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अब गलती सुधारने के लिए आगे आया CINTAA, #MeToo से बॉलीवुड में बदला माहौल

#MeToo कैंपेन की वजह से पीड़िताओं पर लोगों का भरोसा बढ़ा है. फिल्म इंडस्ट्री में भी बड़ा बदलाव देखने को मिला है.

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तनुश्री दत्ता (इंडिया टुडे आर्काइव)
तनुश्री दत्ता (इंडिया टुडे आर्काइव)

हॉलीवुड के बाद हिंदी एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में #MeToo कैंपेन के तहत कई लोगों ने अपनी आपबीती सुनाई है. तनुश्री दत्ता के सामने आने के बाद दूसरी पीड़ितों ने भी सालों से छिपा दर्द दुनिया के सामने रखना शुरू किया है. #MeToo मूवमेंट की गाज अब तक नाना पाटेकर, विकास बहल, आलोक नाथ, चेतन भगत, रजत कपूर, उत्सव चक्रवर्ती और तन्मय भट्ट जैसे सेलेब्स पर गिरी है. सर्वाइवर को लोगों और सेलेब्रिटीज का सपोर्ट मिल रहा है.

इस मूवमेंट के जोर पकड़ने के बाद लोगों और संस्थाओं के अप्रोच में बदलाव भी दिख रहे हैं. जिसका सबसे बड़ा सबूत CINTAA है. तनुश्री के मामले में CINTAA के रुख से इसे समझा जा सकता है. सिंटा आज मुंबई में अहम बैठक कर रहा है. आरोपियों के खिलाफ कड़ा फैसला आने की संभावना है.

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देखने को मिल रहा है कि #MeToo कैंपेन के सर्वाइवरों के खिलाफ सेलेब्स बोलने से बच रहे हैं. इसलिए इस मामले में या तो सेलेब्स आरोपियों की निंदा कर रहे हैं या तो चुप्पी साधे हुए हैं. डिजिटाइजेशन से यौन शोषण और छेड़छाड़ की शिकार हुई महिलाओं को काफी मदद मिली है. आइए जानते हैं कैसे #MeToo ने एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में माहौल बदला है.

तनुश्री-नाना विवाद पर फिर से जांच को तैयार CINTAA

2008 में जब नाना पाटेकर द्वारा तनुश्री के साथ छेड़छाड़ और मारपीट की गई थी तब CINTAA के पास ये मामला गया था. तनुश्री ने सिंटा के पास शिकायत दर्ज कराई थी. लेकिन कड़ी कार्रवाई नहीं की गई. अब 10 साल बाद जब ये मामला दोबारा से उछला है, तो सिंटा ने पहले तो इस मामले पर दुख जताया. CINTAA ने कहा, "हम तनुश्री के साथ हैं लेकिन इस केस को दोबारा नहीं खोला जा सकता, क्योंकि वे 3 साल से ज्यादा पुराना केस नहीं लेते हैं."

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हालांकि मीटू पर लोगों की मुखरता की वजह से अब  CINTAA के रुख में भी नरमी आई है. वे केस की फिर से जांच करने को तैयार हैं. सिंटा का अपनी गलती मानकर कोशिश करना बड़े बदलाव की शुरूआत के तौर पर देखा जा रहा है.

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पीड़ित को भरोसा हुआ

#MeToo कैंपेन के तूल पकड़ने के बाद यौन शोषण और छेड़छाड़ से पीड़ित महिलाओं को बड़ा सपोर्ट मिला है. पहले जहां महिलाएं अपने साथ हुए इस बुरे कृत्य को बताने से डरती थीं. उन्हें डर होता था कि समाज उन्हें ही गलत ठहराएगा, आवाज उठाने से उनकी ही बदनामी होगी. अलग थलग पड़ जाएंगी, लेकिन अब सोशल मीडिया के जरिए वे अपनी आपबीती खुलकर शेयर कर रही हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह ये भी है कि लोग पीड़िताओं के जख्मों पर यकीन कर रहे हैं.

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अलग-थलग पड़े विकास बहल

#MeToo अभियान में निर्देशक विकास बहल का नाम सामने आने के बाद वे अलग-थलग पड़ गए हैं. बॉम्बे वेलवेट के प्रमोशनल टूर के दौरान फिल्म की क्रू में शामिल महिला ने उनपर छेड़छाड़ का आरोप लगाया है. महिला ने इस बात की शिकायत फैंटम फिल्म्स के ही अनुराग कश्यप से भी की थी. लेकिन इस पूरी घटना पर कोई कारवाई नहीं हुई. मामला बढ़ता देख फैंटम फिल्म्स के अनुराग कश्यप, विक्रमादित्य मोटवानी ने खेद जताया. कहा कि तब हम सही से इस मुद्दे को हैंडल नहीं कर सके. अनुराग, विक्रमादित्य दोनों ने ही विकास बहल से किनारा कर लिया है. ऋतिक ने भी विकास को आड़े हाथ लिया है.

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ऋतिक ने विकास की निर्देशित फिल्म सुपर-30 में काम कर रहे हैं. उन्होंने लिखा कि मैं ऐसे इंसान के साथ काम नहीं कर सकता. कहा यह भी जा रहा है कि सुपर 30 के निर्देशक के रूप में विकास बहल का नाम भी हटा दिया जाएगा. विकास से दो और प्रोजेक्ट्स छीने जाने की खबर है. #MeToo अभियान से बहुत बड़ा बदलाव ये आया है कि अब आरोपियों को बायकॉट किया जाने लगा है. रजत कपूर और चेतन भगत जैसे लोगों ने विवाद बढ़ने से पहले ही माफी मांग ली.

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यौन पीड़िता के लिए कोई समय सीमा नहीं

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी का कहना है कि यौन उत्पीड़न की शिकायत घटना के 10 से 15 साल बाद भी की जा सकती है. उन्होंने #MeToo अभियान को लेकर अपनी खुशी जाहिर की और कहा कि यह तो बस शुरुआत है. मुझे नहीं लगता यह अभियान नियंत्रण से बाहर चला जाएगा. इस घटना से पीड़िता के अंदर जो गुस्सा उठता है वह कभी खत्म नहीं होता जिसके साथ यह बीतता है वह उसे कभी नहीं भुला पाती. यही कारण है कि हमने कानून मंत्रालय को लिखा है कि यौन शोषण की घटना के बारे में शिकायत करने की कोई समय सीमा नहीं होनी चाहिए.

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