गरीब सवर्णों को 10% आरक्षण दिए जाने को लेकर बिहार सरकार ने मंगलवार को विधानसभा के पटल पर बिल पेश कर दिया. केंद्र सरकार के द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10% का आरक्षण देने को लेकर कानून पास होने के बाद इसे सभी राज्य सरकारों को भी अपनी-अपनी विधानसभा में पास कराना होता है ताकि यह पूरे देश में लागू हो सके. इसी को लेकर बिहार सरकार ने मौजूदा बजट सत्र में मंगलवार को बिल पेश किया.
माना जा रहा है कि बुधवार को सवर्ण आरक्षण को लेकर विधानसभा में चर्चा होगी जिसके बाद राज्य सरकार इसको विधानसभा और फिर विधान परिषद से पास कराएगी. दोनों सदनों से पारित होने के बाद बिहार में भी गरीब सवर्णों को 10% आरक्षण देने की व्यवस्था बन जाएगी. नरेंद्र मोदी सरकार के द्वारा देश में गरीब सवर्णों को 10% आरक्षण देने की व्यवस्था कर देने के बाद गुजरात, झारखंड, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी इस कानून को अपने-अपने प्रदेश में लागू कर दिया है.
नीतीश कुमार की अध्यक्षता में पिछले कैबिनेट की बैठक में ही आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10% आरक्षण देने को लेकर प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई थी जिसके बाद मंगलवार को इसे विधानसभा में बजट सत्र के दौरान पेश किया गया.
बिहार में 2,00,501.01 करोड़ का बजट पेश
इस बीच राज्य का बजट पेश करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने बताया कि इस बार राज्य सरकार ने 2,00,501.01 करोड़ रुपये का बजट पेश किया जो पिछले वित्तीय वर्ष 2018-19 में 1,76,990.27 करोड़ का था.
वित्तीय साल 2019-20 में 24 हजार 420 करोड़ रुपए का ऋण देने का प्रावधान किया गया है। केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी बढ़ने की उम्मीद है। 34 हजार 798 करोड़ रुपए शिक्षा पर,लगभग 18 हजार करोड़ रुपए सड़कों पर और ग्रामीण विकास पर 15 हजार 669 करोड़ खर्च किये जांएंगे। राज्य के.... pic.twitter.com/K6P6e3yMnC
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) February 12, 2019
2004-05 के बजट से आठ गुणा ज्यादा धनराशि के इस बजट में पूंजीगत व्यय पर 45 हजार 270 हजार करोड़ खर्च होंगे। वेतन पेंशन पर भी सरकार का ध्यान है, जिसमें संविदाकर्मी भी शामिल हैं। बिहार की खुदरा महंगाई दर 2.7 पर नियंत्रित है।
विरोधियों से महंगाई का मुद्दा छिन गया और जनता को सामान.... pic.twitter.com/upY8NFauMu
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बता दें कि बिहार में इस कानून के बनने के बाद गरीब सवर्णों को नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10% आरक्षण की व्यवस्था करा दी जाएगी. इस कानून के बनने के कारण राज्य में पहले से लागू आरक्षण व्यवस्था पर कोई भी असर नहीं पड़ेगा. विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल आरजेडी ने गरीब सवर्णों को 10% आरक्षण देने की व्यवस्था का पुरजोर विरोध किया.
एनडीए सरकार में बिहार का राजकोषीय घाटा लगातार तीन फीसदी से कम रहा। आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक विकास पर हमारा व्यय पर बेहतर रहा। सरकार की शराबबंदी नीति ने गरीबों की किस्मत बदल दी। इस साल आर्थिक और सामाजिक सुधार के लिए उसी बिहार को 11 अलग-अलग पुरस्कार मिले, जिसे 15 साल के.... pic.twitter.com/I7qTXrGcm0
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आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कई मौकों पर मांग उठाई है कि देश में जिसकी जितनी आबादी हो उसको उसी हिसाब से आरक्षण मिलना चाहिए. तेजस्वी यादव ने यह भी मांग की है कि पिछड़ी जाति के आरक्षण को और बढ़ाना चाहिए.
शिक्षा पर सबसे ज्यादा जोरबिहार की एनडीए सरकार ने इतना शानदार वित्तीय प्रबंधन किया कि 2017-18 में विकास दर 2 फीसद बढ़ी। देश के कई राज्य हमारी अर्थव्यवस्था को फॉलो कर रहे हैं। गैरसरकारी रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट में भी हमारी विकास दर 9.9 से बढ़कर 11.9 होने की उपलब्धि की सराहना की गई।
इसका स्वागत... pic.twitter.com/vEQRmUR7o9
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बिहार सरकार के बजट में सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि शिक्षा पर सरकार ने सबसे ज्यादा जोर दिया है और इसके लिए 34,798.69 करोड़ का प्रावधान किया है. दिलचस्प बात यह है कि चुनावी वर्ष होने के कारण सरकार ने इस बार आम लोगों पर कोई नया कर लागू नहीं किया है. शिक्षा के साथ-साथ सड़क निर्माण, स्वास्थ्य बिजली और पुलिस विभाग पर भी बजट में विशेष प्रावधान कर दिया गया है.
बजट में सड़क निर्माण को लेकर 17,923 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है जिसमें से ग्रामीण सड़क के लिए 10,918 करोड़ रुपये का प्रावधान है और बाकी अन्य सड़कों के निर्माण के लिए. प्रदेश में बिजली व्यवस्था को और सुदृढ़ करने के लिए बजट में 8,894 करोड़ का प्रावधान किया गया है. अपना 10वां बजट पेश करते हुए सुशील कुमार मोदी ने कहा कि पिछले वित्तीय वर्ष में बिहार ने 11.3 फीसदी विकास दर प्राप्त किया जो देश में सबसे ज्यादा है.
सुशील मोदी ने कहा कि राजधानी पटना में सीसीटीवी लगाने पर राज्य सरकार द्वारा 110 करोड़ रुपये खर्च होंगे. बजट में बिहार में 11 नए मेडिकल कॉलेज खोले जाने का भी ऐलान किया गया है. उन्होंने कहा कि बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच के विस्तारीकरण पर 5,554 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. सरकार का बजट पेश करते हुए सुशील मोदी के तरफ से सबसे दिलचस्प बात यह नजर आई कि उन्होंने कई मौकों पर शेर-ओ-शायरी का सहारा लेते हुए दिखे.