
देश की राजधानी दिल्ली की सर्दी हो या गर्मी... यहां का हर मौसम दिल्लीवासियों पर भारी पड़ता नजर आता है. गर्मियों का बढ़ता तापमान लंबे वक्त सताने के बाद मॉनसून नसीब होता है लेकिन मॉनसून भी राहत कम मुसीबत ज्यादा लेकर आता है. दिल्ली में जब-जब अच्छी बारिश से कुछ राहत मिली, तब-तब यहां की सड़कें, इमारतें और ड्रेनेज सिस्टम दम तोड़ने लगता है. मॉनसून की दस्तक के साथ ही 28 जून को भी दिल्ली में कुछ ऐसा ही हाल था और अब 31 जुलाई और 1 अगस्त को हुई बारिश से भी राजधानी की हालत खस्ता हो गई.
बारिश के बाद जब जमा हुआ पानी निकला तो बारिश से बेहाल दिल्ली की अगल-अलग तस्वीरें सामने आने लगीं. आइये तस्वीरों में देखें बारिश से दमतोड़ रहे दिल्ली के अलग-अलग इलाकों की तस्वीरें.

एक आम इंसान अपनी कमाई के हिस्से को जोड़-जोड़कर या बचत करके गाड़ी को खरीदने का ख्वाब बुनता है और मौसम की मार या यूं कहें कि प्रशासन की लापवाही चंद मिनटों में उसे चकनाचूर कर देते हैं. दो दिन हुई बारिश में भी कुछ ऐसा ही हुआ. नई दिल्ली के दरियागंज इलाके में ऐसी बारिश हुई कि हैप्पी स्कूल की एक दीवार गिरने के बाद मलबा खड़ी कारों पर गिर गया और कई गाड़ियां बर्बाद हो गईं.

ये हाल किसी एक या दो गाड़ी का नहीं बल्कि लाइन से लगी कई गाड़ियां पूरी तरह तबाह हो गईं. रात को पार्किंग में खड़ी करके गए लोगों पर क्या ही बीती होगी, जब सुबह उन्होंने ये हाल अपनी आंखों से देखा होगा.

फिर एमसीडी कार्यकर्ता दीवार के बचे हुए हिस्से को भी हटाते हुए नजर आए. कहीं ये दीवार किसी इंसान या गाढ़ी कमाई से ली गई और चीजों पर भारी न पड़ जाए.

गाड़ी की तो छोड़िये.. उनका क्या जिनका पूरा का पूरा घर-बार ही बारिश की भेंट चढ़ जाए. नई दिल्ली के सब्जी मंडी इलाके में भारी बारिश के कारण एक पूरा घर ढह गया.

इसके बाद ढहे घर के आसपास स्थानीय दुकान मालिक और निवासियों की भीड़ जमा हो गई.

पीक ऑवर्स में ट्रैफिक तो दिल्ली में हर दिन की कहानी है लेकिन दो-चार बूंदे पड़ते ही यहां की सड़कों पर ऐसा जाम लगना शुरू हो जाता है जैसे सुबह 9-10 बजे की भीड़ में हर कोई ऑफिस के लिए भाग रहा हो. फिर तेज बारिश में यहां के जाम का क्या ही कहना. भारी बारिश के बाद 20 मिनट में पहुंचने वाले लोगों को 3-3 घंटे जाम में फंसा रहना पड़ा.

ये ट्रैफिक जाम भी यूं ही नहीं होता... बारिश में यहां की सड़कें ऐसी लबालब हो जाती हैं, जैसे पानी निकलने का कोई इंतजाम ही नहीं है. फिर गाड़ियों को अटकना तो वाजिब है.

सड़कों पर भरा पानी निकला तो फिर सामने आए, बड़े-बड़े गड्ढे... ये दिल्ली का पॉश इलाका हौज खास है, जहां सड़क का एक हिस्सा धंस गया. करोड़ों की लागत से बनने वाले इन सड़कों में न जाने कैसा सामान इस्तेमाल किया जाता है, जो यूं हीं बारिश की भेंट चढ़ जाती हैं. जो किसी की जान-माल के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकती हैं.

बारिश में जलभराव का ये नजारा तो देखो... ऐसा लग रहा है जैसे सड़क पर कोई नदी बह रही हो. फिर वही सवाल... क्या देश की राजधानी की ड्रेनेज सिस्टम इतना कमजोर है. ये नई दिल्ली के जंगपुरा इलाके का नजारा है.

चलो पुराने बने इलाकों को छोड़ो... दिल्ली में सरपट भागती मेट्रो तो आधुनिक दिल्ली की पहचान है. क्या बड़े-बड़े नए-नए मेट्रो स्टेशन बनाते वक्त भी यहां के आसपास के इलाकों में ड्रेनेज सिस्टम का कुछ ख्याल नहीं किया गया... ये हाल करोल बाग मेट्रो स्टेशन का है.

सब छोड़ो... जब नई नवेली, करोड़ों की लागत से बनी संसद की छत टपकने लगे और उसके नीचे एक बड़ी सी बाल्टी रखी नजर आए तो और क्या ही कहा जाए...