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Homebound Review: सपनों-उम्मीदों की दिल तोड़ने वाली कहानी है 'होमबाउंड', ईशान खट्टर-विशाल जेठवा जीतेंगे दिल

चंदन कुमार और मोहम्मद शोएब अली, एक गांव के दो बेस्ट फ्रेंड्स हैं. दोनों का याराना पुराना है और एक दूसरे के सुख-दुख में दोनों हमेशा साथ रहते हैं. अपनी जाति और धर्म की वजह से उन्हें रोज धुत्कारा जाता है. अगर आप भी 'होमबाउंड' देखने जा रहे हैं तो पहले हमारा रिव्यू पढ़ लीजिए.

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'होमबाउंड' में दमदार है ईशान खट्टर, विशाल जेठवा का काम (Photo: Youtube Screengrab)
'होमबाउंड' में दमदार है ईशान खट्टर, विशाल जेठवा का काम (Photo: Youtube Screengrab)
फिल्म:होमबाउंड
4/5
  • कलाकार : विशाल जेठवा, ईशान खट्टर
  • निर्देशक :नीरज घेवान

मुझे याद है कुछ वक्त पहले एक सुबह रैपिडो से ऑफिस आ रही थी. रैपिडो के ड्राइवर भैया ने फिल्मसिटी में एंटर करने के बाद मुझसे पूछा था कि आप यहां काम करते हो. मैंने हां कहा तो बोले, कॉलेज में पढ़ाई की होगी इसके लिए. मैंने फिर हां कहा तो बोले 'मैंने नहीं की.' मैंने पूछा क्यों तो उन्होंने चलती बाइक का हैंडल छोड़ अपना हाथ दिखाया था. बहुत खुरदुरा, मजबूत और निशानों वाला हाथ. उन्होंने कहा, 'ये हाथ देख रही हो? 10 साल की उम्र से काम कर रहा हूं. कभी मैकेनिक, कभी बेलदारी... अभी ये ड्राइविंग का काम पकड़ा है.' मैंने उन्हें क्या बोलूं मुझे समझ ही नहीं आया था. कुछ तो पढ़ाई जरूरी होती है वाली फालतू लाइन मैंने उन्हें चिपकाई थी शायद. उन्होंने बताया था कि घर में पैसे नहीं थे.

छोटे घरों से आने वाले पैसों की तंगी झेल रहे लोग अक्सर मजबूर ही होते हैं. जिंदगी यूं तो सबके लिए मुश्किल है, लेकिन अपनी परेशानियों के चक्कर में हम दूसरों का स्ट्रगल भूल जाते हैं. मेरे जीवन में भी अलग-अलग दिक्कतें आती रहती हैं, लेकिन मैं यहां एसी वाले ऑफिस में बैठकर उन्हें सुलझाती हूं. इस ऑफिस के बाहर भी कई लोग हैं, जो अपने हालातों से मजबूर हैं और धूप में मुझसे ज्यादा मेहनत का काम कर रहे हैं. सपने सब देखते हैं, कभी-कभी जो सपने हमारे लिए छोटी चीज होते हैं, वो दूसरों की जिंदगी का मकसद बन जाते हैं. ऐसा ही कुछ आपको चंदन और शोएब की कहानी 'होमबाउंड' में भी देखने को मिलेगा.

'होमबाउंड' के एक सीन में विशाल जेठवा और ईशान खट्टर (Photo: Screengrab)

क्या है फिल्म की कहानी?

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चंदन कुमार (विशाल जेठवा) और मोहम्मद शोएब अली (ईशान खट्टर), एक गांव के दो बेस्ट फ्रेंड्स हैं. दोनों का याराना पुराना है और एक दूसरे के सुख-दुख में दोनों हमेशा साथ रहते हैं. अपनी जाति और धर्म की वजह से उन्हें रोज धुत्कारा जाता है. इस सबसे दोनों परेशान हैं, लेकिन फिर जिंदगी को जिये जा रहे हैं और कुछ बनने का ख्वाब देख रहे हैं. चंदन और शोएब दोनों चाहते हैं कि एक दिन पुलिस में भर्ती हो जाएं. सीने पर वर्दी होगी तो कोई नाम और जात नहीं देखेगा. बस वर्दी देखेगा और सलाम ठोकेगा. तब किसी की हिम्मत नहीं होगी, उन्हें धुत्कारने की. सब इज्जत करेंगे. 

