दिल्ली सरकार ने यमुना को राष्ट्रीय राजधानी में पुनर्जीवित करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए नदी में गिरने वाले 22 बड़े नालों का ड्रोन सर्वे कराने का फैसला लिया है. कुल 360 छोटे-बड़े नालों का पुनः सत्यापन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा किया जाएगा. यमुना में प्रदूषण की निगरानी के लिए 67 स्पॉट चिन्हित किए गए हैं. इन्हीं स्थानों से नदी के जल का सैंपल लेकर लैब में प्रदूषण का स्तर टेस्ट किया जाता है. जुलाई, 2025 तक इन 67 स्थानों का सर्वे कर रिपोर्ट दिल्ली जल बोर्ड को सौंपी जाएगी.
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साथ ही, नालों और उप-नालों में जल प्रवाह मापने का काम इंटरनेशनल कंसल्टेंसी फर्म वाप्कोस (WAPCOS) को सौंपी गई है और यह कार्य भी इस साल जुलाई तक पूरा होगा. इन 67 स्थानों पर साल में दो बार प्रदूषण प्रभाव मापने की स्थायी व्यवस्था सितंबर 2025 तक विकसित की जाएगी. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 46 और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने 21 ऐसे स्थान चिह्नित किए हैं, जहां प्रदूषण मापन यंत्र लगाए जा रहे हैं. दिल्ली जल बोर्ड प्रदूषण गुणवत्ता की नियमित जांच के लिए भी स्थान चिह्नित करेगा और हर साल निश्चित अंतराल पर यह काम किया जाएगा.
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नजफगढ़ और शाहदरा ड्रेन का ड्रोन सर्वे राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा अगस्त 2025 तक कराया जाएगा, बाकी 20 बड़े नालों का सर्वेक्षण कार्य दिल्ली जल बोर्ड करेगा. केंद्रीय गृह मंत्रालय की बैठक में यमुना को पुनर्जीवित करने को लेकर कई अहम निर्णय लिए गए, जिन पर दिल्ली सरकार ने तेजी से अमल शुरू कर दिया है. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, दिल्ली में 22 बड़े और 360 छोटे नाले हैं जो यमुना में गिरते हैं. साथ ही, इन नालों में मिलने वाले उप-नालों की संख्या का निर्धारण और सत्यापन भी किया जाएगा. सभी 22 बड़े नालों की संख्या का पुन: सत्यापन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के माध्यम से किया जाएगा.