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घूमते वक्त फोटो-वीडियो डालना खतरनाक, कब लगता है सिक्योरिटी ब्रीच का आरोप, क्या कहता है भारतीय कानून?

पाकिस्तान को खुफिया जानकारी देने के आरोप में हाल में कई गिरफ्तारियां हुईं, जिनमें ट्रैवल व्लॉगर ज्योति रानी का भी नाम है. कथित तौर पर यूट्यूबर ने संवेदनशील जगहों की जानकारी के साथ कई और चीजें भी उनके इंटेलिजेंस के साथ शेयर कीं. फिलहाल ज्योति रिमांड पर हैं. उनका मामला अलग रखें तो भी कई बार अनजाने में ही लोग ऐसी जानकारियां सार्वजनिक कर देते हैं, जिनका गलत इस्तेमाल हो सके.

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संवेदनशील जगहों के आसपास तस्वीरें लेते हुए खास सतर्क रहना होता है. (Photo- Unsplash)
संवेदनशील जगहों के आसपास तस्वीरें लेते हुए खास सतर्क रहना होता है. (Photo- Unsplash)

पहलगाम हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के रिश्ते लगातार बिगड़ रहे हैं. लगातार जांच हो रही है कि आखिर कैसे और कहां से संवेदनशील जानकारियां दुश्मन देश तक पहुंच रही हैं. इसी कड़ी में कई गिरफ्तारियां हुईं, जिनमें एक नाम ट्रैवल व्लॉगर ज्योति रानी का है. खुफिया एजेंसियों का आरोप है कि ज्योति का ट्रैवल सिर्फ कंटेंट के लिए नहीं था, बल्कि ये सिक्योरिटी ब्रीच का मामला है. उनके पास पड़ोसी देश के इंटेलिजेंस से जुड़े लोगों के नंबर भी मिले. ज्योति पर जांच चल रही है. वहीं कई बार अनजाने में भी ट्रैवलर ऐसी जानकारियां शेयर कर देते हैं जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन जाए. 

राष्ट्रीय सुरक्षा में सेंध से मतलब किसी भी ऐसी घटना से है जिसमें आरोपी ने सेंसिटिव डेटा लीक किया हो, दुश्मन देश से शेयर किया हो, या फिर कुछ भी ऐसा किया हो, जिससे देश की संपत्ति, लोगों या एकता में दरार आने का डर हो. कई बार लोग अनजाने में ही ऐसी जगहों का डेटा या जानकारी सोशल मीडिया पर डाल देते हैं, जहां से आतंकियों या गलत मंसूबे रखने वाले उसका फायदा उठा सकते हैं. ये डर अब बढ़ चुका है, जबकि लोग लगातार यात्राएं कर रहे हैं और तस्वीरें, वीडियो भी सार्वजनिक कर रहे हैं. 

कब होता है खतरा 

कुछ जगहें हैं, जो सिक्योरिटी सेंसिटिव मानी जाती हैं, जैसे सेना के ठिकाने, हवाई अड्डे का रनवे, नेवी के जहाज या आर्मी की ट्रेनिंग से जुड़ी चीजें. न्यूक्लियर सेंटर से जुड़ी चीजें, प्लानिंग या मॉडल भी शेयर नहीं किए जा सकते. यहां तक कि इससे जुड़े वैज्ञानिकों की जानकारी भी शेयर करना इंडियन ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट 1923 के तहत अपराध है. तस्वीरों के अलावा अगर कोई खुद बनाई हुई स्केच भी डाले, जिसमें इनसे जुड़ी कोई जानकारी हो तब भी यही मामला बनता है. 

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cyber security breach photo- Getty Images

बिना अनुमति सरकारी इमारतों की रिकॉर्डिंग भी शक का आधार बन सकती है, खासकर इमारत अगर सीमा चौकियों, रडार स्टेशन या ऐसी गतिविधि से जुड़ी हों, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील होती हैं. इसी तरह से बॉर्डर इलाके में भी तस्वीरें लेते या वीडियो बनाते हुए खास एहतियात बरतनी चाहिए. खासकर भारत-पाकिस्तान, भारत-बांग्लादेश या भारत-चीन के सीमावर्ती इलाकों में फोटोग्राफी करते समय खास सावधानी जरूरी है. ऐसे इलाकों में बीएसएफ या सुरक्षा एजेंसियों से इजाजत जरूरी लेनी चाहिए. 

