क्या बिहार NDA में सब कुछ ठीक नहीं है? ये सवाल इसलिए सामने आ रहा है क्योंकि बीते कुछ दिनों से NDA में शामिल जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी BJP पर हमलावर हैं. पहले पूर्णिया और अब बांका की घटना पर BJP नेताओं की बयानबाजी पर दोनों ही नेता नाराज हैं. VIP पार्टी के मुखिया और सरकार में मंत्री मुकेश सहनी ने ट्वीट कर बिना नाम लिए BJP नेताओं को अनावश्यक बयानबाजी करने की बजाय 19 लाख रोजगार देने के वादे पर काम करने की नसीहत दी है.
आज तक से बातचीत में मुकेश सहनी ने कहा है कि बांका की घटना जांच का विषय है और तब तक नेताओं को इस पर अपना विचार देना उचित नहीं है. जांच एजेंसी पहले घटना की जांच कर ले, फिर हमें उसपर प्रतिक्रिया देनी चाहिए. बहुत से नेता अलग अलग मुद्दों पर बयान दे रहे हैं, जो उचित नहीं है. हमने जनता से 19 लाख रोजगार देने का वादा किया है इसलिए हमें उस वादे पर ध्यान देना चाहिए. अगर हमारे किसी साथी को ये वादा नहीं याद है, तो उन्हें याद दिलाना कोई बड़ी बात नहीं है.
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मुकेश सहनी ने मुख्यमंत्री को एक चिट्ठी भी एक लिखी है जिसमें उन्होंने सीएम से अपील की है कि पहले टीकाकरण पर 4 हजार करोड़ रुपए खर्च होना अनुमानित था, लेकिन अब चूंकि प्रधानमंत्री ने बिहार को निःशुल्क टीका उपलब्ध कराने की घोषणा की है. ऐसे में जनप्रतिनिधियों को पूर्व की भांति ऐच्छिक कोष की धनराशि खर्च करने की शक्ति प्रदान की जाए. जिससे उनके क्षेत्र में रुके हुए विकास कार्य और चिकित्सीय सुविधा बेहतर कर सकें.
बातचीत में सहनी ने चिट्ठी लिखने के मुद्दे पर कहा कि मुख्यमंत्री का फैसला सही था लेकिन अब हालात बदले हैं इसलिए ये व्यवस्था भी बदलनी चाहिए. NDA में घटक दलों की तकरार पर मुकेश सहनी ने कहा कि सब लोग मजबूती से NDA का हिस्सा हैं, और सरकार पूरे 5 साल चलेगी. जोड़ तोड़ का कहीं कोई इरादा नहीं है. मुकेश सहनी ने दिल्ली में लालू यादव से मुलाकात के सवाल पर कहा कि उनकी कोई मुलाकात नहीं हुई है और अभी इच्छा भी नहीं है. लेकिन लालू यादव आदरणीय हैं, बिहार के बड़े नेता हैं. कहीं मौका मिलेगा तो जरूर मिलेंगे.
हालांकि मुकेश सहनी ने फोन पर लालू यादव से बात करने के सवाल पर चुप्पी साध ली और कहा कि इसे पर्दे में ही रहने दीजिए. इससे पहले जीतन राम मांझी की पार्टी HAM के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने सीधे-सीधे BJP नेताओं पर अपने बयानों से सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाते हुए, NDA कोआर्डिनेशन कमेटी बनाने तक की मांग कर डाली. दानिश रिज़वान ने यहां तक कहा कि एक तरफ 'सबका साथ और सबका विकास' का नारा और दूसरी तरफ तुष्टिकरण की राजनीति अब नहीं चलेगी.