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दिल्ली में CM के बाद अब मेयर भी BJP का होगा, आम आदमी पार्टी चुनाव से हटी

दिल्ली में सीएम के बाद अब मेयर भी बीजेपी का होगा. आम आदमी पार्टी मेयर पद के लिए चुनाव में मैदान से हट गई है. दिल्ली में मेयर पद के चुनाव के लिए नामांकन का आज अंतिम दिन है.

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दिल्ली के मेयर महेश खिची और अरविंद केजरीवाल
दिल्ली के मेयर महेश खिची और अरविंद केजरीवाल

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के नए मेयर का चुनाव 25 अप्रैल को होना है. मेयर चुनाव के लिए आज नामांकन का अंतिम दिन है और अब तक किसी भी दल के उम्मीदवार ने नामांकन दाखिल नहीं किया है. अब आम आदमी पार्टी मेयर चुनाव नहीं लड़ेगी. आम आदमी पार्टी ने मेयर चुनाव से दूरी बनाने का ऐलान कर दिया है.

पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी और दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके पार्टी के इस फैसले का ऐलान किया. सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आम आदमी पार्टी के पार्षदों को डराकर, धमकाकर, लालच देकर बीजेपी अपने पाले में लाने की कोशिश में लगी हुई है. उन्होंने कहा कि हमने फैसला किया है कि मेयर चुनाव के लिए उम्मीदवार नहीं उतारेंगे.

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि बगैर किसी बाधा के बीजेपी अपना मेयर बना ले और चार इंजन की सरकार को बिना कोई बहाना बनाए ये चलाएं और दिल्लीवालों को दिखाएं. आम आदमी पार्टी के इस फैसले के साथ ही दिल्ली मेयर के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उम्मीदवार का निर्विरोध निर्वाचन अब तय हो गया है. दिल्ली में सरकार गठन के बाद अब एमसीडी का मेयर भी बीजेपी का होगा.

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कुछ ही महीने पहले हुए दिल्ली विधानसभा के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को जीत मिली थी. बीजेपी ने दिल्ली में रेखा गुप्ता की अगुवाई में सरकार बनाई थी. अब एमसीडी की सत्ता में भी बीजेपी की वापसी का रास्ता साफ हो गया है. एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी. हालिया विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद समीकरण बदले और नंबरगेम में अब बीजेपी आगे हो गई है.

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बीजेपी के पक्ष में थे समीकरण

आम आदमी पार्टी ने मेयर चुनाव में बीजेपी को वॉकओवर दे दिया है. लेकिन अगर मतदान की स्थिति बनती, तब भी समीकरण बीजेपी के पक्ष में थे. दिल्ली के निगम सदन की स्ट्रेंथ इस समय 238 है. लोकसभा और राज्यसभा के सांसद, मनोनीत विधायक भी मिला लें तो कुल स्ट्रेंथ 262 पहुंचती है. यानी अपना मेयर बनाने के लिए राजनीतिक दलों को 132 वोट की जरूरत थी. बीजेपी के 117 पार्षद, सात लोकसभा सदस्य और 11 मनोनित विधायकों के वोट मिला दें तो आंकड़ा 135 पहुंच जा रहा जो जीत सुनिश्चित करने के लिए जरूरी नंबर से तीन ज्यादा है.

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