राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के 41 महीने बाद बिहार लौटते ही सूबे का सियासी तापमान बढ़ गया है. छह साल के बाद लालू यादव चुनावी मंच पर नजर आएंगे. तारापुर और कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीट पर जनसभा को संबोधित करेंगे. ऐसे में क्या लालू यादव अपने पुराने तेवर और ठेठ सियासी अंदाज दिखा पाएंगे?
बता दें कि बिहार के कुशेश्वरस्थान और तारापुर विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव के लिए 30 अक्टूबर को मतदान होना है जबकि दो नवंबर को नतीजे आएंगे. 2020 के बिहार चुनाव के बाद पहली बार उपचुनाव हो रहे हैं, जिसके चलते सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ने ही पूरी ताकत लगा रखी है. जेडीयू के पक्ष में एनडीए एकजुट है जबकि महागठबंधन बिखरा हुआ है. कांग्रेस और आरजेडी एक दूसरे के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं और दोनों ही पार्टियों के बीच जुबानी जंग जारी है.
बिहार उपचुनाव में जीत के लिए सभी दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है. लालू यादव करीब छह साल के बाद किसी चुनावी सभा को संबोधित करेंगे, जिसे लेकर आम लोगों के साथ-साथ राजनीतिक दलों की भी नजर है. लालू का चुनाव प्रचार करने का अपना अंदाज है और तेवर है, लेकिन लंबे समय से बीमारी के चलते आश्वस्त चल रहे हैं. ऐसे में सभी की नजरें लालू यादव के संबोधन पर टिकी हुई हैं.
हालांकि, लालू यादव के बिहार आगमन के बाद सूबे की सियासत गरमाई हुई है. मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आरजेडी सुप्रीमो के बयान को आड़े हाथ लिया. बता दें कि लालू यादव ने नीतीश कुमार की सत्ता के विसर्जन करने की बात कही थी, जिसपर जवाब देते हुए सीएम नीतीश ने लालू यादव पर तंज कसा और कह दिया कि वो (लालू यादव) मुझे गोली भी मरवा सकते हैं.
वहीं, कांग्रेस ने आरजेडी पर निशाना साधते हुए कहा है कि लालू चुनावी मैदान में उतरे तो जनता उनसे सवाल करेगी. वहीं बीजेपी का कहना है कि लालू के प्रचार का इस बार भी कोई असर नहीं पड़ने वाला है. सीएम नीतीश कुमार ने सोमवार को दोनों सीटों पर चुनावी सभा को संबोधित कर चुके हैं.