बिहार के स्थानीय निकाय की 24 विधान परिषद (एमएलसी) सीटों पर हुए चुनाव के नतीजे गुरुवार को आए. एमएलसी चुनाव में नीतीश कुमार के अगुवाई वाली एनडीए भले ही आधे से ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब रही हो और बीजेपी 7 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी हो, लेकिन इसके बाद भी दोनों ही दलों को सत्ता में रहते हुए तगड़ा झटका लगा है. आरजेडी ने पिछली बार से बेहतर प्रदर्शन दोहारा है तो चार सीटें जीतकर निर्दलीयों ने भी अपना दम दिखाया है. हालांकि, पार्टियों के वरीयता क्रम भले ही न बदले हों, लेकिन बिहार के उच्च सदन की तस्वीर जरूर बदली नजर आएगी.
24 एमएलसी सीटों में से बीजेपी 7 सीटें जीती है तो 5 सीटें जेडीयू को मिली और एक सीट पशुपति पारस की एलजेपी को मिली है. वहीं, आरजेडी को 6 सीटें जीतने में कामयाब रही और कांग्रेस को एक सीट मिली है जबकि चार एमएलसी सीटें निर्दलीयों के खाते में गई हैं. हालांकि, एनडीए एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतारा था तो महागठबंधन के कांग्रेस और आरजेडी अलग-अलग चुनाव लड़े थे.
बीजेपी को पांच सीटों का नुकसान
बिहार एमएलसी चुनाव में एनडीए के तहत बीजेपी 12 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें से 7 सीटों पर उसे जीत मिली है और पांच सीटों पर उसे हार का मूंह देखना पड़ा था. बीजेपी जिन 12 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, वो सभी सीटों पर उसका कब्जा रहा है. बता दें कि एमएलसी चुनाव से पहले बिहार उच्च सदन में बीजेपी के कुल 27 सदस्य थे, जिसमें से 12 सीटें खाली हुई थीं. बीजेपी इन 12 सीटों में से सात सीटें ही बचा सकी है, जिसके चलते अब उसकी संख्या घटकर उच्च सदन में 22 हो गई.
जेडीयू को भी लगा बड़ा झटका
बिहार विधान परिषद चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को बड़ा झटका लगा है. गठबंधन के तहत जेडीयू ने 11 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें से पांच सीटों पर ही जीत सकी. जेडीयू को दोहरी चोट लगी है. एक तरह उच्च सदन में उसकी संख्या घटी है तो दूसरी तरफ बीजेपी, आरजेडी को उससे ज्यादा सीटें मिली हैं. चुनाव से पहले उच्च सदन में जेडीयू सदस्यों की संख्या 32 थी, जिनमें से 9 सीटों पर चुनाव हुए हैं. जेडीयू ने अपनी नौ सीटों में से महज पांच सीटे ही जीत सकी है और चार सीटों पर उसे नुकसान हुआ है. इसके चलते अब जेडीयू के सदस्यों की संख्या विधान परिषद में घटकर 28 पर पहुंच गई है.
आरजेडी का कद उच्च सदन में बढ़ा
बिहार उच्च सदन में आरजेडी का सियासी कद चुनाव नतीजे के बाद बढ़ गया है. आरजेडी भले ही 23 एमएलसी सीटों पर चुनाव लड़कर 6 जीती हो, लेकिन उसे बड़ा फायदा मिला है. चुनाव से पहले आरजेडी के पास पहले विधान परिषद में सात सदस्य थे, जिनमें से दो सीटें खाली हुई थी. इस चुनाव में आरजेडी को 6 सीटों पर जीत मिली है, जिसके चलते चार सीटों का उसे फायदा मिला है और उसका आंकड़ा बढ़कर उच्च सदन में 11 हो गया है. इस तरह से आरजेडी की नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी भी बची रहेगी, जिस पर तेजस्वी यादव की माता और पूर्व सीएम राबड़ी देवी काबिज हैं.
कांग्रेस ने अपना दम रखा बरकरार
विधान परिषद के चुनाव में आरजेडी से मनमुटाव के बाद कांग्रेस अकेले किस्मत आजमाई थी. कांग्रेस ने 15 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और उसे एक सीट पर जीत मिली है. चुनाव से पहले विधान परिषद में कांग्रेस के चार सदस्य थे, जिनमें से एक सीट रिक्त हुई थी. कांग्रेस एक ही सीट जीतने में कामयाब रही, जिसके चलते उच्च सदन में कांग्रेस अपना आंकड़ा बरकरार रखा है. हालांकि, कांग्रेस ने एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी को समर्थन किया था, जो जीतने में कामयाब रहे.
चिराग-सहनी शून्य पर हुए आउट
वहीं, एनडीए के सहयोगी के तौर पर चुनाव में उतरी केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस की एलजेपी विधान परिषद में खाता खोलने में कामयाब रही. एलजेपी एक सीट पर चुनाव लड़ी और उस पर जीत दर्ज की है. वहीं, चिराग पासवान और मुकेश सहनी की पार्टी शून्य पर आउट हो गई है. वीआईपी के प्रमुख मुकेश सहनी अभी फिलहाल एमएलसी है, लेकिन उनका कार्यकाल भी जुलाई में पूरा हो रहा. ऐसे ही आरजेडी के साथ मिलकर एक सीट पर चुनाव लड़ने वाली सीपीआई को कोई सीट नहीं मिली है. हालांकि, उच्च सदन में उसके पास दो सदस्य हैं.
उच्च सदन की होगी ये तस्वीर
बिहार उच्च सदन में कुल 75 एमएलसी सीटें है. चुनाव के बाद आंकड़ों के देखें तो एनडीए के विधान परिषद में 52 सदस्य हो बचे हैं. जेडीयू के 28 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है तो बीजेपी 22 सदस्यों के साथ दूसरे नंबर पर है. इसके अलावा उसके सहयोगी के तौर पर पशुपति पारस की पार्टी के एक सदस्य हो गए तो जीतनराम मांझी की पार्टी से एक सदस्य है. इस तरह से उच्च सदन में दो तिहाई सदस्य एनडीए के पास है, जिसके चलते किसी तरह के कई प्रस्ताव और बिल पास कराने में उसके दिक्कत नहीं होती.
वहीं, विपक्ष के तौर पर देखें तो आरजेडी 11 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी होगी. इसके चलते नेता प्रतिपक्ष का पद उसके पास होगा. आरजेडी सदस्यों की संख्या भी कुल सदस्यों के 10 फीसदी से ज्यादा है, जिसके चलते राबड़ी देवी की कुर्सी बची रहेगी. कांग्रेस के चार, सीपीआई सदस्य मिलाकर उच्च सदन में विपक्ष के कुल 17 सदस्य हो गए तो निर्दलीय सदस्यों की संख्या भी विधान परिषद में पांच हो गई है.