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Movie Review: माधुरी दीक्षित के आने से डेढ़ गुना देसी हो गई 'डेढ़ इश्किया'

माधुरी दीक्षित लौट आई हैं और उनके आने के साथ ही अभिषेक चौबे की 'इश्किया' पहले से डेढ़ गुना ज्यादा देसी हो गई है. 'डेढ़ इश्किया' बढ़िया फिल्म है, हर शख्स को कम से कम एक बार तो जरूर देखनी चाहिए. लेकिन अगर उम्मीदें ज्यादा हैं तब भी फिल्म आपको निराश नहीं करेगी. इसमें ऐसा बहुत कुछ है जो आपको तालियां बजाने के लिए उकसाएगा.

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डेढ़ इश्किया का एक सीन
डेढ़ इश्किया का एक सीन

फिल्म: डेढ़ इश्किया
कास्ट: माधुरी दीक्षित, अरशद वारसी, नसीरुद्दीन शाह, हुमा कुरैशी, विजय राज
स्टार: चार स्टार (****)

माधुरी दीक्षित लौट आई हैं और उनके आने के साथ ही अभिषेक चौबे की 'इश्किया' पहले से डेढ़ गुना ज्यादा देसी हो गई है. 'डेढ़ इश्किया' बढ़िया फिल्म है, हर शख्स को कम से कम एक बार तो जरूर देखनी चाहिए. लेकिन अगर उम्मीदें ज्यादा हैं तब भी फिल्म आपको निराश नहीं करेगी. इसमें ऐसा बहुत कुछ है जो आपको तालियां बजाने के लिए उकसाएगा.

2010 में जब 'इश्किया' आई थी तो उसके पास एक सहज एडवांटेज तो था ही. कंसेप्ट नया था. दो बेशर्म देहाती मर्द थे जिनका दिल जरा सी देर में मक्खन की तरह फिसल जाता था. फिल्म में गहरा विट था, क्राइम था और कुछ नाजायज कहे जा सकने वाले रिश्ते थे.

इसी जिताऊ फॉर्मूले को ही डेढ़ इश्किया में दोबारा आजमाया गया है. लेकिन इस बार कुछ और सलीके से और नवाबी बैकग्राउंड पर. फिल्म अपने पुराने ढर्रे पर जाती हुई नहीं लगती. आप बारीकी से देखेंगे तो उस थॉट प्रोसेस को पकड़ पाएंगे जो पहले से मौजूद फॉर्मूला को नए मुकाम पर ले जाता है. यह बेहद असरदार है.

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अरबी मान्यता के मुताबिक इश्क के सात मुकाम होते हैं. दिलकशी, उन्स, मुहब्बत, अक़ीदत, इबादत, जुनून और मौत. बस इसी व्याख्या को अपराध, पैशन और ब्लैक कॉमेडी के कॉकटेल के साथ पेश किया गया है. दारब फारुकी की पोएटिक स्क्रिप्ट में खालूजान (नसीरुद्दीन शाह) और बब्बन (अरशद वारसी) ने चार चांद लगा दिए हैं.

स्टोरीलाइन कुछ इस तरह है. खालू और बब्बन अब भी सुधरने की कोई उम्मीद नहीं जगा रहे. खालू महमूदाबाद के एक महल में पहुंचते हैं, जहां परी से भी खूबसूरत बेगम पारा (माधुरी दीक्षित) शायरी और म्यूजिक का एक प्रोग्राम करवा रही हैं. खालूजान खुद को नवाब बताकर दाखिल हो जाते हैं. उनका मकसद है महल को लूट कर रफूचक्कर हो जाना. लेकिन वह पड़ जाते हैं बेगम के इश्क में. बेगम, जिनके शौहर अब इस दुनिया में नहीं हैं, अपने लिए सही साथी खोज रही हैं. बब्बन मियां भी महमूदाबाद पहुंच जाते हैं और उन्हें हो जाता है बेगम की नौकरानी मुनिया (हुमा कुरैशी) से इश्क. दोनों औरतें कितनी छलिया हैं कि इसका पता खालू और बब्बन दोनों को बहुत बाद में होता है.

डायरेक्शन के लेवल पर अभिषेक चौबे ने इस फिल्म को भी इश्किया की तरह ही ट्रीट किया है. फिल्म के उम्दा एक्टर्स को अपना टैलेंट दिखाने का पूरा स्पेस मिला है.

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नसीरुद्दीन शाह के बाद अगर यह फिल्म किसी की है तो माधुरी दीक्षित की. बिरजू महाराज के बीट्स पर यह नजाकत सिर्फ वही बख्श सकती हैं. माधुरी के फैंस के लिए फिल्म में बहुत कुछ है.

नसीर ने अपने नवाबी अवतार वाले खालूजान का किरदार परफेक्शन से निभाया है. अरशद वारसी इस स्तर के लगे हैं कि नसीर के साथ उनकी केमिस्ट्री मेल खाने लगी है. उन दोनों के सीन फिल्म की जान बन पड़े हैं.

हुमा कुरैशी के किरदार में जान फिल्म के दूसरे हाफ में ही आती है. हालांकि दिग्गज कलाकारों के बीच 'सेक्सी स्पार्क' छोड़ने में वह कामयाब रही हैं.

डेढ़ इश्किया बेहद देसी ठसक वाली फिल्म है. बॉलीवुड ने 2014 की शानदार शुरुआत की है. मिस मत करना.

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