देश में 'भारत माता की जय' पर जारी बहस ही असली भारत नहीं है. इस बीच मेघना गुलजार की शॉर्ट फिल्म 'इंडिया..इंडिया' मजहबी फासलों को मिटाने के साथ ही बेहतर कल का संदेश देती है.
इंडिया टुडे ग्रुप के 'इंडिया टुमॉरो' मुहिम के लिए मेघना की नई शॉर्ट फिल्म भारत के सेक्यूलर नजरिए की खूबसूरती को दिखाती है. लगभग पांच मिनट की यह फिल्म बताती है कि हमें कैसे भारत में आगे बढ़ना है.
मजहबी फर्क मिटाने से बेहतर कल
शॉर्ट फिल्म का मुख्य किरदार एक 12-13 साल का स्ट्रीट वेंडर लड़का है. इसे बाल कलाकार नमन जैन ने निभाया है. मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर, हाजी अली दरगाह और एक चर्च के पास लॉकेट, ताबीज और ब्रेसलेट बेचता यह लड़का अंत में हमें असली राष्ट्रवाद का मतलब समझा देता है.
छद्म राष्ट्रवाद को करारा जवाब
तीनों धार्मिक स्थलों पर अपने बनाए गीत गाकर सामान बेचते लड़के ने समावेशी भारत का संदेश देने के साथ ही छद्म राष्ट्रवाद को भी करारा जवाब दिया है. मेघना गुलजार की यह फिल्म इस मुख्य किरदार के जरिए बताती है कि तरक्की के लिए हमें मजहबी फर्क में नहीं फंसना चाहिए. सबको बराबर मानते हुए ईमानदारी से अपने काम पर फोकस करना चाहिए.