छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए 27 नक्सलियों की पहचान राज्य के खूंखार नक्सलियों के रूप में की गई है, जिन पर कुल 3.33 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था. एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी. सुरक्षा बलों ने बुधवार को बीजापुर-नारायणपुर जिले की सीमा पर अभुजमाड़ के जंगलों में भीषण मुठभेड़ के दौरान प्रतिबंधित नक्सल समूह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के महासचिव नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू समेत 27 नक्सलियों को मार गिराया. इनमें 12 महिला नक्सली भी शामिल हैं. यह नक्सलियों के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाइयों में से एक है.
इस नक्सल रोधी अभियान के दौरान राज्य पुलिस के जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के दो जवान भी शहीद हो गए. बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने बताया कि बसवराजू (70) पर छत्तीसगढ़ में एक करोड़ रुपये का इनाम घोषित था. उन्होंने बताया कि नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और कोंडागांव जिलों के डीआरजी कर्मियों के साथ यह अभियान 18 मई को शुरू किया गया था. इस अभियान में नक्सलवादियों की केंद्रीय समिति और पोलित ब्यूरो के सदस्यों के साथ-साथ माड डिवीजन के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं और पीएलजीए (पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी) के सदस्यों की मौजूदगी के बारे में खुफिया जानकारी मिली थी.
यह भी पढ़ें: 'बसव राजू का एनकाउंटर नक्सलियों के नेटवर्क पर भारी चोट', बोले छत्तीसगढ़ के CM विष्णुदेव साय
पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने बताया कि तीन दिनों की तलाश के बाद बुधवार सुबह नक्सलियों के समूह से सुरक्षा बलों की मुठभेड़ हुई. उन्होंने बताया कि मारे गए लोगों में माओवादियों के दंडकारण्य विशेष क्षेत्रीय समिति का सदस्य जंगू नवीन भी शामिल है, जिस पर 25 लाख रुपये का इनाम था. इसके अलावा चार कंपनी पार्टी समिति सदस्य (CYPCM) संगीता (35), भूमिका (35), सोमली (30) और रोशन उर्फ टीपू (35) शामिल हैं, जिन पर 10-10 लाख रुपये का इनाम था.
बस्तर रेंज आईजी ने कहा, 'शेष 21 नक्सलियों में तीन प्लाटून पार्टी समिति सदस्य और पीएलजीए कंपनी नंबर 7 के 18 सदस्य शामिल हैं, जिन पर 8-8 लाख रुपये का इनाम था. मारे गए नक्सलियों में से तीन तेलंगाना और दो आंध्र प्रदेश के थे. मुठभेड़ स्थल से तीन एके-47 राइफल, चार सेल्फ लोडिंग राइफल (SLR), छह इंसास राइफल, एक कार्बाइन, छह .303 राइफल, एक बैरल ग्रेनेड लांचर (BGL), दो रॉकेट लांचर, दो 12 बोर बंदूकें, एक देशी पिस्तौल, दो मजल लोडिंग बंदूकें और भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद किए गए हैं.'
यह भी पढ़ें: 1.5 करोड़ का इनामी बसवराजू ढेर: 50 घंटे तक चले 'ऑपरेशन कगार' में टॉप माओवादी लीडर का खात्मा, नक्सलवाद पर निर्णायक वार
उन्होंने कहा, 'बसवराजू पर केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा एक करोड़ रुपये, राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा 50 लाख रुपये, आंध्र प्रदेश और ओडिशा सरकारों द्वारा 25-25 लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था. अनुमान है कि देश के सभी वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में उस पर कुल 10 करोड़ रुपये का इनाम था. इसके बारे में विवरण एकत्र किया जा रहा है.' गगन्ना, बीआर दादा और प्रकाश, कृष्णा, दारापु नरसिंह रेड्डी के उपनामों से जाने जाने वाला बसवराजू 1970 के दशक में नक्सल आंदोलन में शामिल हुआ था. आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के जियाननापेटा गांव के निवासी बसवराजू ने वारंगल के रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज से बी.टेक की डिग्री प्राप्त की थी.
बसवराजू ने 2018 में प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) के महासचिव का पद संभाला था. उसने मुप्पला लक्ष्मण राव उर्फ गणपति की जगह ली थी, जो उस समय 71 वर्ष का था और बिगड़ती सेहत और उम्र संबंधी समस्याओं के कारण पद छोड़ दिया था. आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि बसवराजू माओवादियों की केंद्रीय समिति का संस्थापक सदस्य, वर्तमान पोलित ब्यूरो सदस्य और माओवादियों के केंद्रीय सैन्य आयोग का प्रमुख था. वह मिलिट्री ट्रेनिंग, विशेषकर इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IEDs) और विस्फोटकों के प्रयोग तथा सुरक्षा बलों और पुलिस स्टेशनों पर हमलों में विशेषज्ञ था.
यह भी पढ़ें: बस्तर में जीत सिर्फ हथियारों से नहीं, दिलों से भी लिखी जाएगी... छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के अंत की नई सुबह
वह मुख्य रूप से 2004 के कोरापुट (ओडिशा) शस्त्रागार लूट में शामिल था, जिसमें नक्सलियों ने तीन लोगों की हत्या कर दी गई थी और 1,000 आधुनिक बंदूकें और 1,000 अन्य हथियार लूट लिए थे, जिनकी कीमत लगभग 50 करोड़ रुपये थी. वह 2005 में जहानाबाद जेल ब्रेक (बिहार) में भी शामिल था, जिसमें माओवादियों और कुख्यात अपराधियों सहित 389 कैदी भाग गए थे. बस्तर रेंज आईजी ने बताया कि बसवराजू 2010 के दंतेवाड़ा (छत्तीसगढ़) नरसंहार में शामिल था, जिसमें 76 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए थे, 2013 के झीरम घाटी हमले (बस्तर, छत्तीसगढ़) में शामिल था, जिसमें वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं सहित 27 लोग मारे गए थे और 2018 में आंध्र प्रदेश में एक विधायक की हत्या में भी उसका हाथ था. उन्होंने कहा कि बसवराजू के मारे जाने से नक्सलवादियों को बड़ा झटका लगा है.