'मेरा बस एक बार बोलना, 100 बार बोलने जितना है.' - रजनीकांत की फिल्म 'बाशा' का यह डायलॉग आज भी उनके फैन्स की जुबां पर है.
और जो इस मैजिक को दोबारा स्क्रीन पर देखना चाहते हैं, उनके लिए 'बाशा' का डिजिटल वर्जन रिलीज हो गया है. बता दें कि इसे फिल्म की पहली रिलीज के 22 साल बाद दोबारा लाया गया है. यह फिल्म 1995 में रिलीज हुई थी.
ट्रेंड में हैं डिजिटल फॉर्मेट में लाना
'बाशा' की आज भी काफी तारीफ की जाती है और अब इसे डिजिटलाइज्ड फॉर्मेट में देखा जा सकेगा. फिल्म की यूनिट ने इसके लिए बहुत मेहनत की है.
वहीं पुरानी फिल्मों को डिजिटल फॉर्मेट में लाने का ट्रेंड जोर पकड़ रहा है. पिछले साल रामाचंद्रन और शिवाजी की कई सुपरहिट फिल्मों को डिजिटलाइज्ड फॉर्मेट में दोबारा रिलीज किया गया था.
फाइटिंग सीन करते हुए घायल हुए रजनीकांत
क्या है फायदा
डिजिटलाइजेशन से 35mm की फिल्म को 70mm में बदला जाता है. इससे फिल्म को लंबे समय तक संरक्षित रखा जा सकता है. साथ ही फिल्म की क्वॉलिटी भी सुधरती है. अब तक जितनी भी फिल्मों को डिजिटल फॉर्मेट में लाकर दोबारा रिलीज किया है, सभी ने अच्छा बिजनेस किया
क्यों याद किया जाता है 'बाशा' को
'बाशा' को तमिल दर्शकों द्वारा काफी पसंद किया जाता है. यह रजनीकांत की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्मों में से एक है. रजनी के साथ-साथ इसमें नगमा और रघुवरण जैसे सितारे भी हैं. यह कहानी एक डॉन की है जिसमें दिखाया गया है कि किस तरह वह एक सरल आदमी से लोगों का नेता बन गया.
इस फिल्म का संगीत देवा ने दिया है और इसके गानों को आज तक पसंद किया जाता है.
करुणानिधि ने अस्पताल में देखी थी 'बाशा'
DMK अध्यक्ष एम. करुणानिधि ने हाल ही में अस्पताल में भर्ती होने के बावजूद यह मूवी देखी थी. इससे उस समय फिल्म के साथ रजनीकांत का क्रेज भी पता लगता है.
हालांकि तलाइवा का वह क्रेज तो आज भी बरकरार है. अब देखते हैं कि 'बाशा' को वही पुरानी सफलता मिलती है या नहीं!