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सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन पर ACB का शिकंजा, 5590 करोड़ के घोटाले के आरोप में केस दर्ज

दिल्ली सरकार की एंटी करप्शन ब्रांच (ACB) ने आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और पूर्व स्वास्थ्य मंत्रियों सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है. आरोप है कि 2018–19 में मंजूर 5,590 करोड़ रुपये के स्वास्थ्य परियोजनाओं में भारी घोटाला हुआ. एफआईआर में निजी कंपनियों और अज्ञात अधिकारियों को भी नामजद किया गया है.

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सौरभ भारद्वाज, सत्येंद्र जैन
सौरभ भारद्वाज, सत्येंद्र जैन

दिल्ली सरकार की एंटी करप्शन ब्रांच (ACB) ने आम आदमी पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं और पूर्व स्वास्थ्य मंत्रियों सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन के खिलाफ बड़ा भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है. आरोप है कि 2018–19 में दिल्ली सरकार द्वारा मंजूर किए गए स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे के 24 परियोजनाओं में करोड़ों की लागत लगाई गई लेकिन कोई भी परियोजना पूरी नहीं हुई.

आरोप है कि इन परियोजनाओं में 11 ग्रीनफील्ड (नई जमीन पर निर्माण) और 13 ब्राउनफील्ड (पुरानी इमारतों का विस्तार) शामिल थे. कुल बजट था 5,590 करोड़, लेकिन ACB की जांच के मुताबिक, अधिकतर निर्माण अधूरे हैं और कई को तो बीच में ही छोड़ दिया गया है.

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शिकायत से लेकर FIR तक की पूरी प्रक्रिया

22 अगस्त 2024 को नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने इस मामले में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें बजट में हेरफेर, निजी कंपनियों से मिलीभगत और पारदर्शिता में बाधा डालने के आरोप लगाए गए थे. हाल ही में दिल्ली के उपराज्यपाल ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17A के तहत अभियोजन की अनुमति दी, जिसके बाद FIR नंबर 37/2025 दर्ज की गई.

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आईसीयू अस्पताल परियोजना में बड़ा घोटाला

1,125 करोड़ रुपये की लागत से छह महीने में 6,800 बेड वाले 7 प्रीफैब अस्पताल बनने थे. कंपनी SAM India Buildwell Pvt Ltd को ठेका मिला. तीन साल बीतने के बाद 800 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं लेकिन 50% निर्माण भी पूरा नहीं हुआ. लागत 100% से ज्यादा बढ़ चुकी है.

LNJP, मादीपुर और ज्वालापुरी प्रोजेक्ट की हालत

LNJP अस्पताल के नए ब्लॉक की लागत 488 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,135 करोड़ रुपये हो गई और अब तक निर्माण पूरा नहीं हुआ. मादीपुर और ज्वालापुरी की परियोजनाएं भी या तो अधूरी हैं या अवैध रूप से निर्माण हुआ है.

पॉलीक्लिनिक योजना भी सवालों के घेरे में

94 पॉलीक्लिनिक बनाने की योजना थी, लेकिन सिर्फ 52 ही बने और उनमें से कई चालू नहीं हैं. लागत 168 करोड़ रुपये से बढ़कर 220 करोड़ रुपये हो गई.

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क्यों दर्ज हुआ घोटाले का मामला

ACB के मुताबिक, सभी परियोजनाएं तय समय से पीछे हैं और लागत में अत्यधिक बढ़ोतरी हुई है. सरकारी दस्तावेजों की अनदेखी, मंजूरी की प्रक्रिया को दरकिनार करना और पारदर्शिता को नजरअंदाज करना इस घोटाले की पुष्टि करता है.

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कानूनी धाराएं और अगला कदम

FIR में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1), आईपीसी की धारा 409 (विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी) और 120-B (साजिश) लगाई गई हैं. अब इस पूरे घोटाले की गहराई से जांच की जा रही है.

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