बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए सरकार के मंत्रिमंडल का काफी जद्दोजहद के बाद विस्तार हुआ. राज्यपाल फागू चौहान ने 17 मंत्रियों को शपथ दिलाई है, जिनमें बीजेपी कोटे से 9 विधायक तो जेडीयू कोटे से 8 मंत्री बनाए गए हैं. बिहार की नई एनडीए सरकार में बीजेपी के विधायकों की संख्या अधिक है, लिहाजा कैबिनेट में भी बड़े भाई की भूमिका में बीजेपी नजर आ रही है.
जेडीयू कोटे से लेसी सिंह, जयंत राज, मदन सहनी, श्रवण कुमार, संजय झा, सुनील कुमार और बसपा छोड़कर आए जमा खान को मंत्री बनाया गया है. इसके अलावा जेडीयू ने अपने कोटे से ही निर्दलीय विधायक सुमित सिंह को भी मंत्री पद से नवाजा है. वहीं, बीजेपी कोटे से शाहनवाज हुसैन, नितिन नवीन, नीरज कुमार बबलू, सम्राट चौधरी, सुभाष सिंह, आलोक रंजन झा, नारायण प्रसाद, प्रमोद कुमार और जनक राम को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है.
बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद 16 नवंबर 2020 को नीतीश कुमार ने 14 मंत्रियों के साथ शपथ लेकर कैबिनेट का गठन किया था. बीजेपी के दो डिप्टी सीएम सहित 7 और जेडीयू कोटे से 5 मंत्री बनाए गए थे, जबकि हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के 1 और वीआईपी से एक विधायक को मंत्री बनाया गया. हालांकि, जेडीयू नेता मेवालाल चौधरी के इस्तीफे के बाद जेडीयू के 4 मंत्री ही बचे थे.
वहीं, अब 84 दिन के बाद नीतीश कुमार ने एक बार फिर से अपने कैबिनेट का विस्तार किया है, जिनमें बीजेपी के 9 और जेडीयू के 8 मंत्री बनाए गए हैं. इस तरह से बीजेपी कोटे के मंत्रियों की संख्या 16 हो गई है जबकि जेडीयू के मंत्रियों की संख्या 12 हो रही है. बिहार में इस बार बीजेपी के 74 और जेडीयू के सिर्फ 43 विधायक जीतकर आए हैं. इस लिहाज से बीजेपी बिहार में जेडीयू के बड़े भाई की भूमिका में है और मंत्रिमंडल में भी यही मुकाम हासिल कर लिया है. हालांकि, अभी भी पांच मंत्रियों को बनाए जाने की जगह खाली है.
बिहार विधानसभा में 243 सदस्य हैं, संवैधानिक प्रावधान के लिहाज से 15 फीसदी सदस्य मंत्री बनाए जा सकते हैं. इस लिहाज से बिहार में मुख्यमंत्री सहित कुल 36 मंत्री ही बन सकते हैं. बिहार की एनडीए सरकार के कैबिनेट विस्तार के बाद भी मंत्रियों की संख्या 30 हो रही है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित 31 हो रही है. इस तरह से पांच मंत्री के पद अभी बचे हुए हैं.
बिहार में 50-50 का फॉर्मूले के चलते ही नीतीश कैबिनेट विस्तार में बड़ी अड़चन आ रही था. जेडीयू कैबिनेट में 50-50 के फॉर्मूले पर अड़ गई थी, लेकिन बीजेपी अपने विधायकों की संख्या के आधार पर जेडीयू से ज्यादा मंत्रियों की मांग कर रही थी. इसके चलते मंत्रिमंडल के विस्तार का पेच फंसा हुआ था, लेकिन बीजेपी ने पिछले कार्यकाल की कैबिनेट का हवाला देकर अपने मंत्रियों की संख्या में इजाफा कराया है.
दरअसल, 2017 में नीतीश कुमार ने आरजेडी से नाता तोड़कर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी. उस समय मंत्रिमंडल का जो गठन हुआ था, उसमें जेडीयू के मंत्रियों की संख्या बीजेपी से ज्यादा थी. इसकी वजह यह भी थी कि जेडीयू के विधायकों की संख्या भी बीजेपी से कहीं ज्यादा रही थी. इसी लिहाज से बीजेपी के विधायकों की संख्या ज्यादा है तो कैबिनेट में वो जेडीयू के बड़े भाई की भूमिका में है.