चार महीने से भी कम समय में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव हैं. सुपर पावर देश का लीडर कौन बनेगा, इसपर पूरी दुनिया की नजरें हैं. अमेरिका की दोनों ही बड़ी पार्टियां वोटरों से कई वादे कर रही हैं. डोनाल्ड ट्रंप की पार्टी ने हाल में कहा कि वो अमेरिका से शरणार्थियों को हटाने का सबसे बड़ा अभियान चलाएगी. लाखों लोगों को देश से बाहर निकालना कितना मुश्किल है, और क्या ये संभव भी हो सकता है, या दक्षिणपंथ को लुभाने का एक जरिया भर है?
अमेरिका में कितने अवैध इमिग्रेंट्स
अमेरिका में बाहरी लोगों की संख्या काफी ज्यादा रही. साल 2019 में इस देश में इमिग्रेंट्स की संख्या 5 करोड़ से ज्यादा थी. ये तब दुनिया में कुल आप्रवासियों का 19 प्रतिशत, जबकि अमेरिकी जनसंख्या का 14 प्रतिशत था. इनमें से लगभग 1 करोड़ 10 लाख लोग ऐसे हैं, जो बिना लीगल दस्तावेज के रह रहे हैं.
डेकन हेराल्ड में छपी एक रिपोर्ट में सरकारी हवाले से कहा गया कि हर 10 में से 8 लोग अवैध तौर पर ही एक दशक निकाल देते हैं. वैसे अवैध शरणार्थियों के बारे में एक निश्चित संख्या तक पहुंचना मुश्किल है. जून में एक रैली के दौरान ट्रंप ने कहा था कि उनके यहां 1 करोड़ 80 लाख से भी ज्यादा अवैध रिफ्यूजी होंगे.
किन देशों के शरणार्थी ज्यादा
इस देश में वैसे तो सारी दुनिया के लोग आ रहे हैं. लेकिन जो बाइडेन प्रशासन के दौरान इसमें तेजी आई. एशियाई देशों के अलावा मिडिल ईस्ट लैटिन अमेरिका और अफ्रीका जैसी जगहों से भी काफी लोग अमेरिका में शरण ले रहे हैं.

किनको किया जा सकता है टारगेट
ट्रंप समेत उनकी पार्टी ने अवैध शरणार्थियों को लेकर काफी बड़ी बातें की हैं, लेकिन अभी तक कोई प्लान नहीं बताया कि वे कैसे इस योजना को अंजाम देंगे. माना जा रहा है कि कोई भी इमिग्रेंट जिसके पास कोई लीगल स्टेटस न हो, वो हटाया जाएगा. इसमें सबसे पहले वे लोग होंगे, जो किसी तरह का क्राइम कर चुके हैं.
राष्ट्रपति रहते हुए ट्रंप ने पहले भी की कोशिश
अपने कार्यकाल के दौरान ट्रंप ने एक बड़ी दीवार बनाने की योजना दी ताकि लोग उसे लांघकर भीतर न आ सकें. हालांकि योजना पूरी नहीं हो सकी. भारी पैसे लगाकर बनी आधी-अधूरी दीवार को ट्रंप वॉल भी कहा जाने लगा. लेकिन इस कोशिश ने बता दिया कि ट्रंप अवैध लोगों को अपने यहां किसी हाल में नहीं रखना चाहते.
कई देशों पर लगा चुके ट्रैवल बैन
जनवरी 2017 में ट्रंप ने एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर साइन किया था. इसके तहत 7 इस्लामिक देशों के लोगों के आने पर पाबंदी लगा दी गई. ये बैन 90 दिनों के लिए था. इसके अलावा सीरिया से शरणार्थियों के आने पर पूरी तरह से पाबंदी लग गई, जबकि बाकी किसी भी देश से रिफ्यूजियों के आने पर 120 दिन की रोक लगा दी गई. इसे प्रोटेक्टिंग द नेशन फ्रॉम फॉरेन टैररिस्ट एंट्री कहा गया. विपक्षी दल हालांकि इसे मुस्लिम बैन कहने लगे. ये पाबंदी लगातार कई चरणों में देश बदल-बदलकर लागू होती रही थी.

तो क्या इस बार मास डिपोर्टेशन होगा
सालों या दशकों से एक देश में रहते लोगों को हटाना उतना भी आसान नहीं. इससे सिविल वॉर जैसे हालात भी बन सकते हैं, खासकर जब दूसरी पार्टी इसके बिल्कुल खिलाफ हो. इसके अलावा कॉस्ट फैक्टर भी है. इसमें खरबों डॉलर के साथ-साथ कम से कम दो दशक लग जाएंगे. ट्रंप अगर चुनकर आए तो उनके पास 4 सालों का ही वक्त होगा. उनके बाद आने वाले राष्ट्रपति हो सकता है कि फैसला बदल दें, जैसे बाइडेन ने किया था. उन्होंने पद संभालते ही एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर साइन कर ट्रैवल बैन हटा दिया था.
कई लीगल दिक्कतें भी
- अवैध तौर पर आने वाले बहुत से लोगों का कोर्ट में केस चल रहा है. जब तक वे अवैध करार नहीं दे दिए जाते, वे अमेरिका में रह सकते हैं. ट्रंप को उन्हें हटाने के लिए कोर्ट्स, जजों की संख्या बढ़ानी होगी.
- डिपोर्ट किए जा रहे लोगों को कुछ समय के लिए डिटेंशन फैसिलिटी में रखा जाता है, जहां से वे सीमा पार छोड़े या जिस देश के रहनेवाले हैं, वहां वापस भेजे जाते हैं. ये भी काफी महंगी प्रोसेस है.
- कई ऐसे भी देशों से लोग भागकर आए, जिनके साथ अमेरिका का डिप्लोमेटिक रिश्ता नहीं. ऐसे में वे देश अपने ही लोगों को अपनाने से इनकार कर सकते हैं. तब अमेरिका के पास उन्हें रखने के अलावा कोई चारा नहीं होगा.
ट्रंप या बाइडेन- कब बाहर हुए ज्यादा अवैध शरणार्थी
ट्रंप जब पद पर थे, तब सवा 9 लाख से ज्यादा डिपोर्टेशन हुए थे. वहीं बाइडेन के समय में फरवरी तक 3 लाख 40 हजार लोग बाहर किए गए. ये आम लोग नहीं, बल्कि यूएस इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट उन अवैध शरणार्थियों को हटा जा रहा है, जिन्होंने कई क्राइम किया हो, जैसे बच्चों के साथ यौन हिंसा या फिर लोगों या देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन रहे रिफ्यूजी.