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अखिलेश यादव ने बताया, PDA में A का मतलब आदिवासी, अल्पसंख्यक, आधी आबादी व अच्छे अगड़े भी

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आजतक के 'एजेंडा आजतक' कार्यक्रम में यूपी विधानसभा चुनाव की तैयारी, पीडीए के फुलफॉर्म और बिहार की स्थिति पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने पीडीए का अर्थ पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी और अन्य सामाजिक वर्गों से जोड़ा.

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एजेडा आजतक में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने की शिरकत
एजेडा आजतक में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने की शिरकत

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को आजतक की ओर से आयोजित 'एजेंडा आजतक' कार्यक्रम में शिरकत की. इस दौरान 'पीडीए की फाइनल परीक्षा'सेशन में कई चर्चित मुद्दों पर आधारित सवालो के जवाब दिए. उन्होंने यूपी विधानसभा के चुनाव की तैयारी, आगे की रणनीति, बीजेपी पर आरोप के साथ, बिहार में क्या और कैसे हुआ, इस पर बात की. इसी दौरान जब उनसे पीडीए का व्यापक अर्थ पूछा गया तो उन्होंने बहुत ही रोचक तरीके से इसका फुलफॉर्म बताया.

पीडीए में कौन-कौन हैं शामिल?
जब सपा अध्यक्ष से पूछा गया कि आपने चुनाव के दौरान जो 'पीडीए' टर्म गढ़ा है और अभी भी आप इसका इस्तेमाल कर रहे हैं और कई मौकों पर इसकी बात करते हैं, इसका फुलफॉर्म क्या है. इसमें कौन आते हैं और इसका क्या अर्थ है? इस पर अखिलेश यादव ने कहा- मैं पीडीए का पूरा मतलब आपको समझा देता हूं. इसमें सिर्फ 'तीन' ही अर्थ नहीं है. पीडीए का अर्थ है 
पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी, आधी आबादी, पीड़ित दुखी, ए से अपमानित, ए से जिनके अंदर अपनापन हो वो, डी से जिनमें दया की भावना हो वह सभी. इतना कहकर अखिलेश कुछ देर चुप हुए और फिर बोले- इनमें ए से अच्छे अगड़े भी आते हैं.
 
कौन होते हैं अच्छे और बुरे अगड़े?
जब उनसे पूछा गया कि अच्छे और बुरे अगड़े मतलब, वो कौन होते हैं? तब अखिलेश यादव ने कहा कि, जो भेदभाव करते हैं वो बुरे अगड़े होते हैं. जो हमारे जाने के बाद मंदिर को गंगाजल से धुलवाते हैं वो अच्छे नहीं हो सकते हैं.

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इसके अलावा अखिलेश यादव ने वंदे मातरम् और चुनाव सुधारों पर भी बात की. उन्होंने वंदे मातरम् की बहस पर कहा कि यह पूरा विवाद उसी समय खत्म हो गया था, जब संविधान सभा ने यह तय कर दिया था कि क्या गाया जाएगा और कितना गाया जाएगा. उन्होंने कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर की सहमति से यह सवाल स्पष्ट हो चुका है, इसलिए अब इस मुद्दे पर बहस करने वाले संविधान को मानने वाले नहीं हैं.

अखिलेश ने 2022 के चुनाव को लेकर भी बड़ा दावा किया. उन्होंने कहा कि उस चुनाव में सपा समर्थकों का वोट कटवाया गया था. जब उन्होंने यह आरोप सार्वजनिक रूप से लगाया, तब चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस भेजा. इसके जवाब में उन्होंने 18,000 लोगों के शपथपत्र जमा किए, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.

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