दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित तबलीगी जमात के कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले 36 विदेशी नागरिकों को मंगलवार को बड़ी राहत मिली. साकेत कोर्ट ने इन्हें बरी कर दिया है. सभी 36 विदेशी नागरिकों पर महामारी एक्ट के उल्लंघन का आरोप था.
चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अरुण कुमार गर्ग ने 36 विदेशी नागरिकों को सभी आरोपों से बरी कर दिया. अदालत ने 24 अगस्त को इनके खिलाफ आईपीसी की धारा 188 और 269 और महामारी एक्ट, 1897 की धारा 3 के तहत आरोप तय किए थे. इसके अलावा आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 51 के तहत भी आरोप तय किए गए थे. लेकिन अब, इन सभी विदेशियों को साकेत कोर्ट से राहत मिल गई है.
इससे पहले मुंबई में बांद्रा की एक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने भी तबलीगी जमात से जुड़े 20 विदेशी नागरिकों को बरी कर दिया था. उनके खिलाफ कोविड-19 से जुड़े सुरक्षा नियमों के उल्लंघन का आरोप था. इन विदेशियों ने दिल्ली में हुए तबलीगी जमात के कार्यक्रम में हिस्सा लिया था. उन पर आरोप था कि वो ये बात छुपाकर और कोरोना निर्देशों की अनदेखी करते हुए मस्जिद में इकट्ठा रह रहे थे.
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बता दें कि दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात के कार्यक्रम को कोरोना वायरस को फैलाने वाला बड़ा कलस्टर माना गया था. इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले लोगों के खिलाफ देश के अलग-अलग हिस्सों में केस दर्ज किए गए थे. उन पर आरोप थे कि लॉकडाउन की बंदिशों के बावजूद वो विभिन्न मस्जिदों में गए और लोगों से मिले थे.
इस मामले में बॉम्बे कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली के मरकज में आए विदेशी लोगों के खिलाफ मीडिया में प्रोपेगेंडा चला. ऐसा माहौल बनाने की कोशिश की गई, जिसमें देश में कोरोना फैलाने के लिए इन्हीं लोगों को जिम्मेदार बनाने का प्रयत्न किया गया. कोर्ट ने तबलीगी जमात में शामिल विदेशियों सहित कई लोगों के खिलाफ दायर एफआईआर को खारिज कर दिया था.