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Mental Health: कहीं Teenage Depression से तो नहीं जूझ रहा आपका बच्चा? इन लक्षणों से करें पहचान

टीनएज में बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारियां काफी देखने को मिल रही हैं. ये उम्र काफी मुश्किल होती है इस समय बच्‍चे कई चीजों को लेकर परेशान रहते हैं, जिसकी वजह से वे डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं.

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Mental Health Problems (Image: Freepik)
Mental Health Problems (Image: Freepik)

पूरी दुनिया में करोड़ों लोग डिप्रेशन से जूझ रहे हैं, जिसकी वजह से सुसाइड करने वाले लोगों की संख्या में भी वृद्धि देखने को मिल रही है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मेंटल हेल्थ प्रोब्लम से सबसे ज्यादा प्रभावित टीनएज ग्रुप (13 से 19 साल) के लोग हैं. 

टीनएज में एंग्जाइटी और डिप्रेशन जैसी मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारियां काफी देखने को मिल रही हैं. 14 से 19 साल की उम्र में बच्चे खुद अपनी इच्छाओं, जरूरतों और व्‍यवहार को ठीक तरह से समझ नहीं पाते हैं. इस उम्र में कई बच्चे स्ट्रेस का शिकार हो जाते हैं, जिसकी वजह से उन्हें मेंटल हेल्थ प्रोब्लम्स हो जाती हैं.
 
टीनएज डिप्रेशन के लक्षण
1. मन ना लगना-
अगर बच्चे का मन किसी भी चीज में नहीं लग रहा है और वह अपने पसंदीदा काम को करना भी छोड़ दे तो यह टीनएज डिप्रेशन के लक्षण हैं. 

2. नींद ना आना- जो बच्चे टीनएज डिप्रेशन से पीड़ित होते हैं, उनके स्लीपिंग पैटर्न पर भी बुरा असर पड़ता है. देर रात तक जागना, ठीक से ना सो पाना या फिर जरूरत से ज्यादा सोना ये सब टीनएज डिप्रेशन के ही लक्षण हैं. 

3. लोगों से मिलने में कतराना- अगर आपका बच्चा अचानक से लोगों से मिलना-जुलना बंद कर दे और अकेले रहने लगे तो समझ जाइए कि कुछ गड़बड़ है.

4. खानपान में बदलाव- अगर कोई बच्चा जरूरत से ज्यादा खाना खाने लगे या फिर बहुत कम भोजन करे तो यह भी डिप्रेशन के लक्षण हैं. 

5. पढ़ाई का प्रभावित होना- जब बच्चे टीनएज डिप्रेशन का शिकार होते हैं तो इसका उनकी पढ़ाई पर भी बुरा असर पड़ता है. वे अपने एग्जाम में अच्छा स्कोर नहीं कर पाते और कई बार तो फेल भी हो जाते हैं. 

6. मूड स्विंग्स होना- टीनएज में मूड स्विंग्स तो होते ही हैं क्योंकि इस उम्र में बच्चे के अंदर कई तरह के शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं, लेकिन अगर बच्चे का मूड हद से ज्यादा बदल रहा है या फिर वो उदास रहने लगा है तो यह डिप्रेशन के लक्षण हैं. 

टीनएज डिप्रेशन से कैसे करें बचाव
1. बच्चे को डिप्रेशन से बचाने के लिए पेरेंट्स ही अहम भूमिका निभा सकते हैं. अभिभावकों को बच्चे को डांटने की जगह भावनात्मक रूप से उसकी सहायता करना चाहिए. 

2. अगर तमाम कोशिशों के बाद भी बच्चे के व्यवहार में परिवर्तन ना दिखे तो किसी अच्छे मनोचिकित्सक से संपर्क करें.  

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