scorecardresearch
 

दीपावली में पटाखों से पटना का प्रदूषण बढ़ा

बिहार की राजधानी पटना में इस बार की दिवाली में लोगों ने कानफोड़ू पटाखों का जमकर लुत्फ उठाया जिसके कारण ध्वनि प्रदूषण आम दिनों की तुलना में 11 डेसीबेल बढ़कर उच्चतम खतरनाक स्तर 119.4 डेसीबेल तक पहुंच गया.

Advertisement
X
पटाखों
पटाखों

राजधानी पटना में इस बार की दिवाली में लोगों ने प्रशासन और पर्यावरणविदों की अपील को लगभग नकारते हुये कानफोड़ू पटाखों का जमकर लुत्फ उठाया जिसके कारण ध्वनि प्रदूषण आम दिनों की तुलना में 11 डेसीबेल (डीबी) बढ़कर उच्चतम खतरनाक स्तर 119.4 डेसीबेल तक पहुंच गया.

बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष सुभाष चंद्र सिंह ने बताया कि दिवाली से पहले छह नवंबर को ध्वनि का उच्चतम स्तर 108.6 डीबी था जो दिवाली पर बढकर खतरनाक स्तर 119.4 डीबी पहुंच गया. इसका अर्थ यह है कि अब भी लोगों को पर्यावरण के प्रति काफी संयम और जागरुकता का परिचय देने की दरकार है. जागरुकता अपील के बावजूद रात्रि 10 बजे के बाद भी काफी संख्या में कानफोडू पटाखे फोड़े गये हैं.

उन्होंने बताया कि उच्च तीव्रता वाले पटाखों का उपयोग अब भी जारी है. यही कारण है कि पिछले कुछ वष्रो की तुलना में ध्वनि प्रदूषण के स्तर में बढोतरी का सिलसिला जारी है. बोर्ड ने दिवाली के पहले शाम छह बजे से 10 बजे के बीच ध्वनि स्तर के जो सैंपल लिये उस समय तीव्रता 82.12 डीबी दर्ज की गयी. इसी समय अवधि में दीपावली के दिन (13 नवंबर को) यह स्तर बढकर 84.63 डीबी हो गया.

Advertisement

आम तौर पर वाहनों की आवाजाही के कम होने के कारण रात 10 बजे के बाद ध्वनि प्रदूषण का स्तर कम हो जाता है. ध्वनि प्रदूषण तीव्रता के मद्देनजर पर्यावरण वैज्ञानिक शहर के बोरिंग रोड चौराहे को सबसे संवेदनशील मानते हैं. सिंह ने बताया कि बोरिंग रोड चौराहे पर सामान्य दिन के तौर पर रात 10 से 12 बजे के बीच छह नवंबर को लिये गये नमूने में ध्वनि का औसत स्तर 73.24 डीबी था जो दिवाली के दिन बढकर 83.06 हो गया है.

पटना शहर ध्वनि प्रदूषण के सामान्य स्तर को पहले ही पार कर चुका है. सामान्य मानक के अनुसार दिन के समय यह स्तर 65 डीबी और रात के समय 55 डीबी होना चाहिए. राजधानी पटना में पहले से ही इस स्तर से काफी अधिक ध्वनि प्रदूषण है.

बोर्ड ने पिछली तीन दिवाली के त्योहारों से इस बार के त्योहार की तुलना की है जिसके अनुसार दिन और रात के ध्वनि स्तर में लगातार ध्वनि के स्तर में बढोतरी हुई है.

वर्ष 2009 में दिवाली के दिन में ध्वनि का स्तर 80.23 और रात में 72.39 डीबी था जबकि 2010 में बढकर दिन का स्तर 83.76 और 89.1 हो गया. वर्ष 2011 में भी दिन के ध्वनि प्रदूषण की तीव्रता का स्तर 83.85 और रात 81.07 डीबी था. ध्वनि प्रदूषण के कारण कई प्रकार के प्रतिकूल मनोवैज्ञानिक प्रभाव शरीर पर पड़ते हैं. लोगों के स्वभाव में चिडचिडापन, कान के सुनने की क्षमता पर असर, अनिद्रा की समस्या और उच्च तनाव जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं.

Advertisement
Advertisement