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दिल्ली में दुकानों के बाद अब इंडस्ट्री पर सीलिंग का खतरा

आनंद पर्वत से देश के अलग-अलग हिस्सों में जैसे- डिफेन्स, ऑटोमोबाइल कंपनी, स्टील से जुड़ी कंपनियां के लिए माल की सप्लाई होती है. बॉर्डर फेंसिंग, इलेक्ट्रॉनिक सामान के लिए भी रॉ मटेरियल भेजा जाता है. 

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दिल्ली में सीलिंग का खतरा
दिल्ली में सीलिंग का खतरा

देश की राजधानी दिल्ली में दुकानों के बाद अब इंडस्ट्री पर सीलिंग का ख़तरा मंडरा रहा है. 'आजतक' की टीम ने आनंद पर्वत के इंडस्ट्रियल इलाके का दौरा किया और यहां के व्यापारियों से बातचीत की. आनंद पर्वत में 7 हजार से ज्यादा इंडस्ट्री हैं. यहां रोजाना 70 से 80 हजार मजदूर काम करते हैं. आनंद पर्वत में ज्यादातर लोहे का रॉ मटेरियल सप्लाई करने व्यापारी इंडस्ट्री चलाते हैं .  

आनंद पर्वत से देश के अलग-अलग हिस्सों में जैसे- डिफेन्स, ऑटोमोबाइल कंपनी, स्टील से जुड़ी कंपनियां के लिए माल की सप्लाई होती है. बॉर्डर फेंसिंग, इलेक्ट्रॉनिक सामान के लिए भी रॉ मटेरियल भेजा जाता है. 

राजेश गोयल 1968 से यहां इंडस्ट्री चला रहे हैं. राजेश लोहे के व्यापारी हैं. राजेश की इंडस्ट्री में 15 मजदूर काम करते हैं, जबकि नोटबंदी से पहले 40 मजदूर काम करते थे.

राजेश गोयल ने बताया कि सीलिंग को लेकर उन्हें एमसीडी से कोई जानकारी नहीं मिली है. राजेश का कहना है कि आनंद पर्वत इलाके में इंडस्ट्री को सील करने का कोई नहीं है, क्योंकि 3 किलोमीटर के दायरे में रिहायशी इलाका नहीं है, और न ही प्रदूषण फैलाने वाली कोई यूनिट यहां मौजूद है.

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पुनीत गोयल 1993 से यहां इंडस्ट्री चला रहे हैं. वह लोहे के व्यापारी हैं. पुनीत गोयल का कहना है कि सीलिंग के बारे में सरकार को वक़्त से पहले जानकारी देनी चाहिए. एक इंडस्ट्री को शुरू करने में वर्षों का वक्त लगता है. अगर हमें दूसरी जगह भेजा जाता है तो बहुत मुश्किल होगी. फ़िलहाल मेरी इंडस्ट्री में 20 मजदूर काम करते हैं जिनकी संख्या पिछले कई महीनो में कम हुई है. हाल ही दुकानें सील होने की वजह से माल की सप्लाई कम हो गई है.  

व्यापारियों का कहना है कि पिछले कई दशक से सेल्स टैक्स, इनकम टैक्स, हाउस टैक्स, बिजली और पानी का टैक्स दिया जाता है. व्यापारियों का दावा है कि आनंद पर्वत इंडस्ट्री इलाके से रोजाना 150 से 200 करोड़ की कमाई होती है जिस पर सरकार टैक्स वसूलती है.  

व्यापारियों का आरोप है कि टैक्स देने के बावजूद आनंद पर्वत इलाके को बेहतर करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है. पिछले 10 साल से आनंद पर्वत में छोटी इंडस्ट्री चला रहे अनिल का कहना है कि आनंद पर्वत इलाके में जितनी भी सड़कें हैं व्यापारियों ने ख़ुद बनवाई है. यहां न सफाई होती है, न सीवर सिस्टम सही है. सरकार और एजेंसी की कोई भागीदारी इंडस्ट्री इलाके में नज़र नहीं आती है. हाउस टैक्स के अलावा तमाम टैक्स दिए जाते हैं, लेकिन ट्रैफिक जाम, बरसात का पानी सड़कों पर भर जाता है.

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