भारत ने कॉमनवेल्थ का सफल आयोजन कर दिखा दिया कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेलों के अयोजन में किसी भी अन्य देश के मुकाबले बेहतर है. कॉमनवेल्थ गेम्स में 100 से अधिक पदकों के साथ पहली बार भारत दूसरे पायदान पर पहुंचा. पदकों को दिलाने में महिलाओं का खासा योगदान रहा. अकेले हरियाणा ने 14 स्वर्ण पदकों को भारत के नाम किया. कुल मिलाकर भारत के खिलाडि़यों ने शानदार प्रदर्शन किया और देश ने बेहतरीन मेजबान का परिचय दिया.
इस अयोजन पर इंडिया टुडे ग्रुप के संपादकों की राय:
क़मर वहीद नक़वी: अब एक गेम खत्म हो गया है और दूसरा शुरू. जी हां, कॉमनवेल्थ गेम्स की समाप्ति के साथ ही लोगों ने दूसरे खेल की शुरूआत कर दी है. सभी लोग सफलता का श्रेय लेने में जुट गए हैं और विरोधी एक दूसरे की टांग खिंचाई में.
क़मर वहीद नक़वी को लिखें.
एम. जे. अकबर: जश्न मनाने में भारतीय हमेशा से अव्वल रहे हैं. राष्ट्रमंडल खेलों के उद्घाटन और समापन समारोह में हमारा प्रदर्शन शानदार रहा. इन खेलों के विजेता मौन सामाजिक क्रांति के बच्चे हैं. चीन में मेडल जीतने वाला प्रत्येक विजेता राज्य मशीनरी की उपज है, जबकि भारतीय बच्चों में ये नैसर्गिक प्रतिभा है.
एम. जे. अकबर को लिखें.
प्रभु चावला: ईश्वर का लाख-लाख शुक्र है, कॉमनवेल्थ गेम्स का समापन हो गया. धन्यवाद इसलिए भी कि बिना किसी खास गड़बड़ी के खेलों का पटाक्षेप हो गया. बहुप्रतीक्षित कॉमनवेल्थ गेम्स के सफल आयोजन के लिए यह कड़े इम्तिहान की घड़ी थी. ऑस्ट्रेलियाइयों ने हर बात को लेकर शिकायत की. डेंगू बुखार से लेकर आतंकी हमलों की आशंका तक जता दी गई. पर जुगाड़ में माहिर भारतीयों ने इन सबों से उबरते हुए आयोजन को कामयाब बना ही डाला.
प्रभु चावला को लिखें.
भरत भूषण: कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन से पहले का माहौल भले ही काफी तनाव भरा रहा हो, पर जिस किसी ने भी इन खेलों को देखा, वह इसे बेहतरीन ही करार देगा. यह अपने आप में जनता की शक्ति और भारतीय लोकतंत्र के जीवंत होने का ठोस प्रमाण बनकर उभरा है.
भरत भूषण को लिखें.
अजय कुमार: कॉमनवेल्थ खेलों में पिछले 10 दिनों में ऐसा लगा कि सोने की बरसात हो गई. 101 मेडल के साथ भारतीय खिलाडि़यों ने वो कारनामा कर दिखाया जिस कॉम्नवेल्थ का इतिहास याद रखेगा. लेकिन अभिमान का ये गुब्बार जब छटेगा तो क्या हर भारतीय की जुबां पर यह सुनने को मिलेगा, 'सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्ता हमारा...'? यह एक यक्ष प्रश्न है जिसका जवाब हमसब अपने दिल में जानते हैं.
अजय कुमार को लिखें.
राहुल कंवल: कॉमनवेल्थ गेम्स का सफल आयोजन निस्संदेह एक बड़ी कामयाबी है. आयोजन को लेकर संदेह जताने वाले तत्व अब मौन साध चुके हैं. न केवल इस वजह से कि हमने आयोजन को सफल बनाया, बल्कि इस कारण भी कि हमारे खिलाडि़यों ने शानदार प्रदर्शन किए. यह आयोजन उन रिकॉर्ड 38 स्वर्ण पदकों के लिए याद किया जाएगा, जिसे भारत ने अपनी झोली में डाला.
राहुल कंवल को लिखें.