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चिराग पासवान और चचेरे भाई प्रिंस राज के बीच मंच पर दिखा मनमुटाव, जानें क्या है मामला?

चिराग पासवान और उनके चचेरे भाई प्रिंस राज के बीच मनमुटाव खुलकर सामने आ गया. दरअसल दोनों एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे. मंच से प्रिंस राज का भाषण चल रहा था, लेकिन चिराग दूसरे कार्यक्रम में जाने की वजह से पहले भाषण करना चाहते थे, लेकिन प्रिंस राज ने अपना भाषण खत्म नहीं किया. इससे नाराज होकर चिराग मंच से उतर गए.

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चिराग पासवान (फाइल फोटो)
चिराग पासवान (फाइल फोटो)

अंबेडकर जयंती के मौके पर पटना में एक कार्यक्रम के दौरान लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के सुप्रीमो चिराग पासवान और चचेरे भाई व राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी सांसद प्रिंस राज के बीच मंच पर ही तनातनी देखने को मिली.

दरअसल, अंबेडकर जयंती के मौके पर पटना में अंबेडकर छात्रावास में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जिसमें दलित समाज के कई नेताओं को आमंत्रित किया गया था. इसी कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए पहले प्रिंस राज पहुंचे. मंच पर उनका भाषण चल रहा था, उसी दौरान चिराग पासवान भी कार्यक्रम में पहुंच गए और मंच पर चले गए.

इसी बीच प्रिंस राज का भाषण चलता रहा और चिराग पासवान बार-बार आयोजकों से कहते रहे कि उन्हें दूसरे कार्यक्रम में जाने में देरी हो रही है और उन्हें बोलने का मौका दिया जाए. लेकिन प्रिंस राज लगातार अपना भाषण करते रहे.

प्रिंस राज ने जब अपना भाषण नहीं रोका, तो नाराज होकर चिराग पासवान अपने समर्थकों के साथ मंच से उतर गए और कार्यक्रम छोड़कर जाने लगे. जब चिराग पासवान कार्यक्रम छोड़कर जा रहे थे, तो प्रिंस राज ने भाषण के दौरान इशारों-इशारों में चिराग पर हमला भी किया और बिना नाम लिए हुए कहा कि कार्यक्रम में कुछ दलित विरोधी नेता भी पहुंचे हुए हैं.

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जब थोड़ी देर बाद प्रिंस राज का भाषण खत्म हुआ तो आयोजकों ने मंच से ही चिराग पासवान को दोबारा मंच पर आने का आग्रह किया और कहा कि दोनों भाइयों को अपने घर का झगड़ा सार्वजनिक मंच पर लेकर नहीं आना चाहिए, इसके बाद चिराग पासवान दोबारा मंच पर पहुंचे और अपना भाषण दिया.

चिराग पासवान भले ही कार्यक्रम में भाषण देने के लिए राजी हो गए, लेकिन दोनों भाइयों के बीच का मनमुटाव और टकराव साफ तौर पर जनता के सामने आ गया.

दरअसल, पिता रामचंद्र पासवान की मृत्यु के बाद प्रिंस राज समस्तीपुर से उपचुनाव जीतकर सांसद बने थे, लेकिन साल 2021 में लोक जनशक्ति पार्टी टूट गई और प्रिंस राज पशुपति पारस के खेमे में चले गए.
 
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