वक्फ संशोधन अधिनियम के लागू होने के बाद छत्तीसगढ़ में वक्फ संपत्तियों की जांच प्रक्रिया तेज़ हो गई है. केंद्र सरकार की एक उच्च स्तरीय 10 सदस्यीय टीम दिल्ली से सीधे छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर पहुंची है, जहां वक्फ संपत्तियों का गहन निरीक्षण शुरू कर दिया गया है. यह टीम वक्फ अधिनियम में हाल ही में किए गए संशोधनों के अनुरूप संपत्तियों की स्थिति, उपयोग और उनके रख-रखाव का आकलन कर रही है. इस कदम को वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में अहम माना जा रहा है.
छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के चेयरमैन डॉ. सलीम राज स्वयं इस निरीक्षण दल के साथ मौजूद रहे. गुरुवार को टीम ने रायपुर के टिकरापारा क्षेत्र स्थित ऐतिहासिक फतेह शाह मार्केट का निरीक्षण किया, जो राज्य की प्रमुख वक्फ संपत्तियों में से एक है और लंबे समय से विवादों में घिरी हुई है. डॉ. सलीम राज ने कहा, यह निरीक्षण एक सकारात्मक पहल है, जिससे वक्फ संपत्तियों के सही उपयोग और उनके संरक्षण को बल मिलेगा.
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उन्होंने यह भी बताया कि कुछ ऐसी संपत्तियां जो वर्तमान में निष्क्रिय हैं, उन्हें शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में बदला जा सकता है जिससे मुस्लिम समुदाय को प्रत्यक्ष लाभ होगा. निरीक्षण दल 7 अप्रैल से राज्य में है और अब तक महासमुंद, बलौदाबाजार और रायपुर जिलों की संपत्तियों का निरीक्षण कर चुका है. रिपोर्ट तैयार होने के बाद टीम दिल्ली रवाना होगी.
हालांकि, इस पूरी प्रक्रिया को लेकर मुस्लिम समाज और राजनीतिक हलकों से तीखी प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं. छत्तीसगढ़ मुस्लिम महासभा के कोर सदस्य व IYC प्रदेश महासचिव फ़हीम शेख ने कहा, यह पूरा निरीक्षण दिखावा है. सलीम राज कभी मुस्लिमों के लिए अच्छे नहीं हो सकते, वे भाजपा के गुलाम हैं. फहीम शेख ने आरोप लगाया कि वक्फ संपत्तियों का सर्वे पहले ही हो चुका है और यह बिल केवल बहाना है. भाजपा जिसे मुस्लिम विरोध की राजनीति से वोट मिलते हैं, वही अब मुस्लिमों की संपत्तियों की चिंता दिखा रही है ये बात हजम नहीं होती.
वहीं, छत्तीसगढ़ मुस्लिम वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष गद्दू कुरैशी ने भी डॉ. सलीम राज पर निशाना साधा और कहा कि जिस व्यक्ति को न इस्लाम की जानकारी है, न पांच वक्त की नमाज की अहमियत का अंदाजा, वह मुस्लिम हितों की बात कैसे कर सकता है? अगर वाकई मुस्लिमों की चिंता है, तो बुलडोजर की कार्रवाई, मस्जिदों पर झंडे फहराने और नमाज पर रोक जैसे मुद्दों पर भी आवाज उठानी चाहिए.
हालांकि, वक्फ बोर्ड का कहना है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है और राष्ट्रीय नीति के तहत की जा रही है. टीम की रिपोर्ट से भविष्य की वक्फ संपत्ति नीति और प्रशासनिक निर्णयों पर प्रभाव पड़ने की उम्मीद है.