत में आई और शिक्षा निदेशालय ने तुरंत उच्च-स्तरीय जांच समिति गठित कर दी है, जो तीन दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.

शौर्य पाटिल मूल रूप से महाराष्ट्र के सांगली जिले के धवेलेश्वर गांव का रहने वाला था. उसके पिता प्रदीप पाटिल दिल्ली में पिछले कई वर्षों से सोने-चांदी के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. परिवार इस समय दिल्ली के राजीव नगर इलाके में रह रहा था और यहां नामी स्कूल में कक्षा 10 का स्टूडेंट था. मंगलवार को उसने राजेंद्र नगर मेट्रो स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 2 से कूदकर आत्महत्या कर ली.

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घटनास्थल से मिले बैग में एक सुसाइड नोट मिला, जिसमें वह स्पष्ट रूप से मानसिक उत्पीड़न की बात लिखता नजर आता है. सुसाइड नोट में लिखा- स्कूल वालों ने इतना कहा कि मुझे यह करना पड़ा… अगर जरूरत हो तो मेरे ऑर्गन डोनेट कर देना. शौर्य ने अपने माता-पिता से माफी मांगते हुए कई दिल तोड़ देने बातें लिखीं, और मौत के लिए स्कूल के कुछ शिक्षकों को जिम्मेदार ठहराया.

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यह भी पढ़ें: तीन शहरों में 3 स्टूडेंट्स ने की खुदकुशी...कहीं टीचर से परेशान बच्चा कूदा, कहीं दोस्तों की बुलिंग बनी वजह

दिल्ली पुलिस ने छात्र के सुसाइड नोट और पिता की शिकायत के आधार पर जिन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, उनमें प्रिंसिपल अपराजिता पाल , टीचर मनु कालरा, टीचर युक्ति महाजन,  टीचर जूली वर्गीस शामिल हैं. छात्र के पिता प्रदीप पाटिल का आरोप है कि उनके बेटे को लगातार डांटा जाता था और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था, जिसके कारण वह तनाव में था. पुलिस ने मामला दर्ज कर तफ्तीश शुरू कर दी है.

दिल्ली सरकार ने क्या कार्रवाई की?

मामले को गंभीरता से लेते हुए दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने एक उच्च-स्तरीय समिति गठित की है. समिति को तीन दिनों के भीतर विस्तृत जांच रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया गया है. इस समिति के सदस्यों में जॉइंट डायरेक्टर (अध्यक्ष) हर्षित जैन, DDE (C/ND) अनिल कुमार, DDE (जोन 26) पूनम यादव, प्रिंसिपल कपिल कुमार गुप्ता, प्रिंसिपल सरिता देवी शामिल हैं. समिति की जिम्मेदारी है कि घटना से जुड़ी सभी परिस्थितियों की जांच करे. मानसिक स्वास्थ्य प्रावधानों के पालन का मूल्यांकन करे. स्कूल प्रशासन की जवाबदेही तय हो और आगे की कार्रवाई के लिए सुझाव दिया जाए.

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घटना को लेकर शिक्षा मंत्री का बयान

दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने भी इस घटना पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि हम दिल्ली के सभी स्कूलों को पत्र लिख रहे हैं कि वे CBSE के मानसिक स्वास्थ्य मानकों का पालन कर रहे हैं या नहीं. अगर जरूरत होगी तो हम स्कूलों की मदद करेंगे, हैंड-होल्डिंग करेंगे, ताकि हमारी अगली पीढ़ी मानसिक रूप से स्वस्थ रहे.

उन्होंने आगे कहा कि हमने तीन दिन में रिपोर्ट देने वाली कमेटी बनाई है, जो जांच करेगी कि मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े नॉर्म्स का पालन किया जा रहा था या नहीं. पोस्टमार्टम के बाद शौर्य का शव दिल्ली से महाराष्ट्र के सांगली जिले में स्थित उसके पैतृक गांव धवेलेश्वर लाया गया. बुधवार रात पूरे गांव ने रोते-बिलखते इस बच्चे को अंतिम विदाई दी.

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शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज कर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है. जिस जिस इंसिडेंट का जिक्र है, उसको लेकर सीसीटीवी फुटेज की भी जांच की जा रही है. खासकर दो इंसिडेंट जो अभी के हैं, उनमें से एक कंधे पर धक्का मारने का और दूसरा प्ले की प्रैक्टिस के दौरान स्लिप हो जाने के बाद स्कूल के व्यवहार का है. इसको लेकर पुलिस सभी के बयान दर्ज करेगी.

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बड़ा सवाल यह है कि क्या मानसिक स्वास्थ्य व्यवस्था सिर्फ कागजों तक सीमित रह गई? क्या टीचरों की संवेदनशीलता पर प्रशिक्षण होता है? क्या बच्चे अपनी बात कहने में सुरक्षित महसूस करते हैं? शौर्य की मौत ने इन सवालों को फिर से सामने ला दिया है. सरकार की उच्च-स्तरीय समिति की रिपोर्ट के बाद इस मामले में अगला कदम तय होगा. इसका जवाब आने वाली रिपोर्ट पर निर्भर करेगा. फिलहाल, दिल्ली से लेकर सांगली तक यही सवाल गूंज रहा है कि किसी बच्चे की जान आखिर किस वजह से गई?

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