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21 साल के महेश भट्ट की नौकरी धर्मेंद्र ने कैसे बचाई... पहननी पड़ी थी ट्रक ड्राइवर की लुंगी और पगड़ी

एक फिल्म की शूटिंग हो रही थी. धर्मेंद्र को ट्रक ड्राइवर का रोल करना था. ट्रक ड्राइवर के कपड़े तब असिस्टेंट डायरेक्टर रहे 21-22 साल के नौजवान महेश भट्ट को करना करना था. लेकिन महेश भट्ट से एक चूक हो गई. वो कपड़े लाना भूल गए. इधर पूरी शूटिंग टीम लोकेशन पर थी. ये ऐसी भूल थी जिससे महेश भट्ट की नौकरी जा सकती थी.

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धर्मेंद्र की दरियादिली और इंसानियत के किस्से बॉलीवुड में मिसाल हैं. (File Photo: ITG)
धर्मेंद्र की दरियादिली और इंसानियत के किस्से बॉलीवुड में मिसाल हैं. (File Photo: ITG)

महान अभिनेता, हैंडसम कलाकार और दिलदार इंसान धर्मेंद्र नहीं रहे. उनका जाना सिनेमाई दुनिया के लिए एक घटना की तरह है. धर्मेंद्र का फिल्मी सफर बॉलीवुड के एक युग की कहानी है. इस कहानी के कई किरदारों में से एक अहम किरदार वे स्वयं थे. धर्मेंद्र ने दुनिया में सबसे ज्यादा फिल्में बनाने वाली बॉलीवुड इंडस्ट्री को बनते देखा. इस लंबे सफर में उनका लंबा संघर्ष शामिल है, जब पंजाब से आया एक लड़का फिल्मों में करियर बनाने निकला था. 

धर्मेंद्र के संघर्षों को याद करते हुए फिल्म समीक्षक पीयूष पांडे ने आजतक से बात करते हुए कहा कि धर्मेंद्र की शख्सियत ऐसी थी कि वे हर दिल अजीज थे. मुंबई में उनका घर पंजाब से संघर्ष करने के लिए आए लोगों के लिए खुला रहता था. वहां उनके लिए खाने का, रहने का इंतजाम रहता था. और ऐसा वर्षों तक हुआ.

ट्रक ड्राइवर से जुड़ा दिलचस्प किस्सा

महेश भट्ट का एक दिलचस्प किस्सा सुनाते हुए पीयूष पांडे ने कहा कि महेश भट्ट राज खोसला की एक फिल्म में असिस्टेंट थे. एक सीन था जिसमें धर्मेंद्र को ट्रक ड्राइवर की ड्रेस पहनकर सीन करना था. इस ड्रेस का इंतजाम महेश भट्ट को करना था. लेकिन वो ड्रेस होटल में रह गई थी. जबकि क्रू शूटिंग लोकेशन पर थी. जब पूरी टीम सेट पर पहुंची और ड्रेस खोजी गई तो सब परेशान. 

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महेश भट्ट तब युवा थे. उम्र 21-22 साल रही होगी. वो डरकर धर्मेंद्र के पास गए, कहा- साहब ऐसा-ऐसा हो गया, कपड़े वहीं रह गए. धर्मेंद्र ने कहा कि तुम चिंता मत करो, धर्मेंद्र पास में ही एक ट्रक ड्राइवर खड़ा था वह उनके पास गए और कहा कि यार तुम अपने कपड़े, लुंगी, कुर्ता, पगड़ी मुझे दे दो कुछ देर के लिए. धर्मेंद्र ने उस ट्रक ड्राइवर का कपड़ा पहना. और उस सीन की शूटिंग हुई. 

इस घटना का जिक्र करते हुए महेश भट्ट ने एक जगह लिखा है, 'ये ऐसी चूक थी कि मेरी नौकरी जा सकती थी. मेरी बहुत फजीहत हो सकती थी, लेकिन धर्मेंद्र ने ऐसा नहीं होने दिया.'

पीयूष पांडे बताते हैं कि यही वजह है कि उनके निधन पर कई लोगों की आंखें नम हैं. उन्होंने कहा कि धर्मेंद्र ने बॉलीवुड में पूरा एक युग देखा है. धर्मेंद्र के करियर के विस्तार को बताते हुए पीयूष पांडे ने कहा कि फिल्म फेयर का पहला कॉन्टेस्ट जब 1957-58 में हुआ था तो धर्मेंद्र उसमें शामिल हुए थे और रनर अप रहे थे. जिस शख्स ने पहला पुरस्कार जीता वो फिल्म इंडस्ट्री में उतना सफल नहीं हो पाया. 

धर्मेंद्र को उसी वक्त विमल रॉय ने बंदिनी फिल्म ऑफर की थी, ये अलग बात है कि बंदिनी 6 साल बाद रिलीज हो पाई थी. तब से लेकर आजतक उनकी सिनेमाई पारी जारी है. उनकी आखिरी फिल्म उनके निधन के बाद रिलीज होगी. 
 

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