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पाकिस्तान से अलग होना नहीं इतना आसान, जानें- बलूचिस्तान कैसे बन सकता है नया देश

बलोच नेता ने पाकिस्तान से बलूचिस्तान की आजादी की घोषणा तो कर दी है लेकिन इतने भर से बलूचिस्तान अलग देश के रूप में नहीं जाना जाएगा. किसी क्षेत्र के देश के रूप में मान्यता पाने की प्रक्रिया बेहद जटिल होती है. पहले तो पाकिस्तान बलूचिस्तान को छोड़ने पर राजी नहीं होगा, दूसरी बात बलूचिस्तान को अलग देश बनने के लिए महाशक्तियों का साथ और यूएन की मदद चाहिए होगी.

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बलूच नेता ने बलूचिस्तान को आजाद देश घोषित किया है (Photo- AFP)
बलूच नेता ने बलूचिस्तान को आजाद देश घोषित किया है (Photo- AFP)

पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति को कोई कहावत भलीभांति बयान कर सकता है तो वो है- 'कोढ़ में खाज होना.' पाकिस्तान अभी भारत के ऑपरेशन सिंदूर का दर्द महसूस कर ही रहा है कि उसके सबसे बड़े प्रांत बलूचिस्तान ने पाकिस्तान से आजादी की घोषणा कर दी है. बलूच नेता मीर यार बलोच ने अपने लोगों पर पाकिस्तान सरकार की तरफ से की जा रही हिंसा, अपहरण और मानवाधिकार उल्लंघन का हवाला देते हुए पाकिस्तान से बलूचिस्तान की आजादी का औपचारिक ऐलान कर दिया. इसी के साथ ही उन्होंने भारत समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि उनका समर्थन किया जाए.

मीर यार बलोच ने भारत से नई दिल्ली में बलूच दूतावास खोलने की इजाजत मांगी. उन्होंने सयुक्त राष्ट्र से बलूचिस्तान को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने, करेंसी और पासपोर्ट के लिए अरबों रुपये का फंड मांगा है.

ऐसे में सवाल उठता है कि किसी भी देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देने की प्रक्रिया क्या है? बलूचिस्तान को एक देश के तौर पर स्थापित होने के लिए क्या-क्या करना पड़ेगा?

आसान नहीं है अलग देश बना लेना

बलूचिस्तान के नेता ने भले ही अपने क्षेत्र को पाकिस्तान से अलग हिस्सा बता स्वतंत्र देश घोषित कर दिया हो, लेकिन इतना भर करने से बलूचिस्तान अलग देश नहीं बन जाता. इसे समझने के लिए हमें दुनिया के कुछ मुल्कों के बारे में जानना होगा जिन्होंने खुद को स्वतंत्र तो घोषित कर रखा है लेकिन उन्हें अलग देश नहीं माना जाता.

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पूर्वी अफ्रीका में सोमालीलैंड इलाका खुद को एक स्वतंत्र देश मानता है लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे अलग देश नहीं माना जाता. सोमालीलैंड सोमालिया का हिस्सा है जिसने 1991 में खुद को सोमालिया से अलग घोषित कर दिया था. सोमालीलैंड में लोकतंत्र का शासन है और चुनाव भी होते हैं. यहां के लोग सोमालिया के मुकाबले तेजी से समृद्ध भी हो रहे हैं लेकिन किसी भी देश ने अब तक सोमालीलैंड को मान्यता नहीं दी है.

सोमालीलैंड को संयुक्त राष्ट्र ने भी अलग देश होने की मान्यता नहीं दी है इसलिए घोषणा के बावजूद भी सोमालीलैंड एक अलग देश के रूप में नहीं गिना जाता.

बलूचिस्तान का मामला और जटिल

बलूचिस्तान का मामला और जटिल है जहां पाकिस्तान की सरकार कभी इस बात के लिए राजी नहीं होगी कि बलूचिस्तान, जो कि पाकिस्तान का 44% हिस्सा है, उससे अलग होकर एक नया देश बने.

बलूचिस्तान की आजादी की लड़ाई दशकों से चल रही है और पाकिस्तान की सरकार और सेना का दमन बलूचिस्तान में बढ़ता ही गया है. बलोच लिबरेशन आर्मी और बलोच लिबरेशन फ्रंट जैसे विद्रोही गुट पाकिस्तानी सेना से सालों से लड़ रहे हैं और हाल के सालों में यह लड़ाई तेज हुई है.

