सोशल मीडिया पर अंग्रेजी अखबार की एक कतरन वायरल हो रही है जिसके जरिए दावा किया गया है कि केरल में एक हिंदू आदमी को उसकी मुस्लिम गर्लफ्रेंड के घरवालों ने जलाकर मार डाला. खबर में बताया गया है कि लड़की के घरवालों को उसका हिंदू लड़के के साथ प्रेम संबंध मंजूर नहीं था. पीड़ित का नाम जीतू मोहन था और वो केरल की जूनियर फुटबॉल टीम का उपकप्तान था.
यूजर्स ये कतरन शेयर करते हुए लिख रहे हैं कि केरल में एक हिंदू युवक को मुस्लिमों ने साजिश के तहत जिंदा जलाकर मार डाला, लेकिन इस लिंचिंग पर ना तो मीडिया में कोई खबर है, ना ही कोई नेता इस पर बोल रहा है. ये पोस्ट फेसबुक और ट्विटर पर काफी वायरल है.
क्या है सच्चाई?
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि वायरल पोस्ट पूरी सच्चाई नहीं बताती. ये वाकया हाल-फिलहाल का नहीं, बल्कि 2012 का है. अखबार की कतरन को इस तरह से पेश किया जा रहा है जैसे ये कोई ताजा मामला हो.
कीवर्ड की मदद से खोजने पर हमें इस घटना से जुड़ी कुछ खबरें मिलीं. ये खबरें अक्टूबर 2012 में प्रकाशित हुई थीं. 3 अक्टूबर 2012 की "डेक्कन हेराल्ड" की खबर के अनुसार, 23 साल के जीतू मोहन का दूसरे धर्म की एक लड़की के साथ प्रेम-प्रसंग चल रहा था, जिसके चलते उसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था. जीतू मोहन ने मरने से पहले बयान में कहा था कि उसे लड़की के जीजा ने कुछ अन्य लोगों के साथ मिलकर जलाया है. घटना केरल के कोडुन्गल्लुर में हुई थी. लड़की के जीजा का नाम वहाद था जो खुद एक पुलिसकर्मी था.
हालांकि, मामले में पुलिस का कहना था कि जीतू मोहन ने खुद ही अपने आप को आग लगाई थी क्योंकि उसे लड़की से मिलने नहीं दिया गया था. न्यूज 18 के मुताबिक, पुलिस और कुछ स्थानीय लोगों ने कहा था कि जीतू अपनी प्रेमिका के घरवालों को मनाने में सफल नहीं हो पाया था. इसी वजह से निराश होकर उसने खुद पर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा ली थी. जीतू की मौत एर्नाकुलम के एक अस्पताल में हुई थी.
मामले को लेकर अक्टूबर 2012 में मलयाली मीडिया में भी खबरें छपी थीं.
कुल मिलाकर निष्कर्ष ये निकलता है कि पोस्ट में जिस घटना का जिक्र किया गया है वो सच है, लेकिन नौ साल पुरानी है. अखबार की एक कतरन के जरिए ये बताने की कोशिश की जा रही है कि घटना हाल ही में हुई है.