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शराब घोटाले के सभी आरोपी अब जेल से बाहर, बिजनेसमैन अमित अरोड़ा और अमनदीप सिंह को भी जमानत

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अनुसार, दिल्ली एक्साइज पॉलिसी 2021-22 को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया. दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को एक्साइज पॉलिसी लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे रद्द कर दिया.

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दिल्ली हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
दिल्ली हाई कोर्ट (फाइल फोटो)

दिल्ली हाई कोर्ट ने शराब घोटाला मामले में पीएमएलए से संबंधित एक मामले में बिजनेसमैन अमित अरोड़ा और अमनदीप सिंह ढल को रेगुलर बेल दे दी है. इसका मतलब है कि इस ईडी मामले में सभी आरोपियों को अब जमानत दे दी गई है और अब सभी आरोपी जेल से बाहर आ चुके हैं.

दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को शराब घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग केस में बिजनेसमैन अमित अरोड़ा और अमनदीप सिंह ढल को जमानत दे दी. जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने दोनों आरोपियों को राहत देते हुए कहा, 'बेल ग्रांटेड'.

2022 में गिरफ्तार किए गए थे अमित अरोड़ा
 
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अनुसार, दिल्ली एक्साइज पॉलिसी 2021-22 को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया. दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को एक्साइज पॉलिसी लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे रद्द कर दिया.

गुरुग्राम स्थित बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अरोड़ा को ईडी ने 29 नवंबर, 2022 को पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) के तहत गिरफ्तार किया था. सीबीआई ने दावा किया था कि अरोड़ा AAP नेता मनीष सिसौदिया के करीबी सहयोगी थे और दोनों शराब लाइसेंसधारियों से एकत्र किए गए अवैध धन के 'प्रबंधन और हेराफेरी' में सक्रिय रूप से शामिल थे. 

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सभी आरोपियों को मिली बेल

केंद्रीय जांच एजेंसियों के अनुसार, ब्रिंडको सेल्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक ढल ने कथित तौर पर अन्य आरोपियों के साथ साजिश रची थी और वह शराब नीति के निर्माण में 'सक्रिय रूप से' शामिल थे.

बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से शुक्रवार को जमानत मिल गई थी. केजरीवाल अपना पद छोड़ने वाले हैं और उनकी जगह आतिशी को विधायक दल का नेता चुन लिया गया है. इससे पहले मनीष सिसोदिया और संजय सिंह को भी जमानत मिल गई थी और वो भी जेल से बाहर हैं.

क्या है दिल्ली शराब घोटाला?

दरअसल, नवंबर 2021 में दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने नई शराब नीति लागू की. इससे पहले दिल्ली में शराब की 864 दुकानें थीं, जिनमें से 475 सरकारी थीं. लेकिन नई नीति के तहत सरकार शराब के कारोबार से पूरी तरह बाहर आ गई और शराब का कारोबार निजी हाथों में सौंप दिया. नई नीति आने से पहले 750 एमएल की एक बोतल पर शराब कारोबारियों को 33.35 रुपये रिटेल मार्जिन मिलता था, लेकिन नई नीति के बाद 363.27 रुपये हो गया. 

इसी तरह, पहले एक बोतल 530 रुपये की मिलती थी, जो बाद में बढ़कर 560 रुपये हो गई. इससे एक तरफ कारोबारियों की तो मोटी कमाई हुई, दूसरी तरफ शराब की बिक्री पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी से होने वाली सरकार की कमाई तेजी से कम हो गई. पहले 530 रुपये की बोतल पर दिल्ली सरकार 223.89 रुपये की एक्साइज ड्यूटी वसूलती थी लेकिन नई नीति के तहत सरकार ने होलसेल प्राइस पर एक्साइज ड्यूटी बोतल की कीमत की महज 1% कर दी. 

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दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव ने LG से की शिकायत

लिहाजा, शराब कारोबारियों को 530 रुपये की बोतल पर महज 1.88 रुपये ही एक्साइज ड्यूटी देनी पड़ी. जबकि ग्राहक से इसी बोतल पर 30 रुपये लिए गए. 8 जुलाई 2022 को दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव नरेश कुमार ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना को रिपोर्ट सौंपी. इसमें तत्कालीन आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया पर गलत तरीके से शराब नीति तैयार करने का आरोप लगाया. मुख्य सचिव ने आबकारी नीति 2021-22 के जरिए सरकारी खजाने को 580 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया.

इस रिपोर्ट पर एलजी ने सीबीआई जांच की सिफारिश की. 17 अगस्त 2022 को सीबीआई ने केस दर्ज किया. इसमें मनीष सिसोदिया, तीन पूर्व सरकारी अफसर, 9 कारोबारी और दो कंपनियों को आरोपी बनाया गया. घोटाले में पैसों की हेराफेरी के भी आरोप थे, इसलिए ईडी भी इसमें शामिल हो गई. केस दर्ज करने के बाद सीबीआई और ईडी ने छापे मारे और गिरफ्तारियां शुरू कीं. ईडी और सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में आरोप लगाया है कि 2021-22 की आबकारी नीति की वजह से दिल्ली सरकार को कथित तौर पर 2,873 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा.

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