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यश चोपड़ा की इस फिल्म के 40 साल पूरे, भविष्य के 5 सांसदों ने किया था काम

साल 1981 में यश चोपड़ा के निर्देशन में क्लासिकल और तब के जमाने में बोल्ड विषय पर बनी एक फिल्म रिलीज हुई और उसमें एक-दो नहीं बल्कि हिंदी सिनेमा जगत से जुड़ी 5 ऐसी हस्तियों ने काम किया जिन्होंने आगे चलकर संसद की भी शोभा बढ़ाई.

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1981 में रिलीज फिल्म सिलसिला का पोस्टर (वीडियोग्रैब)
1981 में रिलीज फिल्म सिलसिला का पोस्टर (वीडियोग्रैब)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 14 अगस्त 1981 को रिलीज हुई थी फिल्म सिलसिला
  • अमिताभ-जया की लीड जोड़ी की यह आखिरी फिल्म
  • फिल्म सिलसिला से जुड़ी कुल 6 हस्तियां पहुंचीं संसद

चाहे वो कोई बड़ी हस्ती हो या कोई आम इंसान, किसी को नहीं पता भविष्य में क्या कुछ हो जाएगा. फिल्म और राजनीति के बीच संगम की बात करें तो यह सिलसिला बहुत पुराना है. आजादी के तुरंत बाद ही फिल्मी सितारों का लोकतंत्र के मंदिर यानी संसद में आने का जो सिलसिला शुरू हुआ था वो आज बदस्तूर जारी है. न सिर्फ संसद बल्कि राज्यों की विधानसभाओं और विधानपरिषदों में भी बड़ी संख्या में फिल्मी सितारों की मौजूदगी दिख जाएगी.

1952 में सिनेमा जगत से संसद में पहुंचने का सिलसिला पहली बार शुरू हुआ. महान अभिनेता पृथ्वीराज कपूर पहले ऐसे अभिनेता बने जो राज्यसभा के लिए मनोनीत किए गए. पृथ्वीराज कपूर 1952 में सांसद बने और 1960 तक इस पद पर रहे. इसके बाद नर्गिस दत्त पहली महिला अभिनेत्री रहीं जो राज्यसभा में पहुंचीं. वह 1980 में राज्यसभा में गईं.

साल 1981 में यश चोपड़ा के निर्देशन में क्लासिकल और तब के जमाने में बोल्ड विषय पर बनी एक फिल्म रिलीज हुई और उसमें एक-दो नहीं बल्कि हिंदी सिनेमा जगत से जुड़ी 5 ऐसी हस्तियों ने काम किया जिन्होंने आगे चलकर संसद की भी शोभा बढ़ाई. 5 में से 1 हस्ती लोकसभा के जरिए तो शेष 4 हस्तियां राज्यसभा के जरिए संसद पहुंचीं.

यश चोपड़ा
फिल्मकार यश चोपड़ा

मल्टी स्टार कास्ट फिल्म थी सिलसिला

यहां हम बात कर रहे हैं यश चोपड़ा की महान फिल्म सिलसिला की. जो 1981 में 14 अगस्त को रिलीज हुई थी. फिल्म आज अपने रिलीज की 40वीं वर्षगांठ मना रही है. फिल्म में एक से बढ़कर एक कलाकार थे और यह मल्टी स्टार कास्ट फिल्म थी. फिल्म के सारे गाने बेहद मधुर और कर्णप्रिय रहे और जितने लोकप्रिय तब थे उतने ही लोकप्रिय आज भी हैं.

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शुरुआत करते हैं फिल्म से जुड़ी उन दिग्गज हस्तियों की जिन्होंने फिल्म के रिलीज होने के कुछ समय बाद ही राजनीति में कदम रख दिया और कुछ अभी भी सक्रिय हैं.

अमिताभ बच्चनः 3 साल बाद बने नेता

अमिताभ बच्चन ने फिल्म में दो गाने गाए थे और दोनों ही बेहद मकबूल भी हुईं. वह फिल्म रिलीज के करीब 3 साल बाद राजनीति में उतरे. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिसंबर 1984 में लोकसभा चुनाव कराए गए. सुपरस्टार अमिताभ राजीव गांधी के बेहद करीबी थे और इस बार उनके अनुरोध पर राजनीति में दांव लगाया.

लोकसभा चुनाव में अमिताभ इलाहाबाद (अब प्रयागराज) लोकसभा सीट से मैदान में उतरे थे. तब चुनाव में कांग्रेस ने अंतिम दौर तक अपने पत्ते नहीं खोले थे और नामांकन के महज एक दिन पहले अमिताभ बच्चन को इलाहाबाद सीट से अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया. अमिताभ ने अंतिम दिन अपना नामांकन दाखिल किया.

अमिताभ का सीधा मुकाबला दिग्गज नेता और लोकदल के प्रत्याशी हेमवती नंदन बहुगुणा से था. हेमवती नंदन उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भी थे. अपनी लोकप्रियता की वजह से बिग बी बड़े अंतर से चुनाव जीत गए, लेकिन उनका राजनीतिक करियर बहुत छोटा रहा और करीब 3 साल तक लोकसभा सांसद रहने के बाद राजनीति से तौबा कर लिया. फिर राजनीति की ओर रुख नहीं किया.

