भारतीय सिनेमा ने अपने कदम अब अंतरराष्ट्रीय विषय चुनने की ओर बढ़ा दिये हैं. देश में गांधी की गंभीर व्याख्या और ‘मुन्नाभाई’ की टपोरी व्याख्या के बाद अब मूलत: दिल्ली में बनाई गई फिल्म ‘डियर फ्रेंड हिटलर’ में इतिहास के सबसे विवादित चरित्र हिटलर को कहानी विषयवस्तु बनाया गया है.
फिल्म के सह निर्माता और अभिनेता नलिन सिंह ने बताया, ‘हमने हिटलर जैसे विवादित चरित्र के साथ-साथ सुभाष चन्द्र बोस और गांधी को फिल्म के कथानक के बतौर चुना है. पूरी फिल्म एक साथ तीन ट्रैक पर चलती है, जिसके जरिये द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान के हलचलों से भरे ऐतिहासिक घटनाक्रमों के जरिये गांधी के दर्शन की वैश्विक प्रासंगिकता को उभारा गया है.’
उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक संदर्भ वाली इस फिल्म में हिटलर को लिखे गये सुभाष चन्द्र बोस के पत्र को आधार बनाया गया है, जो ब्रिटिश शासन के खात्मे के लिए हिटलर से मिलकर मित्र राष्ट्रों के खिलाफ लड़ाई में भाग लेने के हिमायती थे.
सिंह ने कहा कि ऐसे समय में जब पूरी दुनिया में हिटलर के हिंसा के रास्ते का बोलबाला था तब गांधी ने अहिंसा के अनोखे प्रयोग को अपनाया. फिल्म में गांधी के उस पत्र का भी जिक्र है, जिसमें उन्होंने ब्रिटेन की भर्त्सना करने के साथ हिटलर की भी भर्त्सना की थी. उन्होंने आजादी के लिए अहिंसा को हथियार के रूप में उपयोग किया जो गांधी के राजनीतिक कद को और उंचा करता है और आज की वैश्विक राजनीति में उन्हें प्रासंगिक बनाता है.{mospagebreak}
फिल्म में हिटलर की भूमिका प्रसिद्ध अभिनेता रघुवीर यादव निभा रहे हैं, जबकि हिटलर की प्रेमिका इवा ब्राउन की भूमिका में चर्चित अभिनेत्री नेहा धूपिया हैं. हिटलर का दिमाग कहलाने वाले और उन्हें भाषण कला का अभ्यास कराने वाले गोएबल्स की भूमिका में खुद नलिन है.
गांधी की भूमिका में अभिजीत दत्त हैं. अभिनेता अमन वर्मा ने आजाद हिन्द फौज के सैनिक की भूमिका निभाई है. राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के स्नातक भूपेश पांड्या ने सुभाष चन्द्र बोस की भूमिका निभाई है, जिन्होंने फिल्म के सुभाष बोस के जोरदार भाषण को प्रभावशाली रंग दिया है.
फिल्म की अवधारणा, उसकी पटकथा लेखन से लेकर उसके लिए लगभग दो वर्ष तक शोध करने वाले नलिन का कहना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान उन्होंने एक नुक्कड़ नाटक करते हुए हिटलर के चरित्र को नजदीक से जाना और आम लोगों तक उसकी पहुंच और उनके बारे में जिज्ञासा को देखते हुए उन्होंने समय आने पर इस विषय पर फिल्म बनाने की सोची थी.
उन्होंने कहा, ‘फिल्म का निर्देशन राकेश रंजन ने किया है और यह उनकी बतौर निर्देशक पहली फिल्म है, जबकि इसके निर्माता आम्रपाली मीडिया विजन के अनिल कुमार शर्मा हैं. पूरी फिल्म में ज्यादातर कलाकार दिल्ली के हैं और दिल्ली के उपनगरीय इलाके में बर्लिन के सेट के साथ साथ हिटलर अपने अंतिम दिनों में जिस बंकर में रहे उसका सेट तैयार किया गया.’{mospagebreak}
फिल्म में हिटलर की भूमिका निभाने वाले प्रसिद्ध अभिनेता रघुवीर यादव के बारे में नलिन का कहना है कि रघुवीर अपने चरित्र में इतने खोये हुए थे कि शूटिंग के दौरान और शूटिंग के बाद भी उनमें हिटलर जीवित था और कई छोटी छोटी बातों पर भी हिटलर का तेवर उनमें जीवित था, जिसके कारण अनेकों बार ग्लास टूटने की घटनायें हुई.
नलिन बताते हैं कि इस फिल्म को बनाने के लिए मुख्य चुनौती यह थी कि विदेशी चरित्रों की मौजूदगी के कारण अलग अलग भाषाओं का कैसे उपयोग किया जाये. जैसे हिटलर को हिन्दी बोलता दिखाना कैसा होगा. उन्होंने कहा कि इस उलझन को देखते हुए सारे चरित्रों के लिए एक ही भाषा के प्रयोग का समावेश किया गया. लेकिन इस फिल्म को फ्रेंच, जर्मन, हिन्दी, तमिल, अरबी, बांग्ला सहित आठ भाषाओं में डब किया जायेगा और उप शीषर्क का प्रयोग किया जायेगा.
फिल्म में प्रसिद्ध गायक दलेर मेंहदी ने होली का गीत गाया है, जबकि पाश्र्व संगीत जगजीत सिंह ने दिया है. उन्होंने कहा कि इस फिल्म के बारे में विदेशों में काफी चर्चा है और मुझे उम्मीद है कि विदेशों में यह फिल्म अच्छा व्यवसाय करेगी और बालीवुड की तंद्रा टूटेगी और उसका भी ध्यान ऐसे अंतरराष्ट्रीय विषयों की ओर भी जायेगा.
नलिन ने बताया कि फिल्म की अंतरराष्ट्रीय रिलीज 26 जनवरी के आसपास करने का उनका इरादा है और इसके अलावा वह जल्द ही एक और अंतरराष्ट्रीय विषय को उठाने की तैयारी में जुटे हैं.