लेकिन सपने देखना और उनका सच होना, दो अलग-अलग बातें हैं. हर इंसान की 'सच्चाई' भी तो अलग-अलग है. अपने कांस्टेबल बनने का सपना लिये निकले चंदन और शोएब, हर दिन एक नई आजमाइश का सामना करते हैं. चंदन को अपने सिर पर सीमेंट की छत चाहिए और मां की नंगे पैर काम करने की वजह से कांटे जैसी हो गई एड़ियों के लिए क्रीम और चप्पल भी. सोचते हुए कितनी छोटी चीजें लगती हैं न. दूसरी तरफ शोएब अपनी अम्मी से दूर नहीं होना चाहता. उनके पिता के घुटनों का इलाज भी उसकी प्रायोरिटी, जो उसे घर से निकलने पर मजबूर करती है. सपनों को पूरा करने का रास्ता अक्सर कठिन होता है और आपके सपने और किस्मत एक दूसरे से मेल खाएं ऐसा जरूरी नहीं है.

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'होमबाउंड' के एक सीन में ईशान खट्टर, विशाल जेठवा (Photo: Screengrab)

दिल तोड़ देगी फिल्म

डायरेक्टर नीरज घेवान की फिल्म 'होमबाउंड', न्यूयॉर्क टाइम्स 2020 के निबंध 'टेकिंग अमृत होम' से प्रेरित है. इस सेंसीटिव ड्रामा फिल्म को घेवान ने बहुत प्यार से बनाया है. फिल्म में कई ऐसे पल हैं, जो आपको इमोशनल करते हैं. इसका क्लाइमेक्स देखकर आपका रोना तो पक्का है ही. घेवान फिल्म शुरू होने पर आपको एक सफर पर लेकर जाते हैं. इसमें आप चंदन और शोएब की जिंदगी का एक हिस्सा बन जाते हैं. आप उनकी मजबूरी पर परेशान होते, उनकी बेइज्जती पर गुस्साते हैं और उनकी जीत पर खुश होते हैं. फिल्म की सिनेमैटोग्राफी और एडिटिंग भी बढ़िया है. हालांकि ये आपको थोड़ी स्लो लग सकती है. लेकिन कहानी के धीरे-धीरे खुलने का अपना मजा होता है. इसका बैकग्राउंड स्कोर आपको पिक्चर से जोड़े रखता है. अगर सीबीएफसी की तरफ से कुछ सीन्स को न काटा जाता, तो ये और गहरा असर डालने वाली होती. लेकिन फिर भी ये फिल्म आपको अंदर तक हिला देती है.

ईशान-विशाल ने किया कमाल

ईशान खट्टर और विशाल जेठवा इस फिल्म के हीरो हैं. दोनों की दोस्ती, केमिस्ट्री और अपनी-अपनी परफॉरमेंस बेहतरीन हैं. जाहिर है कि विशाल ने दोनों एक्टर्स को बहुत सोच-समझकर अपनी फिल्म में लिया था. चंदन के रोल में विशाल जेठवा कमाल हैं. उनकी आंखें उनके किरदार की अनकाही कशमश, चंदन को चुपके-चुपके होने वाले प्यार दोनों को बखूबी बयां करती हैं. फिल्म में एक पल ऐसा भी आता है, जब चंदन पर आपको तरस आता है. फिर आपकी आंखें भी बरसती हैं.

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चंदन को टक्कर देता है उसका दोस्त शोएब, जो उसी के जितना काबिल है. ऐसे ही विशाल को स्क्रीन पर टक्कर देते हैं ईशान खट्टर. ईशान एक टैलेंटेड एक्टर हैं, ये बात तो सभी जानते हैं और मानते हैं. लेकिन स्क्रीन पर अपनी प्रेजेंस से ईशान आपका दिल जीतने में कोई कमी नहीं छोड़ते. कुछ पल ऐसे हैं, जिनमें ईशान से नजरें हटाना मुश्किल हैं. विशाल के साथ खड़े होकर वो उन्हें पीछे छोड़ गए हैं. विशाल और ईशान को स्क्रीन पर साथ देखना किसी ट्रीट से कम नहीं है. उनकी दोस्ती आपको अपने दोस्तों की याद दिलाएगी. 

फिल्म में जाह्नवी कपूर ने भी सुधा भारती का छोटा-सा रोल निभाया है. उनका काम भी 'होमबाउंड' में अच्छा था. विशाल संग उनकी केमिस्ट्री क्यूट है. पिक्चर में शालिनी वत्स, विजय विक्रम सिंह, हर्षिका परमार, पंकज दुबे, Dadhi Pandey और सुदीप्ता सक्सेना समेत अन्य एक्टर्स ने भी काम किया है. सभी का काम अपने आप भी बढ़िया है.

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