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जया बच्चनः लगातार 4 बार से सांसद

फिल्म सिलसिला में अमिताभ की पत्नी की भूमिका में थीं जया बच्चन. जया भी फिल्म रिलीज के करीब 23 साल राजनीति में आईं. 2004 में जया पहली बार समाजवादी पार्टी से उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद बनीं. तब से लेकर अब तक वह राज्यसभा सांसद बनी हुई हैं. इस समय वह चौथी बार राज्यसभा सांसद हैं और 2024 तक इस पद पर रहेंगी.

रेखाः 31 साल बाद राजनीति में दस्तक

फिल्म सिलसिला से भविष्य से राजनीति में कदम रखने वालों में अगला नाम है रेखा का. सिलसिला में रेखा और अमिताभ के बीच विवाहेत्तर संबंधों को दिखाया गया है. दोनों के बीच फिल्म का लोकप्रिय गाना 'रंग बरसे भीगे चुनर वाली' गीत को फिल्माया गया था और इसमें आवाज दी थी खुद अमिताभ बच्चन ने.

फिल्म के पर्दे पर आने के करीब 31 साल बाद रेखा ने भी राजनीति में दस्तक दीं. 2012 में राज्यसभा सांसद बनीं. रेखा के सांसद बनने के बाद संसद में रेखा, हेमा, जया और सुषमा ये चार नाम की जोड़ी बेहद लोकप्रिय हो गई थी. सुषमा यानी सुषमा स्वराज ही अकेली पूर्ण राजनेता थीं बाकी फिल्म जगत से आई अभिनेत्रियां थीं.

जावेद अख्तरः शायर से बने सांसद

फिल्म से जुड़ा चौथा नाम है कवि, पटकथा लेखक, गीतकार जावेद अख्तर. जावेद अख्तर ने फिल्म में 'नीला आसमां सो गया', 'देखा एक ख्वाब' और 'ये कहां आ गये हम' ये तीन गीत लिखे थे और तीनों गीत अपने रुमानी अंदाज के लिए बेहद पसंद की गईं. आज भी इसकी लोकप्रियता रेडियो और यूट्यूब पर खूब है.

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फिल्मों के लिए लेखन के अलावा जावेद अख्तर राजनीति में भी सक्रिय रहे हैं. कई राजनीतिक विषयों पर अपनी राय भी रखते रहे हैं. जावेद 22 मार्च 2010 को राज्यसभा सांसद बने और 21 मार्च 2016 तक इस पद पर रहे.

लता मंगेशकरः सिलसिला से दूसरा नाम

फिल्म सिलसिला से जुड़े लोगों का राजनीति में आने का सिलसिला जारी रहा और इस यूनिट से जुड़ीं पांचवीं शख्सियत लता मंगेशकर हैं जो राज्यसभा सांसद बनीं. इस फिल्म से जुड़ी 5 हस्तियों में सबसे पहले अमिताभ संसद पहुंचे तो उसके बाद दूसरा नाम लता मंगेशकर का ही है.

लता मंगेशकर ने फिल्म के रिलीज होने के 18 साल बाद राजनीति में दस्तक रखा और 22 नवंबर 1999 को राज्यसभा के जरिए सांसद बनीं और लोकतंत्र के मंदिर में पहुंचीं. उन्होंने अपना 5 साल का कार्यकाल नवंबर 2005 में पूरा किया.

यहां एक बात और बता दें. अमिताभ बच्चन के पिता हरिवंश राय बच्चन का नाम भी इस फिल्म से जुड़ा हुआ है. हरिवंश राय ने फिल्म के लिए मशहूर नगमा 'रंग बरसे भीगे चुनर वाली' लिखा. इस गाने को लोक गीत का दर्जा प्राप्त है. कई लोग इस गाने का श्रेय हरिवंश राय को नहीं देते हैं.

फिलहाल हरिवंश राय बच्चन भी राज्यसभा की शोभा बढ़ा चुके हैं. वह 3 अप्रैल 1966 को राज्यसभा सांसद बने और 2 अप्रैल 1972 को रिटायर हो गए. अगर हरिवंश राय को भी फिल्म का हिस्सा मान लिया जाए तो इस तरह से 6 लोग ऐसे रहे जो संसद पहुंचे. 

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भले ही यश चोपड़ा की फिल्म सिलसिला से जुड़ी 5 हस्तियां भविष्य में राजनीति में आईं और संसद तक पहुंचीं, लेकिन जया बच्चन को छोड़ दिया जाए तो बाकी चारों सितारों के लिए यह राजनीति खास जमी नहीं क्योंकि उन्हें दूसरा कार्यकाल नसीब नहीं हुआ. जया बच्चन लगातार 4 बार से राज्यसभा सांसद हैं और 2024 तक पद पर रहेंगी, जबकि उनके पति और मेगा स्टार अमिताभ बच्चन का राजनीतिक सफर बहुत छोटा रहा यानी महज 3 साल का. हालांकि उन्होंने राज्यसभा की जगह लोकसभा से किस्मत आजमाई थी.

 

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