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बिहारः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मन में क्या है? JDU ने फिर लिया RJD से अलग स्टैंड

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने अपनी गठबंधन सहयोगी आरजेडी से फिर अलग स्टैंड लिया है. नीतीश कुमार की पार्टी ने केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग को लेकर विपक्षी दलों की ओर से पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी से दूरी बना ली है. पीएम को खत लिखने वाले दलों में आरजेडी का नाम भी शामिल है जो बिहार के सत्ताधारी महागठबंधन का सबसे बड़ा घटक दल है.

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नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
नीतीश कुमार (फाइल फोटो)

नौ विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर विरोधी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करने के आरोप लगाए हैं. इस मुद्दे पर बिहार के सत्ताधारी महागठबंधन में मतभेद फिर से सामने आए हैं. नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने इस मुद्दे से दूरी बना ली है. कुछ दिन पहले तक विपक्षी एकजुटता की वकालत करते नजर आए नीतीश कुमार की पार्टी के इस स्टैंड को लेकर तरह-तरह की चर्चा शुरू हो गई है.

बिहार के सियासी गलियारों में इस चर्चा ने फिर से जोर पकड़ लिया है कि क्या नीतीश कुमार ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को लेकर नरम रुख अख्तियार कर लिया है? ये चर्चा इसलिए भी हो रही है क्योंकि सत्ताधारी महागठबंधन के सबसे बड़े घटक राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने भी पीएम मोदी को लिखे इस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं.

गौरतलब है कि एक दिन पहले ही विपक्षी नेताओं ने विरोधियों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग को लेकर पीएम मोदी को पत्र लिखा था. पीएम को पत्र लिखने वालोों में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और अन्य क्षेत्रीय नेता शामिल थे.

डीएमके-कांग्रेस ने भी बनाई दूरी

दिलचस्प बात यह है कि जेडीयू के साथ ही डीएमके और कांग्रेस ने भी पीएम को लिखे गए पत्र से दूरी बना ली है. हालांकि, बिहार के राजनीतिक हलकों में इस बात को लेकर चर्चा होने लगी है कि जब महागठबंधन सरकार की सहयोगी आरजेडी विपक्षी गोलबंदी का हिस्सा थी तो आखिर नीतीश कुमार ने इससे दूरी क्यों बना ली और क्यों उन्होंने आरजेडी से अलग स्टैंड लिया?

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नीतीश कुमार के इस कदम से एक बार फिर कयासों का दौर शुरू हो गया है कि कैसे उन्होंने पिछले कुछ सप्ताह में बीजेपी के प्रति नरम रुख अपनाया है और कहीं ये उनकी एनडीए में फिर से वापसी का संकेत तो नहीं?

वे मौके जब दिखी बीजेपी और नीतीश की नजदीकी

1- बिहार के राज्यपाल की नियुक्ति

गृह मंत्री अमित शाह ने नीतीश कुमार को फोन कर विश्वनाथ अर्लेकर को बिहार का नया राज्यपाल बनाए जाने की जानकारी दी.

2- शहीद के पिता के साथ मारपीट और जेल

गलवान में शहीद हुए जय किशोर सिंह के पिता की सरकारी जमीन पर स्मारक बनाने के मामले में बिहार पुलिस ने पिटाई कर दी थी. बिहार पुलिस पर शहीद के पिता को अपमानित करने, जेल में डालने का आरोप लगा. बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने बिहार पुलिस की कार्रवाई का समर्थन किया तो सीएम नीतीश का स्टैंड अलग था. सीएम नीतीश कुमार ने मामले की जांच के आदेश दिए और कहा कि यह जांच की जानी चाहिए कि शहीद के पिता को परेशान क्यों किया गया? नीतीश के जांच के आदेश के एक दिन बाद कोर्ट ने शहीद के पिता को जमानत दे दी थी.

3- जन्मदिन पर राजनाथ का फोन

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 1 मार्च को जन्मदिन पर बधाई देने के लिए नीतीश कुमार को फोन किया. राजनाथ सिंह ने गलवान शहीद के पिता को जेल भेजे जाने का मुद्दा भी उठाया. उसी दिन सदन में बोलते हुए नीतीश ने मुस्कुराते हुए बीजेपी नेता से कहा कि राजनाथ सिंह ने उन्हें फोन किया है. माना जा रहा है कि नीतीश ऐसा कहकर सदन में मौजूद आरजेडी को यह संदेश देने की कोशिश कर रहे थे कि उनकी और बीजेपी की बातचीत फिर से शुरू हो गई है. पीएम मोदी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी सोशल मीडिया पर नीतीश कुमार को जन्मदिन की बधाई दी थी.

4- तमिलनाडु में बिहार के मजदूरों पर कथित हमला

तमिलनाडु में काम करने वाले बिहार के मजदूरों पर हमले की घटना को लेकर सोशल मीडिया पर कई वीडियो और खबरें आईं. बीजेपी ने विधानसभा में ये मुद्दा उठाया था. बाद डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने तमिलनाडु में बिहार के किसी नागरिक पर हमले की घटना से जुड़ी खबरों को सिरे से खारिज किया. बीजेपी नेताओं की मांग पर नीतीश कुमार ने चार सदस्यीय टीम गठित कर उसे जांच के लिए तमिलनाडु भेज दिया.

5- तार किशोर के घर पहुंचे नीतीश

नीतीश कुमार 4 मार्च को पूर्व डिप्टी सीएम तार किशोर प्रसाद के पिता के श्राद्ध कर्म में शामिल होने के लिए कटिहार गए थे. सीएम नीतीश बीजेपी के साथ गठबंधन की पिछली सरकार के दौरान अपने डिप्टी रहे तार किशोर प्रसाद के घर करीब एक घंटे रुके थे.

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