कैसे पहचानें कि कोई जगह सेंसिटिव जोन है 

जब भी किसी जगह पर फोटोग्राफी प्रतिबंधित या नो ड्रोन जोन जैसे निर्देश लिखें हों, वहां रुक जाना बेहतर है. कई बार सेना या सुरक्षा एजेंसियां खुद रोकती हैं. ऐसे में एडवेंचर के लिए भी तस्वीरें लेना भारी पड़ सकता है. कई जगहें इसलिए भी पाबंदीशुदा होती हैं क्योंकि वहां वीवीआईपी रहते हैं, या फिर ऐसी जनजातियां रहती हैं, जिन्हें प्रोटेक्शन की जरूरत हो. मसलन, अंडमान-निकोबार की नॉर्थ सेंटिनल जनजाति को बचाने के लिए एक खास द्वीप को प्रतिबंधित जोन बना दिया गया. यहां जाने की कोशिश में यूट्यूबर हिरासत में भी लिए जा चुके. 

क्या अनजाने में लोग गलती कर जाते हैं

अक्सर पर्यटक संकेतों को नजरअंदाज़ कर देते हैं या स्थानीय नियमों से अनजान होते हैं. लद्दाख में कुछ पर्यटकों ने सेना के काफिले की तस्वीरें सोशल मीडिया पर डालीं, फिर सुरक्षा अधिकारियों ने उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया था. बाद में उन तस्वीरों को हटा दिया गया और टूरिस्ट भी छोड़ दिए गए. 

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youtuber jyoti malhotra case

कुछ ऐसे मामले भी आते हैं, जिनमें आम लोग अनजाने ही ऐसे लोगों से मेलजोल कर बैठते हैं, जो देश की सुरक्षा के लिए खतरा हों. ऐसे में भी ट्रैप होने का डर रहता है. ऐसा एक बड़ा मामला फिल्म डायरेक्टर महेश भट्ट के बेटे राहुल भट्ट से जुड़ा हुआ था. राहुल की मुलाकात डेविड हेडली से हुई. हेटली ने खुद को एक्स अमेरिकी आर्मी की तरह पेश किया और घुलता-मिलता रहा. बाद में पता लगा कि हेडली तो लश्कर का जासूस था और मुंबई हमलों में शामिल था. राहुल की भी जांच हुई लेकिन वे इनोसेंट साबित हुए. 

हमारे यहां इस पर क्या है कानून

मुख्य कानून ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट 1923 है. इसकी धारा 3 और 5 के तहत प्रोहिबिटेड जगहों की तस्वीरें, योजनाएं या मॉडल शेयर करने पर लंबी सजा हो सकती है. 

भारतीय न्याय संहिता में आर्म्ड फोर्सेस एक्ट के तहत भी धाराएं लागू हो सकती हैं. इनमें देशद्रोह का केस भी बनता है.

बिना अनुमति किसी संरक्षित क्षेत्र में प्रवेश करने पर ट्रेसपास का मामला दायर हो सकता है. अगर जगह सेंसिटिव जोन में हो तो बात गंभीर हो जाएगी. 

हवाई अड्डों और एयरफोर्स बेस के पास फोटोग्राफी पर रोक है. इसका उल्लंघन करने वालों पर एयरक्राफ्ट रूल्स 1937 लागू होता है. 

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अगर कोई पर्यटक या रिसर्चर ड्रोन्स से शूट करना चाहे तो उसे अनमेन्ड एयरक्राफ्ट सिस्टम रूल्स 2021 के तहत DGCA से अनुमति लेनी होती है. बता दें कि रेड जोन में बिना अनुमति ड्रोन उड़ाना गैरकानूनी है.

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