दिल्ली-एनसीआर में इस साल नवंबर में केवल तीन दिन ऐसे थे जब वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में दर्ज किया गया, जो 2015 के बाद से सबसे कम है. वहीं, मौसम विभाग की मानें तो इस बार का नवंबर बीते 6 सालों में सबसे गर्म रहा है. सीपीसीबी के आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर महीने का औसत मासिक वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 320 दर्ज किया गया जो साल 2019 में इसी अवधि में 312 था.
दिल्ली में कैसा रहा नवंबर का मौसम?
मौसम विभाग की मानें तो दिल्ली में बीते छह साल के नवंबर के मुकाबले इस साल का नवंबर सबसे गर्म रहा जिसमें औसतन अधिकतम तापमान 28.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. दिल्ली में वर्ष 2021 के नवंबर में औसतन अधिकतम तापमान 27.8 डिग्री दर्ज किया गया था जबकि वर्ष 2020, वर्ष 2019, वर्ष 2018 और वर्ष 2017 में यह क्रमश: 27.9 डिग्री, 28.1 डिग्री, 28.5 डिग्री और 27.9 डिग्री दर्ज किया गया था.
स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन) महेश पलावत ने बताया कि पूर्वोत्तर भारत में महीने के शुरुआती पखवाड़े में मध्यम दर्जे के तीन पश्चिमी विक्षोभ देखने को मिले, लेकिन इनसे उत्तर के पहाड़ी इलाकों में भारी बर्फबारी नहीं हुई. उन्होंने बताया कि महीने के दूसरे पखवाड़े में केवल दो कमजोर पश्चिमी विक्षोभ देखने को मिले. पलावत ने कहा कि शक्तिशाली पश्चिमी विक्षोभ से पहाड़ी इलाकों में भारी बर्फबारी होती है और इसकी वजह से यहां तक कि उत्तर के मैदानों में भी बारिश होती है. उन्होंने कहा कि इस महीने एक भी शक्तिशाली पश्चिमी विक्षोभ देखने को नहीं मिला.
प्रदूषण का क्या रहा हाल?
विशेषज्ञों की मानें तो दिल्ली में अपेक्षाकृत बेहतर वायु गुणवत्ता के लिए पराली जलाने की घटनाओं में कमी, अनुकूल मौसमी परिस्थितियां और प्रदूषण को रोकने के लिए उठाए जाने वाले कदम मुख्य वजह हैं. बता दें, पिछले साल दिल्ली में नवंबर के महीने में 12 दिन ऐसे थे जब वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज की गई थी. इसी प्रकार साल 2020 के नवंबर में नौ दिन, साल 2019 के नवंबर में सात दिन, साल 2018 के नवंबर में पांच दिन, साल 2017 के नवंबर में सात दिन, साल 2016 के नवंबर में 10 दिन और 2015 के नवंबर में छह दिन ऐसे थे जब एक्यूआई ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज किया गया था.
दिल्ली में इस साल नवंबर के दौरान केवल 01,02 और 04 नवंबर को वायु प्रदूषण की स्थिति ‘गंभीर’ रही और इसकी वजह हवाओं की मंद गति और पराली जलाने की घटनाएं थीं. दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी 3 नवंबर को 34 प्रतिशत पर पहुंच गई. स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान एवं जलवायु परिवर्तन) महेश पलावत ने बताया कि हवाओं की दिशा पश्चिम से दक्षिण पश्चिम होने और पराली की हिस्सेदारी कम होने से यह नतीजे आए हैं. उन्होंने बताया कि इस महीने हवा में भारी नमी की वजह से ‘धुंध’ छाने की घटनाएं भी कम हुईं.