बलूचिस्तान के नेता मीर बलोच ने पाकिस्तान से अपने क्षेत्र की आजादी की घोषणा करते हुए संयुक्त राष्ट्र से शांति सेना भेजने की अपील की है ताकि बलोच लोगों को पाकिस्तान से आजाद कराया जा सके. लेकिन मीर बलोच के आजादी के दावों के बावजूद यह तथ्य है कि बलूचिस्तान अभी पाकिस्तान का हिस्सा है.

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नए देश के रूप में मान्यता के लिए चाहिए ताकतवर देशों का साथ

बलूचिस्तान की आजादी के लिए संयुक्त राष्ट्र की मदद और दुनिया की प्रमुख शक्तियों का साथ चाहिए होगा जैसा कि कोसोवो के मामले में हुआ था. कोसोवो सर्बिया का स्वायत्त क्षेत्र है. सर्बिया यूगोस्लाविया के विघटन के बाद नए देश के रूप में सामने आया था.

आजादी के बाद सर्बिया के अंदर कोसोवो क्षेत्र ने आजादी की मांग की जिसे सर्बिया ने पूरी सख्ती से दबाने की कोशिश की. लेकिन दुनिया के ताकतवर देश अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय देश कोसोवो के साथ खड़े थे. सर्बिया से कोसोवो को आजाद कराने संयुक्त राष्ट्र और नेटो की अगुवाई में सेना पहुंच गई.

लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र में देशों के बीच इस बात पर सहमति बनी थी कि किसी भी देश की सीमा में जबरदस्ती कोई बदलाव नहीं किया जा सकता. इधर, संयुक्त राष्ट्र ने ही किसी क्षेत्र के लोगों को आत्म निर्णय का अधिकार दे रखा है और कोसोवो को लोग इस अधिकार का इस्तेमाल करते हुए सर्बिया से अलग होना चाहते थे. 

इसे देखते हुए अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने बीच का रास्ता निकाला और कोसोवो को आजाद देश घोषित करने के बजाए उसे स्वायत्त क्षेत्र घोषित कर वहां के लोगों को ज्यादा अधिकार दिए गए.

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लेकिन फिर भी कोसोवो ने खुद को आजाद देश घोषित कर रखा है. अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप के देशों ने तो कोसोवो को मान्यता दे रखी है लेकिन संयुक्त राष्ट्र उसे अलग देश नहीं मानता.

संयुक्त राष्ट्र की मान्यता के बिना कोई क्षेत्र नहीं बन सकता देश

किसी क्षेत्र ने अगर खुद को अलग देश घोषित कर दिया और अगर संयुक्त राष्ट्र ने उसे मान्यता नहीं दी तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उस क्षेत्र को देश नहीं माना जाता. जब किसी आजाद घोषित क्षेत्र को संयुक्त राष्ट्र देश के रूप में मान्यता दे देता है और उसे संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता मिल जाती है तो वो सभी अंतरराष्ट्रीय सहायता का लाभ उठा सकता है.

चाहे वो अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से कर्ज लेना हो या फिर संयुक्त राष्ट्र की संस्थाओं से मदद... हर काम के लिए संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता जरूरी है.

संयुक्त राष्ट्र की मान्यता हासिल करने की प्रक्रिया क्या है?

-इसके लिए सबसे पहले क्षेत्र को संयुक्त राष्ट्र महासचिव को एक आवेदन पत्र भेजना होगा जिसमें लिखा होना चाहिए कि क्षेत्र एक राष्ट्र के रूप में संयुक्त राष्ट्र के चार्टर यानी संविधान का पालन करेगा.

- संयुक्त राष्ट्र को आवेदन मिलने के बाद उसे सुरक्षा परिषद के पास भेजा जाता है. सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों में से कम से कम नौ सदस्य देशों का क्षेत्र के देश बनने के प्रस्ताव को समर्थन देना जरूरी होता है. परिषद के 15 सदस्य देशों में से पांच स्थायी सदस्य हैं- चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका और अगर इनमें से किसी एक देश ने भी क्षेत्र के देश बनने के खिलाफ मतदान किया तो आवेदन रद्द हो जाता है.

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- अगर आवेदन को मंजूरी मिल जाती है तो संयुक्त राष्ट्र में देश के शामिल होने के लिए परिषद की सिफारिश को महासभा में ले जाया जाता है.

-  महासभा में 193 सदस्य देश हैं और किसी नए देश को संयुक्त राष्ट्र में मान्यता पाने के लिए महासभा के दो तिहाई बहुमत की जरूरत होती है.

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